हिमाचल के ये कैबिनेट मंत्री करते हैं गाय की सेवा, 18 साल से चल रही गोशाला में पल रहे हजारों गोवंश

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Published : Sep 22, 2021, 5:48 PM IST

Updated : Sep 22, 2021, 7:28 PM IST

cabinet minister Virendra Singh Kanwar has been running a cowshed in Una for eighteen year

हिमाचल में जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के कैबिनेट मंत्री वीरेंद्र कंवर विगत 18 साल से एक गोशाला का संचालन कर रहे हैं. यह गोशाला ऊना जिला में है. बड़ी बात यह है कि वीरेंद्र कंवर ने इस गोशाला की नींव उस समय रखी, जब वे केवल विधायक थे. वे पहली बार वर्ष 2003 में विधायक बने थे. वीरेंद्र कंवर के मन में आरंभ से ही गोवंश की सेवा का भाव था. डेढ़ दशक पहले हिमाचल की सड़कों पर बेसहारा गोवंश धक्के खाने को मजबूर था.

शिमला: यह एक दुर्लभ संयोग है. हिमाचल सरकार में पंचायती राज विभाग के साथ पशुपालन और कृषि विभाग का जिम्मा जिस कैबिनेट मंत्री के पास है, वो वास्तविक जीवन में भी पशु प्रेमी हैं. जी हां, ये कैबिनेट मंत्री हैं वीरेंद्र सिंह कंवर. हिमाचल में जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के कैबिनेट मंत्री वीरेंद्र कंवर विगत 18 साल से एक गोशाला का संचालन कर रहे हैं. यह गोशाला ऊना जिले में है.

बड़ी बात यह है कि वीरेंद्र कंवर ने इस गोशाला की नींव उस समय रखी, जब वे केवल विधायक थे. वे पहली बार वर्ष 2003 में विधायक बने थे. वीरेंद्र कंवर के मन में आरंभ से ही गोवंश की सेवा का भाव था. डेढ़ दशक पहले हिमाचल की सड़कों पर बेसहारा गोवंश धक्के खाने को मजबूर था.

वीरेंद्र कंवर बताते हैं कि उन्हें गर्मी, सर्दी और बरसात में सड़कों पर बे-सहारा घूम रहे गोवंश को देखकर पीड़ा का अनुभव होता था. उनके मन में गोशाला स्थापित करने का विचार आया. मंत्री के अनुसार 18 साल पहले उन्होंने समानधर्मा मित्रों और इलाका वासियों के सहयोग से ऊना जिले के थानाकलां में गोशाला की शुरुआत की.

यह गोशाला श्री राधे गोपाल गोधाम के नाम से संचालित हो रही है. इसके लिए बाकायदा ट्रस्ट का गठन किया गया है. यह गोशाला श्री कामधेनु मानव सेवा ट्रस्ट के नाम से पंजीकृत है. समय के साथ-साथ गोसेवा का यह प्रकल्प बढ़ता गया और अब यहां इस गोशाला के अलावा अन्य सहयोगी गोशालाओं में डेढ़ हजार से अधिक गोवंश सहारा ले रहा है.

उन्होंने कहा कि उनका पूरा परिवार यहां आकर गोसेवा करता है. इससे इलाका वासियों को भी प्रेरणा मिली है और अब लोग अपना जन्मदिन भी गोसेवा के माध्यम से मनाते हैं और समय-समय पर गोशाला में यज्ञ भी होते हैं. अब लोग खुद आकर गोशाला में सेवा कार्य संभालते हैं. गोशाला से मिलने वाला गोधन यानी गोबर, गोमूत्र और गोदुग्ध से आय भी होती है.

वीरेंद्र कंवर याद करते हैं कि आरंभ में जब गोशाला की स्थापना की गई थी तो चारे और अन्य जरूरी वस्तुओं की कमी महसूस होती थी. पूर्व में राज्यसभा सांसद रही विमला कश्यप सूद ने गोशाला के लिए 10 लाख रुपए की सहयोग राशि दी. इलाके की जनता ने भी अंशदान के माध्यम से 10 लाख रुपए जुटाए. खुद विधायक के तौर पर वीरेंद्र कंवर व उनके परिवार ने भी नियमित रूप से गोशाला के लिए अंशदान किया.

अब दूर-दूर से लोग स्वयं ही गोवंश के लिए चारा भेंट करने आते हैं. इसके अलावा थानाकलां और आसपास के लोग गोशाला में आकर सफाई और अन्य कार्यों में स्वेच्छा से हाथ बंटाते हैं. इसके अलावा कुटलैहड़ में चल रही गोशाला के लिए तो सरकारी अनुदान भी नहीं लिया जाता. वहां सारा इंतजाम दानी सज्जनों के सहयोग से होता है.

