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कैसे पढ़ेंगे बच्चे? सीएम जयराम के गृह जिला मंडी में सरकारी स्कूल का भवन ही नहीं, खुले में पढ़ाई करने को मजबूर 50 नौनिहाल

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Published : Nov 24, 2021, 10:32 AM IST

Updated : Nov 24, 2021, 3:22 PM IST

एक तरफ शिक्षा की गुणवत्ता (quality of education) को सुधारने के लिए प्राइवेट स्कूलों की होड़ मची हुई है. अशासकीय स्कूल अच्छे भवनों में संचालित है तो दूसरी ओर शासकीय स्कूल खस्ताहाल हैं. सीएम जयराम के गृह जिला मंडी (Mandi District) के करसोग उपमंडल में एक ऐसा प्राथमिक स्कूल है, जहां स्कूल भवन (School Building) नहीं होने की वजह से 50 नौनिहाल खुले आसमान में पढ़ाई कर रहे हैं. एक शिक्षक के सहारे पूरा स्कूल चल रहा है.

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फोटो.

करसोग: शिक्षा के क्षेत्र में चमकदार आंकड़ों और उपलब्धियों का दम भरने वाले हिमाचल की पोल मंडी जिले के करसोग विधानसभा क्षेत्र (Karsog Assembly Constituency) में खुल रही है. प्रदेश सरकार भले ही सरकारी सेक्टर में मजबूत शिक्षा ढांचे (strong education framework) होने का दावा करती हो, लेकिन हकीकत में इसकी तस्वीर धुंधली है. इसका बड़ा उदाहरण मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिले मंडी (Home District of Cm Jairam) के करसोग विधानसभा क्षेत्र में देखने को मिला है, जहां पर शिक्षा विभाग की सुस्त कार्यप्रणाली से 50 नौनिहाल स्कूल भवन (School Building) न होने से खुले आसमान के नीचे पढ़ाई करने को मजबूर है.

करसोग मुख्यालय (Karsog Headquarter) से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर राजकीय प्राथमिक पाठशाला सरकोल (Government Primary School Sarkol) का पुराना भवन जर्जर हालत में होने की वजह से असुरक्षित घोषित कर वर्ष 2019 में गिरा दिया गया था. जिसके बाद शिक्षा विभाग (Education Department) ने फरवरी 2020 में नए भवन की नींव रखी, लेकिन दो साल बीतने को हो रहे हैं. अभी तक बच्चों को शिक्षा मंदिर में चार दीवारी तक नसीब नहीं हुई है. भवन के नाम पर दो सालों में अभी तक सिर्फ लेंटर ही पड़ा है, जिसमें अब तक सरकार 6.30 खर्च कर चुकी है.

वीडियो.

हैरानी की बात है कि देश का भविष्य कहलाए जाने वाले इन नौनिहालों की कोई सुध नही ले रहा है. हालांकि अभी पहली से पांचवी तक के 40 बच्चे स्कूल आ रहे है, जबकि 10 नौनिहाल नर्सरी केजी में पड़ रहे हैं. जो अभी स्कूल नहीं आ रहे हैं. यही नहीं इन 50 बच्चों का भविष्य संवारने का जिम्मा मात्र एक शिक्षक के सहारे है. स्थानीय जनता अधूरे पड़े भवन का निर्माण कार्य पूरा करने के लिए खंड प्राथमिक शिक्षा अधिकारी (Block Primary Education Officer) करसोग वन कार्यालय के चक्कर काट रही हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

ऐसे में शिक्षा विभाग की लचर व्यवस्था से बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है. जिसको देखते हुए स्थानीय जनता ने अब एसडीएम करसोग से मिलकर इस मामले पर तुरंत उचित कार्रवाई किए जाने की मांग की है. एसडीएम ने भी मामले की गंभीरता को देखते हुए ब्लॉक एलीमेंट्री एजुकेशन ऑफिसर (Block Elementary Education Officer) को छानबीन करने के निर्देश जारी कर दो दिनों में रिपोर्ट मांगी है. राजकीय प्राथमिक पाठशाला सरकोल (Government Primary School Sarkol) के एसएमसी प्रधान हरीमन (SMC Head Hariman) का कहना है कि दो सालों से स्कूल का भवन अधूरा पड़ा है. बच्चे धूप और ठंड में बाहर बैठकर खुले में पढ़ाई करने को मजबूर हैं. उन्होंने सरकार से जल्द स्कूल भवन का कार्य जल्द पूरा करने की मांग की है, ताकि बच्चों को परेशानियों का सामना न करना पड़े.

