ETV Bharat / city

हिमाचल में 13 हजार से अधिक ऊंचाई पर बना चाचा-चाची ढाबा जो बचा चुका है सैकड़ों सैलानियों की जान

author img

By

Published : Oct 28, 2021, 12:12 PM IST

Updated : Jan 4, 2022, 3:34 PM IST

himachal-chacha-chachi-dhaba-in-the-icy-desert-of-lahaul-spiti-saved-hundreds-tourist-lives
फोटो.

हिमाचल प्रदेश की दुर्गम पहाड़ियों में बसा लाहौल स्पीति जिला शीत मरुस्थल के नाम से जाना जाता है. समुद्र तल से 13 हजार फीट ऊंचाई पर मौजूद ढाबा अब तक सैकड़ों जिंदगियां बचा चुका है. चाचा-चाची के नाम से मशहूर हो चुके दोरजे व हिशे छोमो ने बीचे दिनों चंद्रताल में हुई बर्फबारी में फंसे सैकड़ों पर्यटकों को शरण देकर उनकी जान बचाई थी. अपनी करूणा और दया के चलते कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं.

लाहौल स्पीति: पश्चिमी हिमालय की बर्फ से लदी पहाड़ियां जहां पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं, वहीं कई बार बर्फ का रोमांच पर्यटकों के लिए खतरनाक भी साबित हो चुका है. इतनी ऊंची पहाड़ियों पर जहां जीवन की संभावना बहुत कम नजर आती है तो वहीं 13 हजार से भी अधिक फीट की ऊंचाई पर एक ऐसा ढाबा भी है जो आज तक सैकड़ों लोगों की जान बचा चुका है.

हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला लाहौल स्पीति में यह ढाबा आज भी मौजूद है और बर्फबारी के बीच आपातकालीन स्थिति में यह सैकड़ों लोगों का मददगार बन चुका है. भारत के स्वर्ग के रूप में जाने जाने वाले बर्फ से घिरे रहने वाला यह बर्फीला रेगिस्तान पर्यटकों को आकर्षित करता है, लेकिन अचानक होने वाली बर्फबारी के दौरान के जानलेवा भी हो जाता है. वहीं, बर्फीले रेगिस्तान के लोग ऐसे हैं जो इस ठंडे क्षेत्र में आने वाले सैलानी मेहमानों को आराम देने के लिए पर्याप्त प्यार वह अपनापन देते हैं.

वीडियो.

13084 फीट की ऊंचाई पर ढाबा चलाने वाले बुजुर्ग दंपति यहां बर्फबारी के दौरान फंसने वाले राहगीरों के पालनहार बने हैं. चाचा-चाची के नाम से दुनिया में मशहूर हो चुके दोरजे व हिशे छोमो ने बर्फबारी में फंसे सैकड़ों पर्यटकों को शरण देकर उनकी जान बचाई है. बीते सप्ताह भी चंद्रताल गए पर्यटक अधिक बर्फबारी के कारण बातल में फंस गए. ऐसे में चाचा-चाची ने मिलकर आपात स्थिति में ढाबा में 80 से अधिक लोगों को अपने पास रखा और उन्हें खाना भी खिलाया.

चाचा-चाची बीते 4 दशकों से बातल में उदारता प्रेम और दया की मिसाल बने हुए हैं. लाहौल स्पीति के बातल में जहां ना तो कोई मोबाइल नेटवर्क का सिग्नल है और ना ही कोई पेट्रोल पंप है. खतरनाक सड़कें भी वाहन चालक की परीक्षा लेती हैं. ऐसे में इन सब खतरों के बीच एक अस्थाई ढाबे पर बुजुर्ग जोड़ा यहां रुकने वाले हर व्यक्ति के लिए मनोरम भोजन और आरामदायक आवास सुनिश्चित करता है.

ढाबा चलाने वाले दोरजे का कहना है कि वह अपनी पत्नी के साथ हर साल अप्रैल महीने में मनाली से बातल के लिए पैदल सफर करते हैं और सबसे पहले यहां आकर रहना शुरू कर देते हैं. मई माह से ही काजा व चंद्र ताल की ओर पर्यटक अपना रुख करना शुरू करते हैं. ऐसे में इतनी ऊंचाई पर आने के चलते कई टूरिस्ट बीमार भी हो जाते हैं और वे जरूरत के हिसाब से पर्यटकों की मदद करते हैं. उन्हें दवाइयां भी उपलब्ध करवाते हैं.

उन्होंने बताया कि साल 1998 में बातल में अचानक बर्फबारी हो गई थी और उस बर्फबारी में 106 पर्यटक फंस गए थे. जिनमें 36 विदेशी पर्यटक भी शामिल थे. उस दौरान 4 फुट से अधिक बर्फबारी हुई थी. जिसके चलते कई सैलानियों की जिंदगी भी खतरे में पड़ गई थी, लेकिन मुसीबत की घड़ी में उन्होंने और उनकी पत्नी ने सैलानियों को बर्फबारी से बाहर निकाला और 6 दिनों तक अपने पास रखा. मौसम खुलने के बाद प्रशासन के द्वारा सभी पर्यटकों को रेस्क्यू किया गया.

इसी तरह साल 2010 में भी कुंजुम दर्रे पर 45 पर्यटक 8 दिनों तक फंसे रहे. उस दौरान भी सभी पर्यटकों को चाचा-चाची ने अपने पास रखा और फिर हेलीकॉप्टर के माध्यम से उन्हें यहां से प्रशासन के द्वारा रेस्क्यू किया गया. दोरजे व उनकी पत्नी हिशे का कहना है कि बीते 45 सालों से वे इस वीरान इलाके में अपना ढाबा चला रहे हैं और सर्दियों में बर्फबारी होने से पहले वे वापस मनाली आ जाते हैं. ऐसे में काजा व चंद्रताल घूमने आने वाले पर्यटकों व लोगों के लिए उनका ढाबा राहत का काम करता है.

गौर रहे कि सैकड़ों लोगों की जान बचाने वाले चाचा-चाची अपनी दया व करुणा के चलते कई बार राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार के लिए सम्मानित भी हो चुके हैं और हिमाचल प्रदेश की सरकार भी इन्हें विशेष रूप से सम्मानित कर चुकी है. जिनमें गॉडफ्रे फिलिप्स ब्रेवरी की ओर से माइंड ऑफ स्टील स्पेशल अवार्ड, पल्स ऑफ इंडिया का ब्रेवरी अवार्ड, राजस्थान रॉयल क्लब और विदेशी क्लब से भी अवार्ड मिल चुके हैं.

ये भी पढ़ें: बाढ़ आने से पहले मिलेगी सटीक जानकारी, रिसर्च में जुटे NIT हमीरपुर के विशेषज्ञ

Last Updated :Jan 4, 2022, 3:34 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.