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हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में इस साल अब तक 38 प्रतिशत की आई कमी, किसान ऐसे करें निपटारा

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Nov 14, 2023, 7:22 PM IST

Stubble Burning Cases in Haryana
Stubble Burning Cases in Haryana

Stubble Burning Cases in Haryana: हरियाणा में 3 सैटेलाइट लगातार दिन-रात पराली जलाने की घटनाओं की निगरानी कर रहे हैं. सरकार और विभाग की ओर से उठाए गए कदमों से पराली जलाने के मामलों में पिछले साल की तुलना में 48 प्रतिशत कमी दर्ज की गई थी, वहीं इस बार अभी तक 38 प्रतिशत पराली जलाने के मामले कम आये हैं. यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के निदेशक डॉक्टर नरहरि सिंह बांगड़ ने मंगलवार को रोहतक में दी.

रोहतक: कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के नरहरि सिंह बांगड़ कृषि विभाग की ओर से आयोजित किसान क्लब की मासिक बैठक में पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने बताया कि 2021 में प्रदेश में पराली जलाने के 6987 मामले, 2022 में 3661 मामले तथा 2023 में अब तक 1857 मामले दर्ज किए गए हैं. सरकार द्वारा इस वर्ष अब तक पराली जलाने वालों से साढ़े 5 लाख रुपये की जुर्माना राशि वसूल की गई है. इस साल प्रदेश के किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए 300 करोड़ रुपए की कृषि मशीनरी अनुदान पर उपलब्ध करवाई गई है.

फसल विविधिकरण अपनाएं किसान- डॉक्टर बांगड़ ने किसानों से कहा कि वो फसल विविधिकरण को अपनायें. सरकार धान की फसल के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसल उगाने पर 7 हजार रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि देती है. धान की सीधी बिजाई करने वाले किसानों को प्रोत्साहन के रूप में 4 हजार रुपये प्रति एकड़ की राशि मिलती है. डॉक्टर नरहरि बांगड़ ने यह भी बताया कि प्रदेश में कपास को गुलाबी सूंडी के प्रकोप से बचाने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग किसानों को जागरूक करनेके लिए राज्यव्यापी अभियान चला रहा है.

15 अप्रैल के बाद करें कपास की बिजाई- उन्होंने किसानों से कहा कि वे कपास की अगेती या 15 मई के बाद बिजाई न करें बल्कि कपास की बिजाई कृषि विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार 15 अप्रैल से 15 मई के बीच करें. कपास में गुलाबी सूंडी का प्रकोप होने से 20 से 22 प्रतिशत तक उत्पादन में कमी हो जाती है. किसान अधखिले टिंडो को भी घरों में ना रखें, बल्कि इनका उचित प्रबंधन करें. इन्हें मिट्टी में मिलाकर भूमि की उपजाऊ शक्ति भी बढ़ाई जा सकती है. उन्होंने कहा कि प्रदेश के 10 जिलों में लगभग 15 लाख एकड़ में कपास की खेती की जाती है, जिससे लगभग ढाई लाख परिवार जुड़े हुए हैं. रोहतक जिले में 12 हजार एकड़ क्षेत्र में कपास की फसल की खेती की जाती है. सरकार द्वारा कपास का समर्थन मूल्य 6620 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है.

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