कुल्लू: यूं तो सड़कों को हिमाचल की लाइफ लाइन कहा जाता है, लेकिन बरसात के मौसम में प्रदेश की सड़कों का हाल बेहाल हो चुका है. हालात ऐसे हैं कि सड़क में गड्ढा है या गड्ढे में सड़क समझना मुश्किल हो गया है.
जिला कुल्लू के ऊपरी इलाकों में अभी भी सेब का सीजन बाकी है और जापानी फल की फसल भी अब जल्द बाजार में आने को तैयार है, लेकिन खस्ताहाल सड़कें इस सीजन को खासा प्रभावित कर रही है.
खराब सड़क के कारण किसानों के उत्पाद मंडी तक नहीं पहुंच पाते हैं. जिला के कुछ इलाकों में खराब सड़कों के कारण सड़क हादसों का भी डर बना हुआ है तो वहीं, तीखे मोड़ के कारण भी कई लोग अभी तक अपनी जान गंवा चुके हैं. जिला की लगघाटी, महाराजा कोठी, मणिकर्ण घाटी के ग्रामीण सड़कें अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही हैं.
बरसात की वजह से हर साल प्रदेश को करोड़ों रुपये का नुकसान होता है. कुल्लू में साल 2019 में बरसात के कारण 10 करोड़ का नुकसान हुआ था. जिसमें अधिकतर सड़कें बंजार और मणिकर्ण घाटी की थी. इस साल भी बरसात की वजह से 2 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ है.
बात चाहे बिजली महादेव सड़क की हो या काईस से कोटाधार को जोड़ने वाली सड़क की. सभी बदहाली के आंसू बहा रही हैं. लोगों का कहना है कि अगर ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिकी मजबूत करनी हो तो पहले सड़कों की दशा को सुधारा जाए.
बरसात के दौरान हर साल सड़क को नुकसान पहुंचता है तो ऐसे में सड़क निर्माण के दौरान ही पूरी सावधानी बरती जाएं, ताकि सड़क लंबे समय तक सुरक्षित रह सके. वहीं, लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता एसके धीमान का कहना है कि कुल्लू डिवीजन-2 में बरसात के दौरान 2 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ है.
इसके अलावा सड़कों की मरम्मत का काम भी किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार की ओर से भी 1 करोड़ की राशि सड़कों के सुधार के मिली है. जल्द सभी सड़कों की हालत सुधारी जाएगी.
ये भी पढ़ेंः अनदेखी का शिकार बिलासपुर! स्पोर्ट्स हब होने के बावजूद पर्यटन की दृष्टि से आज भी पिछड़ा