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सिरसा की बेटियों ने रचा इतिहास, एक ही जिले की चार बेटियां बनीं जज

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Published : Oct 20, 2022, 2:15 PM IST

सिरसा की बेटियों ने सिविल जज की परीक्षा पास कर इतिहास रच दिया (daughters became judges in sirsa) है. जिले की चार बेटियां जज बनी हैं. बेटियों के जज बनने पर परिवार वालों में खुशी का माहौल बना हुआ है.

daughters became judges in sirsa
सिरसा में जज बनीं बेटियां

सिरसा: हरियाणा के सिरसा में अपनी मेहनत के बलबूते पर यहां की बेटियों ने बड़े से बड़ा मुकाम हासिल किया है. जिसका जीता जागता उदाहरण सिरसा की चार बेटियों ने दिया है. जिले की चार बेटियों ने इतिहास रचते हुए सिविल सेवा न्यायिक परीक्षा पास कर जज बनने में सफलता हासिल की (civil services judicial exam) है. जज बनने वाली बेटियों में सिरसा कोर्ट कालोनी की रहने वाली जैस्मीन प्रीत कौर (Jasmin Preet Kaur Of Sirsa Became The Judge) हैं.

ऐलनाबाद के गांव अमृतसर खुर्द की रहने वाली जसप्रीत कौर के साथ ही मौजदीन गांव निवासी रेनू बाला और चौथी बेटी सिरसा के डबवाली के गांव चौटाला की रहने वाली संतोष हैं. जज बनने की खबर मिलते ही इन परिवारों में बधाई देने वाले लोगों का तांता लगा हुआ है. सिविल जज संतोष ने अपनी स्कूल की शिक्षा डबवाली और हिसार से की है. उसके बाद उन्होंने ग्रेजुएशन हिंदू कॉलेज और दिल्ली यूनिवर्सिटी से कंप्लीट किया.

बीकॉम करने के दौरान उन्होंने प्रोफेशनल कोर्स में लॉ किया. एलएलबी बाद उन्होंने जुडिशरी किया. अपने पहले के ही प्रयास में उन्होंने यह मुकाम हासिल कर लिया (daughters became judges in sirsa) है. वहीं दूसरी तरफ हरियाणा का नाम रोशन करने वाली मौजदीन गांव की सिविल जज बनी रेणु बाला ने बताया कि पहले ही प्रयास में उन्होंने यह सफलता हासिल की है. उन्होंने कहा कि उनके सर ने बहुत सहायता की है.

रेणु ने बताया कि जो बच्चे पैसे नहीं भर सकते थे, उनकी भी उन्होंने सहायता की और दिन रात मेहनत करवाई. उनके बचपन में ही पिता गुजर गए थे और उनके मामा ने उनका पालन पोषण किया. जिस कारण वह आज इस मुकाम पर पहुंच पाई हैं. उन्होंने दूसरी लड़कियों को भी दिल लगाकर पढ़ने और आगे बढ़ने की सलाह दी. वहीं रेणु की माता गुरमीत कौर ने बेटी की सफलता पर खुशी जाहिर की है और मामा ने भी रेणू के संघर्षों के बारे में बताया (Sirsa Four daughters became judges) है. ऐलनाबाद की रहने वाली सिविल जज बनी जसप्रीत कौर ने बताया कि जब वह कॉलेज में द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रही थी तभी से उन्होंने तैयारी शुरू कर दी थी.

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कोविड के दौरान परीक्षा में देरी हुई, लेकिन कोविड काल के समय को सदुपयोग कर घर पर ही सेल्फ स्टडी शुरू की. बचपन मे ही सिर से पिता का साया उठ गया, लेकिन मां और भाई ने पिता की कमी कभी महसूस नहीं होने दी. उन्होंने बताया कि मेरी पढ़ाई में मेरे लिए सारथी की तरह काम किया. मां का सपना था मैं जज बनूं. मेरी मां मेरे लिए भगवान हैं. उनके सपने को पूरा करने की लगन ने मुझे हमेशा सकारात्मक ऊर्जा दी. अगर आपके हौसले मजबूत है तो कोई बाधा आपको कामयाब होने से नहीं रोक सकते गरीब से गरीब व्यक्ति भी आईएस आईपीएस व न्यायाधीश बन सकता (Four daughters became judges in Haryana) है.

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