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Sujanpur Holi Festival 2023: राजा संसार चंद ने 300 साल पहले प्रजा के साथ खेली थी होली,तालाब में तैयार होता था रंग

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Published : Mar 3, 2023, 1:43 PM IST

सुजानपुर होली पर्व का इतिहास 300 साल पुराना
सुजानपुर होली पर्व का इतिहास 300 साल पुराना

सुजानपुर होली उत्सव की शुरुआत 2 दिन बाद होगी. आखिर किस राजा ने 300 साल पहले खेली थी प्रजा के साथ होली. इस बार क्या होगा खास. पढ़ें पूरी खबर..

हमीरपुर: राष्ट्र स्तरीय होली उत्सव का सुजानपुर में आगाज 5 मार्च को सीएम सुखविंदर सिंह करेंगे. 8 मार्च तक चलने वाले इस होली उत्सव में पहली बार हिमाचल के सभी जिलों के व्यंजनों की खुशबू से भी चौगान मैदान महकेगा. हर जिले के 4 स्वयं सहायता समूह यहां पर निशुल्क स्टॉल लगाएंगे. एडीसी हमीरपुर जितेंद्र सांजटा का कहना है कि राष्ट्र स्तरीय होली उत्सव में 10 दिवसीय सरस मेले का आयोजन पहली बार किया जाएगा. वहीं, 8 मार्च को समापन के दिन महिला दिवस होने के कारण सांस्कृतिक संध्या भी स्पेशल होगी.

सुजानपुर का मुरली मनोहर मंदिर यहां पूजा के बाद शुरू होता त्योहार
सुजानपुर का मुरली मनोहर मंदिर यहां पूजा के बाद शुरू होता त्योहार

राजा ने प्रजा के साथ खेली थी होली: सुजानपुर नगरी को इसके सुजान लोगों से जाना जाता है. कटोच वंश के 481वें महाराजा संसार चंद ने सुजानपुर नगर के ऐतिहासिक चौगान में प्रजा के साथ होली खेलने की परंपरा को शुरू किया था. इतिहासकारों की मानें तो 1795 में पहली बार यहां पर होली खेली गई थी और सुजानपुर नगर में ही खास गुलाल तैयार किया गया था. ऐतिहासिक मुरली मनोहर मंदिर से होली उत्सव का आगाज राजा संसार चंद ने किया था.

सुजानपुर का मुरली मनोहर मंदिर
सुजानपुर का मुरली मनोहर मंदिर

तालाब में तैयार किया जाता था रंग: कहा तो यह भी जाता है कि सुजानपुर में रियासतों के दौर में होली का रंग तालाब में तैयार किया जाता था. मैदान के एक कोने में राजा संसार चंद ने 1785 ई. में मुरली मनोहर मंदिर बनवाया है. रियासतों के दौर से ही होली मेले से मुरली मनोहर मंदिर का अहम नाता है. यह पर पूजा -अर्चना के बाद यह राष्ट्र स्तरीय होली उत्सव शुरू होता है. रियासतों के दौर में जहां पर राजा-रानी स्वयं पूजा किया करते थे. वर्तमान में मेले में बतौर मुख्य अतिथि आने वाले राजनेता या अधिकारी इस परंपरा को पूरा करते हैं. इस बार मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू इस परंपरा का निर्वहन करेंगे.

परंपरा के साथ व्यापार भी भरपूर: ऐतिहासिक होली उत्सव सुजानपुर को 514 कनाल के समतल चौगान मैदान में मनाया जाता है. यहां पर सुजानपुर का होली उत्सव रियासतों की परंपरा के साथ ही व्यापार का भी केंद्र बनता है. चौगान मैदान ऐतिहासिक सुजानपुर नगर के बीचो-बीच है और रियासतों के दौर में कटोच वंश की सेनाएं यहां पर अभ्यास करती थी.

राजा घमंड चंद ने की थी सुजानपुर नगर की स्थापना: सुजानपुर नगर का भी अपना इतिहास है.सुजानपुर के इतिहास के बारे में बताते हैं. इस नगर की स्थापना करने का कार्य 1761 ईस्वी में कटोच वंश के राजा घमंड चंद ने शुरू किया था. इतिहास कारों के अनुसार राजा घमंड चंद के पोते कला प्रेमी संसार चंद ने इस नगर को विकसित करने का कार्य किया. यह नगर नगर ब्यास नदी के बाएं तट पर स्थित है. कटोच वंश के शासक संसार चंद ने इसे अपनी राजधानी बनाया था. बताया जाता है कि देश भर से विद्वान और सुजान लोगों को लाकर उन्होंने ने यहां पर बसाया था. यही वजह है कि सुजान लोगों के इस नगरी को सुजानपुर नाम से जाना जाता है.
कटोच वंश का किला जर्जर: कटोच वंश का महल सुजानपुर किला सैकड़ों साल के बाद अब जर्जर हो चुका है. यह महल सुजानपुर चौगान मैदान से 3 किलोमीटर दूर ऊंची पहाड़ी पर स्थित हैं. बताते हैं कि राजा संसार चंद ने अपने शासनकाल में 1775 से 1823 ई. के दौरान सुजानपुर टीहरा में अनेक भव्य भवनों एवं मंदिरों का निर्माण करवाया था.

महल को सहजा नहीं गया: रियासतों का दौर खत्म होने के बाद इस महल को सहेजा नहीं गया. यही वजह है कि महल आज खंडहर हो चुका है. यहां पर पर्यटन की संभावनाओं को विकसित किया जा सकता है. फिलहाल आर्कलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया एक धरोहर के रूप में इस महल जर्जर दीवारों को सहेज रहा है, लेकिन प्रयास नाकाफी ही साबित हो रहे हैं.

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