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फोरलेन पर निर्माणाधीन सभी 5 टनल का निर्माण कार्य दोबारा शुरू, अब हरियाणा की कंपनी को मिला टेंडर

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Published : Aug 27, 2021, 2:49 PM IST

सदर एसडीएम रामेश्वर दास
सदर एसडीएम रामेश्वर दास

बिलासपुर में निर्माणाधीन पांच टनलों का निर्माण कार्य फिर से शुरू हो गया है. एनएचएआई की ओर से अब हरियाणा की गाबर कंस्ट्रक्शन कंपनी को 2 हजार करोड़ का टेंडर अवार्ड किया है. शुरुआती दौर में 1818.47 करोड़ रुपए की लागत से फोरलेन का काम शुरू हुआ था और 2018 तक तैयार किए जाने का लक्ष्य तय किया गया था, लेकिन बाद में विलंब होने के चलते 2019 लक्ष्य तय किया गया. इस बीच निर्माता कंपनी काम बीच में ही छोड़कर चली गई और यह कार्य लटक गया.

बिलासपुर: किरतपुर-नेरचौक फोरलेन के तहत निर्माणाधीन सभी पांचों टनल का निर्माण कार्य फिर से शुरू हो गया है. तय औपचारिकताएं पूरी होने के बाद कंपनी ने निर्माण कार्य की कवायद शुरू की है. पहले आईएलएंडएफएस कंपनी को कार्य अवार्ड हुआ था, लेकिन टनलों का 40 से 50 फीसदी तक कार्य करने के बाद घाटे का हवाला देते हुए कंपनी बीच ही में ही कार्य छोड़कर चली गई थी जिसके बाद कार्य लटका हुआ था. एनएचएआई की ओर से अब हरियाणा की गाबर कंस्ट्रक्शन कंपनी को 2 हजार करोड़ का टेंडर अवार्ड किया है. प्रशासन की तरफ से तमाम औपचारिकताओं को परमिशन मिलने के बाद कंपनी ने टनलों का कार्य शुरू कर दिया है.

सदर एसडीएम रामेश्वर दास के अनुसार कैंचीमोड़ से मैहला के लिए बन रही टनल की लंबाई 1800 मीटर है. इसी प्रकार थापना टनल की लंबाई 465 मीटर, तुन्नू से ढलियार टनल की लंबाई 550 मीटर, मल्यावर टनल की लंबाई 1265 मीटर और मंडी जिला में आने वाली टनल डैहर के पास 740 मीटर लंबी बनेगी जिनका कार्य प्रशासनिक मंजूरियों के बाद शुरू कर दिया गया है. एक निश्चित समयावधि के अंदर इन टनल का काम पूरा किया जाएगा.

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उन्होंने बताया कि पिछले दिनों राजस्व विभाग की टीम स्पॉट इंस्पेक्शन कर चुकी हैं और जो भी कंपनी की ओर से रिक्वायरमेंट्स थी उन्हें पूरा कर दिया गया है. ब्लास्टिंग की परमिशन भी मिल चुकी है. एसडीएम रामेश्वर दास ने बताया कि सदर उपमंडल से संबंधित स्थानीय लोगों की समस्याओं का भी निराकरण कर दिया गया है. जहां पहले वाली कंपनी कार्य छोड़ गई थी उससे आगे अब गाबर कंस्ट्रक्शन कंपनी कार्य शुरू करेगी. उधर, इस संदर्भ में जिलाधीश बिलासपुर पंकज राय ने बताया कि फोरलेन की पांचों निर्माणाधीन टनल का कार्य शुरू कर दिया गया है.

शुरुआती दौर में 1818.47 करोड़ रुपए की लागत से फोरलेन का काम शुरू हुआ था और 2018 तक तैयार किए जाने का लक्ष्य तय किया गया था, लेकिन बाद में विलंब होने के चलते 2019 लक्ष्य तय किया गया. इस बीच निर्माता कंपनी काम बीच में ही छोड़कर चली गई और यह कार्य लटक गया. यहां बता दें कि किरतपुर से नेरचौक तक 125 किलोमीटर का फासला है जो कि फोरलेन बनने से कम होकर महज 85 किलोमीटर रह जाएगा, जबकि बिलासपुर की दूरी 26 किलोमीटर होगी.

कुल 47 किलोमीटर के इस फोरलेन में छोटी बड़ी 5 टनल और मेजर व माइनर 42 ब्रिज बनेंगे. एक किलोमीटर के बाद एक ब्रिज बनेगा. इसके अलावा कई फ्लाईओवर भी बनेंगे. भगेड़ में फ्लाईओवर प्रस्तावित है. फोरलेन बनने के बाद मंडी से दो घंटे में चंडीगढ़ पहुंच जाएंगे.

बता दें कि लंबे समय से लटके किरतपुर से जड़ोल तक फोरलेन का निर्माण कार्य शुरू करने के लिए एनएचएआई ने हरियाणा की गाबर कंपनी को 2000 करोड़ का टेंडर अवार्ड किया है. पहले जिस कंपनी आईएलएंडएफएस कंपनी को निर्माण कार्य सौंपा गया था. वह घाटा होने का हवाला देते हुए काम बीच में ही छोड़कर चली गई थी. उसके बाद से ही कार्य बंद पड़ा था. हालांकि काम पूरा करने के लिए एनएचएआई की ओर से 2019 तक का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन अब यह लक्ष्य आगे खिसक गया है. ताजा स्थिति में गाबर कंपनी ने कार्य शुरू किया है.


वन विभाग के बिलासपुर में कार्यरत वनमंडलाधिकारी अवनी राय भूषण ने बताया कि फोरलेन की फर्स्ट स्टेज के निर्माण कार्य की राह में फंसा सबसे बड़ा पेंच अब हट गया है. केंद्र सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय देहरादून की ओर से वन संरक्षण अधिनियम 1980 की धारा-2 के तहत चेंज ऑफ ले-आउट के संशोधित प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है. उम्मीद है कि जल्द ही फाइनल अप्रूवल आएगी जिसके बाद ग्रीन फील्ड में कंपनी काम शुरू कर सकेगी.

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