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हरियाणा के सतीश चोपड़ा जरूरतमंदों के लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं, समाज सेवा का ऐसा जुनून कि खुद को कर दिया 'स्वाह' - Satish Chopra Social Worker

Satish Chopra Social Worker Faridabad: फरीदाबाद जिले के 47 वर्षीय सतीश चोपड़ा चर्चा का विषय बने हैं. समाजसेवा का जुनून उनके सिर पर इस कदर सवार है कि उन्होंने अपना परिवार और अपनी इच्छाओं को त्याग दिया. वो 24 घंटे लोगों की सेवा के लिए उपलब्ध रहते हैं.

Satish Chopra Social Worker Faridabad
Satish Chopra Social Worker Faridabad (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jun 15, 2024, 9:46 AM IST

हरियाणा के सतीश चोपड़ा जरूरतमंदों के लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं (Etv Bharat)

फरीदाबाद: हरियाणा के फरीदाबाद जिले के 47 वर्षीय सतीश चोपड़ा ने अपनी जिंदगी दूसरों को समर्पित कर दी है. वो 24 घंटे लोगों की सेवा के लिए उपलब्ध रहते हैं. जब भी उनको पता लगता है कि कोई गरीब व्यक्ति, जिसे इलाज की जरूरत है. वो खुद उनके पास पहुंचकर उन्हें अस्पताल में इलाज के लिए लाते हैं. इस काम के लिए उन्होंने एक एंबुलेंस भी ले ली है, ताकि किसी को कोई मेडिकल जरूरत हो, तो वो मरीज को बिना किसी देरी के अस्पताल पहुंचा सके.

फरीदाबाद में समाज सेवी सतीश चोपड़ा: यही नहीं, जिस गरीब के पास अंतिम संस्कार के पैसे नहीं होते, तो सतीश चोपड़ा खुद जाकर उन शवों का अंतिम संस्कार करते हैं. इसके अलावा अगर कहीं भी किसी शादी पार्टी में खाना बच जाता है, तो सतीश वहां पहुंचकर उन खाने को लेकर गरीबों में बांटते हैं. झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को किताबें, चप्पल, कपड़े वितरित करते रहते हैं.

बचपन से ही समाजसेवा करना चाहते थे सतीश: ईटीवी भारत से बातचीत में सतीश चोपड़ा ने कहा "मुझे बचपन से ही समाज सेवा का शौक था. मैं अपने काम के साथ लोगों की भी मदद करता था. खास तौर पर उन लोगों की, जिनको मेडिकल की सुविधा चाहिए या जो गरीब और अनाथ हो. यही वजह है कि मैं इन कामों में लग रहा. किसी गरीब, मजदूर का कोई इलाज करवाना है, तो मैं खुद सिविल अस्पताल में जाकर इलाज कराता था. मैं पहले मोबाइल की दुकान चलाता था, तब मुझे लगा कि मेरा लक्ष्य सिर्फ समाज सेवा करना है. उसके बाद 2015 में मैंने मोबाइल शॉप बंद कर दी और समाज सेवा में जुट गया."

सतीश के परिजन हो गए थे नाराज: उन्होंने कहा "शुरुआत में मैंने अपने दोस्तों का ग्रुप बनाया, ताकि फाइनेंशियल दिक्कत ना आए, लेकिन मेरे इस फैसले से परिवार वाले नाराज हो गए. वो चाहते थे कि मैं शादी करके दूसरों की तरह सेटल हो जाऊं, लेकिन मेरे अंदर जुनून था. समाजसेवा करने का और यही वजह है कि मैंने परिवार की नहीं सुनी और अपने काम में आगे बढ़ता गया. आज मेरे परिवार वाले मेरे काम को देखकर काफी खुश हैं, मुझे कहीं भी पता लगता है कि गरीब व्यक्ति को मेडिकल सुविधा चाहिए, तो मैं खुद वहां पहुंच कर अपनी गाड़ी में उसे बिठाकर लेकर जाता हूं और सिविल अस्पताल में उसका इलाज करवाता हूं."

सतीश ने खुद को समाजसेवा के लिए किया समर्पित: सतीश ने बताया "कई बार ऐसा भी होता है कि लोग मुझे फोन करते हैं कि यहां पर डेड बॉडी पड़ी है. उसको लेकर मैं सिविल अस्पताल जाता हूं. फिर उसका पोस्टमार्टम करवाने के बाद उसकी विधि विधान से अंतिम संस्कार करता हूं. इसके अलावा कहीं भी शादी पार्टी होती है और वहां अगर खाना बच जाता है और मुझे पता लगता है, तो मैं वहां जाकर खुद खाना लेकर गरीब में उसे बांटता हूं. हालांकि अब लोग मुझे फोन करने लगे हैं कि हमारे यहां खाना बच गया है. अब मुझे बहुत लोगों का साथ मिल रहा है. कई लोग ये भी कहते हैं कि ये पागल है. इसका दिमाग काम नहीं करता. दिन भर अस्पताल के चक्कर काटता रहता है."

