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Workshop in Joginder Nagar: कोरोना काल में आयुर्वेद आधारित उत्पादों की बढ़ी मांग- डॉ. अरुण चंदन

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Published : Jan 17, 2022, 5:35 PM IST

आयुर्वेद अपने आप में एक संपूर्ण दवा है. आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति न केवल बीमारी को ही ठीक (Workshop in Herbal Garden Joginder Nagar) करती है बल्कि बीमारी की जड़ तक पहुंचकर इसे पूर्ण तौर पर खत्म करने में महत्वपूर्ण कार्य करती है. कोरोना संक्रमण को रोकने में (Role of ayurveda in stopping corona) 20 जड़ी बूटियों का अहम योगदान रहा है. उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिये इसे मनरेगा के तहत भी जोड़ा गया है.

Workshop in Herbal Garden Joginder Nagar
हिमाचल में औषधीय पौधों की खेती

मंडी/जोगिंदरनगर: भारतीय चिकित्सा पद्धति अनुसंधान संस्थान (हर्बल गार्डन) जोगिंदर नगर में (Research Institute in Indian Systems of Medicine) राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत औषधीय पौधों की उन्नत खेती को लेकर किसानों की दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन (Workshop in Herbal Garden Joginder Nagar) किया गया. एसडीएम जोगिंदर नगर डॉ. (मेजर) विशाल शर्मा ने इस कार्यशाला का शुभारंभ किया. इस कार्यशाला में ऊना व हमीरपुर जिलों से आए हुए 24 किसान औषधीय पौधों की उन्नत खेती को लेकर जानकारी हासिल कर रहे हैं.

इस अवसर पर उपस्थित किसानों को संबोधित करते हुए एसडीएम जोगिंदर नगर डॉ. विशाल शर्मा ने कहा कि (SDM Joginder Nagar on Ayurveda) आयुर्वेद अपने आप में एक संपूर्ण दवा है. आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति न केवल बीमारी को ही ठीक करती है बल्कि बीमारी की जड़ तक पहुंचकर इसे पूर्ण तौर पर खत्म करने में महत्वपूर्ण कार्य करती है. उन्होंने आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति एवं इससे जुड़ी औषधीय पौधों की खेती को बड़े स्तर पर प्रोत्साहित करने और कोरोना के इस कठिन समय में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक पहचान दिलाने की आवश्यकता पर भी बल दिया.

उन्होंने कहा कि किसानों के पास खाली पड़ी या फिर बंजर भूमि में औषधीय पौधों की खेती को प्रोत्साहित करने से न केवल बेकार पड़ी जमीन का सही इस्तेमाल सुनिश्चित हो सकेगा बल्कि इससे किसानों की आर्थिकी को भी सुदृढ़ करने में मदद मिलेगी. उन्होंने आयुष विभाग के माध्यम से किसानों के उत्थान के लिये शुरू की गई विभिन्न योजनाओं की जानकारी को धरातल तक ले जाने के लिये कार्य करने पर भी बल दिया ताकि ज्यादा से ज्यादा किसानों को औषधीय पौधों की खेती (Cultivation of medicinal plants in Himachal) से जोड़ा जा सके.



एसडीएम ने आयुष विभाग को सीधे किसानों से जुड़े अन्य विभागों जैसे कृषि, बागवानी, उद्योग तथा प्राकृतिक खेती के साथ व्यापक समन्वय स्थापित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया ताकि ज्यादा से ज्यादा किसानों को सरकार की विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित किया जा सके. उन्होंने आने वाले समय में इन विभिन्न विभागों की एक समन्वय कार्यशाला के आयोजन पर भी बल दिया.

वहीं, इससे पहले हर्बल गार्डन के प्रभारी उज्जवल दीप सिंह ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया और इस दो दिवसीय औषधीय पौधों की उन्नत खेती पर आयोजित कार्यशाला की विस्तृत जानकारी दी. वहीं, इस मौके पर किसानों का मार्गदर्शन करते हुए राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. अरुण चंदन ने कहा कि कोविड 19 के इस कठिन समय में आयुर्वेद एवं औषधीय पौधों व जड़ी बूटियों पर आधारित उत्पाद की राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मांग में वृद्धि देखी गई है.

उन्होंने बताया कि अनुसंधान से यह बात निकल कर सामने आई है कि कोरोना संक्रमण को रोकने में (Role of ayurveda in stopping corona) 20 जड़ी बूटियों का अहम योगदान रहा है. उन्होने बताया कि हिमाचल प्रदेश में औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिये इसे मनरेगा के तहत भी जोड़ा गया है. औषधीय उत्पादों को बेचने व खरीदने के लिये राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड ने ई-चरक मोबाइल ऐप की सुविधा किसानों को मुहैया करवाई है. इसके अलावा किसानों के उत्पाद एकत्रित करने को ब्लॉक, उपमंडल तथा जिला स्तर पर भी संग्रहण केंद्र स्थापित करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है. साथ ही प्रदेश में तेज पत्ता व तिरमर पर आधारित तीन प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना पर भी काम हो रहा है.

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