Kamaksha Temple Karsog: 10 महाविद्याओं की देवी है मां कामाक्षा, अष्टमी पर्व पर मंदिर में होगा जागरण

author img

By

Published : Oct 2, 2022, 5:34 PM IST

Kamaksha Temple Karsog

करसोग में कामाक्षा माता मंदिर में सोमवार को अष्टमी पर्व मनाया (Kamaksha Temple Karsog) जाएगा. रात के समय अष्टमी मेला शुरू होगा और सुबह तीन बजे मंदिर में उपस्थित स्थानीय गांव के किसी एक व्यक्ति में माता जागृत होगी. पढ़ें पूरी खबर...

करसोग: हिमाचल में जिला मंडी के करसोग में प्रसिद्ध कामाक्षा माता मंदिर में सोमवार को अष्टमी पर्व श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाएगा. यहां करसोग मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर काओ नामक स्थान पर पांडवों के काल से (Kamaksha Temple Karsog) संबंध रखने वाले कामाक्षा मंदिर में रात भर जागरण चलेगा और सुबह तीन बजे के करीब माता भक्तों को दर्शन देगी. इसके लिए मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई है.

माता को प्रसन्न करने के लिए परिसर में हवन भी किए जा रहे हैं. यहां पर रात के समय अष्टमी मेला शुरू होगा और सुबह तीन बजे मंदिर में उपस्थित स्थानीय गांव के किसी एक व्यक्ति में माता जागृत होगी. जिसके बाद माता आधी रात को ही दोनों ओर पहाड़ियों में विराजमान जोगनियों की परिक्रमा कर सुबह 7 बजे मंदिर में लौटेगी. बता दें कि हर मनोकामना को पूर्ण करने वाली कामाक्षा को 10 महाविद्याओं की देवी भी कहा जाता है.

Kamaksha Temple Karsog
कामाक्षा माता मंदिर

लकड़ी पर नक्काशी से बने इस प्रसिद्ध मंदिर में माता अष्ट धातु की मूर्ति के रूप में विराजमान है. देशभर में कामाक्षा माता के केवल तीन ही मंदिर है. जहां अलग-अलग रूपों में माता की पूजा होती है. इसमें मुख्य मंदिर भारत के उत्तर पूर्वी दिशा में अवस्थित आसाम में है. यहां इस मंदिर को कामाख्या नाम से जाना जाता है. दूसरा मंदिर कांचीपुरम में स्थित है. जहां माता को ज्योति रूप पूजा जाता है और माता को कामाक्षी भी कहा जाता है.

काओ में माता का तीसरा मंदिर है. यहां माता को कामाक्षा नाम से पूजा जाता है. कामाक्षा मतलब हर कार्य को पूर्ण करने वाली है. ऐसे में साल भर श्रद्धालु माता के दर्शनों के लिए आते हैं. लेकिन शारदीय नवरात्रि में माता के दर्शनों का विशेष महत्व बताया गया है. कामाक्षा माता मंदिर के पुजारी तनिश शर्मा का कहना है कि सुबह तीन बजे अष्टमी पर्व मनाया जाएगा. जिसके लिए दूर-दूर से मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटनी शुरू हो गई है.

ये भी पढ़ें: कौन है राजघराने की महाभारत वाली 'दादी'? जानें उनके बिना क्यों शुरू नहीं होता अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.