उल्लेखनीय है कि हिमाचल में हाईकोर्ट ने सरकार को सड़कों पर धक्के खाने को मजबूर बेसहारा गोवंश की सुध लेने के आदेश दिए हैं. हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार पहले तो हर पंचायत में गोशाला निर्माण का आदेश दिया गया था जब राज्य सरकार ने अदालत से आग्रह किया कि हर पंचायत में गोशाला निर्माण संभव नहीं है अलबत्ता जरूरत के अनुसार गोशालाएं बनाकर बे सहारा पशुधन को उसमें आश्रय दिया जा सकता है.

मौजूदा सरकार ने गोसेवा आयोग का गठन किया है. तीन साल से अधिक समय में सरकार ने सड़कों पर भटक रहे 17 हजार 407 बेसहारा पशुओं को आश्रय प्रदान किया है. इस साल अप्रैल से जुलाई के बीच पशुधन की सेवा में साढ़े बारह करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं. नवंबर 2020 तक राज्य सरकार ने 15 हजार 177 बेसहारा पशुओं को गोशाला में पहुंचाया था.

अब यह संख्या 17 हजार से अधिक हो चुकी है. राज्य सरकार ने गोवंश की सेवा के लिए शराब की बोतल की बिक्री पर पहले एक रुपया और फिर बाद में डेढ़ रुपया प्रति बोतल सेस लगाया है. इससे अबतक 15 करोड़ के करीब रकम जुटाई जा चुकी है.

हिमाचल में गो सदन चला रही संस्थाओं को प्रति एक गोवंश पर 500 रुपए मदद दी जाती है. कम से कम 30 गायों वाली गोशालाओं को यह रकम मिलती है. राज्य सरकार ने अबतक 2 करोड़ रुपए की रकम सहायता के तौर पर गोशाला संचालकों को दी है. हिमाचल में इस समय 200 के करीब गोसदन हैं और इनमें से 125 के करीब पंजीकृत की जा चुकी हैं.

राज्य सरकार ने सिरमौर के कोटला बड़ोगा में करीब 2 करोड़ रुपए की लागत से काऊ सेंक्चुरी स्थापित की है. इसी तरह से प्रदेश के अन्य इलाकों में भी काऊ सेंक्चुरी बनाई गई हैं. राज्य सरकार ने इस साल के अंत तक सभी काऊ सेंक्चुरी का निर्माण पूरा करने का लक्ष्य रखा है और अगले साल की शुरुआत तक हिमाचल को बेसहारा गोवंश से मुक्त राज्य बनाने का प्रयास किया जाएगा.

पंचायती राज और पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर का कहना है कि हिमाचल देवभूमि है और यहां गोवंश की सेवा की समृद्ध परंपरा रही है. कुछ समय से समाज में व्याप्त हुए लालच के कारण लोगों ने पशुधन को सड़कों पर भटकने के लिए छोड़ना शुरू किया था. प्रदेश की सभी सरकारों ने गोवंश को सहारा देने के प्रयास किए हैं. हिमाचल हाईकोर्ट ने भी इस मामले में समय-समय पर आदेश जारी कर राज्य की सड़कों को बेसहारा गोवंश से मुक्त करने और पशुधन को आश्रय की व्यवस्था के आदेश दिए हैं.

मंत्री ने कहा कि वे और उनका परिवार खुद पहल करते हुए गोशाला में सेवा करते हैं. जब समाज के प्रभावशाली तबके के लोग ऐसी पहल करेंगे तो आम जनता को भी प्रेरणा मिलेगी. उन्होंने कहा कि सभी जिला के डीसी और एसपी सहित संबंधित विभाग के अफसरों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि जहां कहीं भी बेसहारा गोवंश मिले, उसके उचित आश्रय की व्यवस्था की जाए.

मंत्री ने बताया कि जब भी वे अपने निर्वाचन क्षेत्र के दौरे पर जाते हैं तो गोशाला ट्रस्ट की बैठक कर वहां आश्रय पा रहे पशुधन की बेहतर देखभाल सुनिश्चित करते हैं. ट्रस्ट में सेवाभाव वाले लोग लिए गए हैं और क्षेत्र की जनता भी संवेदनशीलता के साथ गोशाला में सेवा करती है.

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Last Updated :Sep 22, 2021, 7:28 PM IST
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