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हरियाणा के सतीश चोपड़ा जरूरतमंदों के लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं (Etv Bharat)

फरीदाबाद: हरियाणा के फरीदाबाद जिले के 47 वर्षीय सतीश चोपड़ा ने अपनी जिंदगी दूसरों को समर्पित कर दी है. वो 24 घंटे लोगों की सेवा के लिए उपलब्ध रहते हैं. जब भी उनको पता लगता है कि कोई गरीब व्यक्ति, जिसे इलाज की जरूरत है. वो खुद उनके पास पहुंचकर उन्हें अस्पताल में इलाज के लिए लाते हैं. इस काम के लिए उन्होंने एक एंबुलेंस भी ले ली है, ताकि किसी को कोई मेडिकल जरूरत हो, तो वो मरीज को बिना किसी देरी के अस्पताल पहुंचा सके.

फरीदाबाद में समाज सेवी सतीश चोपड़ा: यही नहीं, जिस गरीब के पास अंतिम संस्कार के पैसे नहीं होते, तो सतीश चोपड़ा खुद जाकर उन शवों का अंतिम संस्कार करते हैं. इसके अलावा अगर कहीं भी किसी शादी पार्टी में खाना बच जाता है, तो सतीश वहां पहुंचकर उन खाने को लेकर गरीबों में बांटते हैं. झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को किताबें, चप्पल, कपड़े वितरित करते रहते हैं.

बचपन से ही समाजसेवा करना चाहते थे सतीश: ईटीवी भारत से बातचीत में सतीश चोपड़ा ने कहा "मुझे बचपन से ही समाज सेवा का शौक था. मैं अपने काम के साथ लोगों की भी मदद करता था. खास तौर पर उन लोगों की, जिनको मेडिकल की सुविधा चाहिए या जो गरीब और अनाथ हो. यही वजह है कि मैं इन कामों में लग रहा. किसी गरीब, मजदूर का कोई इलाज करवाना है, तो मैं खुद सिविल अस्पताल में जाकर इलाज कराता था. मैं पहले मोबाइल की दुकान चलाता था, तब मुझे लगा कि मेरा लक्ष्य सिर्फ समाज सेवा करना है. उसके बाद 2015 में मैंने मोबाइल शॉप बंद कर दी और समाज सेवा में जुट गया."

सतीश के परिजन हो गए थे नाराज: उन्होंने कहा "शुरुआत में मैंने अपने दोस्तों का ग्रुप बनाया, ताकि फाइनेंशियल दिक्कत ना आए, लेकिन मेरे इस फैसले से परिवार वाले नाराज हो गए. वो चाहते थे कि मैं शादी करके दूसरों की तरह सेटल हो जाऊं, लेकिन मेरे अंदर जुनून था. समाजसेवा करने का और यही वजह है कि मैंने परिवार की नहीं सुनी और अपने काम में आगे बढ़ता गया. आज मेरे परिवार वाले मेरे काम को देखकर काफी खुश हैं, मुझे कहीं भी पता लगता है कि गरीब व्यक्ति को मेडिकल सुविधा चाहिए, तो मैं खुद वहां पहुंच कर अपनी गाड़ी में उसे बिठाकर लेकर जाता हूं और सिविल अस्पताल में उसका इलाज करवाता हूं."

सतीश ने खुद को समाजसेवा के लिए किया समर्पित: सतीश ने बताया "कई बार ऐसा भी होता है कि लोग मुझे फोन करते हैं कि यहां पर डेड बॉडी पड़ी है. उसको लेकर मैं सिविल अस्पताल जाता हूं. फिर उसका पोस्टमार्टम करवाने के बाद उसकी विधि विधान से अंतिम संस्कार करता हूं. इसके अलावा कहीं भी शादी पार्टी होती है और वहां अगर खाना बच जाता है और मुझे पता लगता है, तो मैं वहां जाकर खुद खाना लेकर गरीब में उसे बांटता हूं. हालांकि अब लोग मुझे फोन करने लगे हैं कि हमारे यहां खाना बच गया है. अब मुझे बहुत लोगों का साथ मिल रहा है. कई लोग ये भी कहते हैं कि ये पागल है. इसका दिमाग काम नहीं करता. दिन भर अस्पताल के चक्कर काटता रहता है."

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