एसडीएम सन्नी शर्मा (SDM Sunny Sharma) का कहना है कि राजकीय प्राथमिक पाठशाला सरकोल से संबंधित शिकायत प्राप्त हुई है. जहां गांव के लोगों का कहना है कि स्कूल भवन का निर्माण काफी समय से लंबित है. जिस कारण बच्चों को बाहर बैठना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि ब्लॉक एलीमेंट्री एजुकेशन ऑफिसर को निर्देश दिए गए हैं कि मामले की छानबीन करें और दो दिन में अपनी रिपोर्ट भेजें.

ये भी पढ़ें: Niti Ayog: सतत विकास लक्ष्य शहरी भारत सूचकांक 2021-22 में शिमला देश भर में अव्वल

करसोग: शिक्षा के क्षेत्र में चमकदार आंकड़ों और उपलब्धियों का दम भरने वाले हिमाचल की पोल मंडी जिले के करसोग विधानसभा क्षेत्र (Karsog Assembly Constituency) में खुल रही है. प्रदेश सरकार भले ही सरकारी सेक्टर में मजबूत शिक्षा ढांचे (strong education framework) होने का दावा करती हो, लेकिन हकीकत में इसकी तस्वीर धुंधली है. इसका बड़ा उदाहरण मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिले मंडी (Home District of Cm Jairam) के करसोग विधानसभा क्षेत्र में देखने को मिला है, जहां पर शिक्षा विभाग की सुस्त कार्यप्रणाली से 50 नौनिहाल स्कूल भवन (School Building) न होने से खुले आसमान के नीचे पढ़ाई करने को मजबूर है.

करसोग मुख्यालय (Karsog Headquarter) से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर राजकीय प्राथमिक पाठशाला सरकोल (Government Primary School Sarkol) का पुराना भवन जर्जर हालत में होने की वजह से असुरक्षित घोषित कर वर्ष 2019 में गिरा दिया गया था. जिसके बाद शिक्षा विभाग (Education Department) ने फरवरी 2020 में नए भवन की नींव रखी, लेकिन दो साल बीतने को हो रहे हैं. अभी तक बच्चों को शिक्षा मंदिर में चार दीवारी तक नसीब नहीं हुई है. भवन के नाम पर दो सालों में अभी तक सिर्फ लेंटर ही पड़ा है, जिसमें अब तक सरकार 6.30 खर्च कर चुकी है.

वीडियो.

हैरानी की बात है कि देश का भविष्य कहलाए जाने वाले इन नौनिहालों की कोई सुध नही ले रहा है. हालांकि अभी पहली से पांचवी तक के 40 बच्चे स्कूल आ रहे है, जबकि 10 नौनिहाल नर्सरी केजी में पड़ रहे हैं. जो अभी स्कूल नहीं आ रहे हैं. यही नहीं इन 50 बच्चों का भविष्य संवारने का जिम्मा मात्र एक शिक्षक के सहारे है. स्थानीय जनता अधूरे पड़े भवन का निर्माण कार्य पूरा करने के लिए खंड प्राथमिक शिक्षा अधिकारी (Block Primary Education Officer) करसोग वन कार्यालय के चक्कर काट रही हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

ऐसे में शिक्षा विभाग की लचर व्यवस्था से बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है. जिसको देखते हुए स्थानीय जनता ने अब एसडीएम करसोग से मिलकर इस मामले पर तुरंत उचित कार्रवाई किए जाने की मांग की है. एसडीएम ने भी मामले की गंभीरता को देखते हुए ब्लॉक एलीमेंट्री एजुकेशन ऑफिसर (Block Elementary Education Officer) को छानबीन करने के निर्देश जारी कर दो दिनों में रिपोर्ट मांगी है. राजकीय प्राथमिक पाठशाला सरकोल (Government Primary School Sarkol) के एसएमसी प्रधान हरीमन (SMC Head Hariman) का कहना है कि दो सालों से स्कूल का भवन अधूरा पड़ा है. बच्चे धूप और ठंड में बाहर बैठकर खुले में पढ़ाई करने को मजबूर हैं. उन्होंने सरकार से जल्द स्कूल भवन का कार्य जल्द पूरा करने की मांग की है, ताकि बच्चों को परेशानियों का सामना न करना पड़े.

एसडीएम सन्नी शर्मा (SDM Sunny Sharma) का कहना है कि राजकीय प्राथमिक पाठशाला सरकोल से संबंधित शिकायत प्राप्त हुई है. जहां गांव के लोगों का कहना है कि स्कूल भवन का निर्माण काफी समय से लंबित है. जिस कारण बच्चों को बाहर बैठना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि ब्लॉक एलीमेंट्री एजुकेशन ऑफिसर को निर्देश दिए गए हैं कि मामले की छानबीन करें और दो दिन में अपनी रिपोर्ट भेजें.

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Last Updated : Nov 24, 2021, 3:22 PM IST
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