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यमुनानगर में राइस मिलर्स की हड़ताल: नई पॉलिसी का विरोध कर डीसी को सौंपा ज्ञापन

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Dec 29, 2023, 12:40 PM IST

Updated : Dec 29, 2023, 1:12 PM IST

rice miller strike yamunanagar
rice miller strike yamunanagar

Rice Miller Strike In Yamunanagar: हरियाणा के यमुनानगर में 187 राइस मिलर्स हड़ताल पर हैं. राइस मिलर्स सरकार की नई पॉलिसी का विरोध कर रहे हैं. राइस मिल संचालकों का कहना है कि वो नई पॉलिसी के अनुसार चावल की सप्लाई नहीं दे सकते. इसलिए उन्होंने हड़ताल का फैसला किया है.

यमुनानगर में राइस मिलर्स की हड़ताल

यमुनानगर: हरियाणा के यमुनानगर में राइस मिलर्स की हड़ताल जारी है. वीरवार को राइस मिलरों ने मांगों का ज्ञापन जिला उपायुक्त को सौंपा था. जिले के 187 राइस मिलर्स हड़ताल पर हैं. राइस मिलरों का कहना है कि इस बार सरकार की तरफ से उनको धान की 16000 गाड़ियां मिलिंग के लिए दी गई है. राइस मिलों को धान की मिलिंग कर सरकार को निर्धारित समय में चावल वापस करना होता है. इसके लिए राइस मिलर जनवरी से शेड्यूल जारी करने की मांग कर रहे हैं.

पॉलिसी के मुताबिक नवंबर-दिसंबर तक 25 फीसदी, जनवरी तक 45 फीसदी, फरवरी तक 70 फीसदी, मार्च तक 90 फीसदी और अप्रैल तक 100 फीसदी चावल सरकार को देना होता है. नई पॉलिसी के कारण मिलर सरकार को चावल का एक दाना भी नहीं दे पाए हैं. मिलर्स चावल सप्लाई की नई पॉलिसी का विरोध कर रहे हैं. राइस मिल संचालकों का कहना है कि वो नई पॉलिसी के अनुसार चावल की सप्लाई नहीं दे सकते. इसलिए उन्होंने हड़ताल का फैसला किया है.

बता दें कि राइस मिलरों को सरकार धान देती है. राइस मिलर उस धान से चावल निकाल कर सरकार को वापस करते हैं. इसे लेकर सरकार और राइस मिलरों के बीच पॉलिसी बनती है. इस बार पॉलिसी में सरकार ने नए नियम शामिल किए हैं. इनका राइस मिलर विरोध कर रहे हैं. राइस मिलर एसोसिएशन के प्रधान प्रवीन कुमार अग्रवाल ने बताया कि सरकार ने चावल में एफआरके (फोर्टिफाइड राइस कर्नेल) की दो साल की गारंटी उनसे स्टांप पेपर पर मांगी है.

उन्होंने कहा कि सरकार की ये शर्त गलत है. क्योंकि राइस मिलर धान से चावल निकाल कर उसमें एक प्रतिशत एफआरके मिक्स करते हैं. पिछले साल भी मिक्स किया था. इससे कोई दिक्कत राइस मिलरों को नहीं है. उनका कहना है कि राइस मिलर की जिम्मेदारी अपने राइस मिल से एफआरके मिक्स कर बेहतर क्वालिटी का चावल देने की है. आगे गोदामों में रखे चावल की जिम्मेदारी राइस मिलर की नहीं होनी चाहिए.

राइस मिलर सरकार की ओर से तय रिपोर्ट के आधार पर एफआरके कंपनियों से लेकर चावल में मिक्स करते हैं. गोदाम में पहुंचने से पहले उसकी दो से तीन बार जांच होती है. बता दें कि एफआरके मिक्स होने के बाद चावल फोर्टिफाइड चावल बन जाता है. इसमें कई तरह के पोषक तत्व खासकर विटामिन होता है. राइस मिल संचालकों ने बताया कि सरकार की नई पॉलिसी से एक-एक मिल संचालक को 25 से 30 लाख रुपये की होल्डिंग देनी पड़ेगी.

उनकी मांग है कि इसका शेड्यूल जनवरी से जारी किया जाए. वहीं, एफआरके में 18 प्रतिशत जीएसटी उनसे ली जाती है, लेकिन पांच प्रतिशत ही वापस मिलती है. इसमें सीधा 13 प्रतिशत का नुकसान होता है. उनसे 18 की जगह पांच प्रतिशत ही लिया जाए. वहीं, विंग्स एप सरकार लेकर आई है. इस एप में कई बार करनाल और पानीपत में चावल की सप्लाई करनी पड़ जाती है. वहां का किराया 18 हजार रुपये एक गाड़ी का किराया होता है, लेकिन मिलर को सरकार से पांच हजार ही मिलता है. जिससे मिलर्स को नुकसान होता है. इन्हीं सभी मांगों पर राइस मिलर्स हड़ताल पर हैं.

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Last Updated :Dec 29, 2023, 1:12 PM IST
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