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Banana Farming in Rohtak: विदेश में प्रोजेक्ट मैनेजर की नोकरी छोड़ 7 एकड़ में लगा दिया केले का बाग, अब लाखों में होगी कमाई

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Sep 26, 2023, 2:38 PM IST

Updated : Sep 29, 2023, 9:02 AM IST

Best time to planted banana variety Banana Farming in Rohtak
विदेश में प्रोजेक्ट मैनेजर की नोकरी छोड़ 7 एकड़ में लगा दिया केले का बाग

Banana Farming in Rohtak हरियाणा के रोहतक जिले में पूर्व नेवी ऑफिसर, पूर्व अध्यापक कुलबीर नरवाल ने विदेश में प्रोजेक्ट मैनेजर की नौकरी छोड़ करीब 7 एकड़ में केले का बाग दिया है. कुलबीर नरवाल ने करीब 7 एकड़ जमीन में केले की G9 वैरायटी लगाई है. केले की बागवानी से अब उन्हें अच्छी तमाई की उम्मीद है. (Best time to planted banana variety)

पूर्व नौसेना अधिकारी ने विदेश में नौकरी छोड़ रोहतक में शुरू की केले की बागवानी.

रोहतक: जहर मुक्त भोजन बनाने और किसान को कर्ज में देख पूर्व नेवी ऑफिसर, पूर्व अध्यापक और विदेश में ऑयल इंडस्ट्री के प्रोजेक्ट मैनेजर ने अपने गांव में पहुंच कर केले की बागवानी शुरू कर दी. अपनी जमीन न होते हुए भी उन्होंने हौसला नहीं हारा, बल्कि 24 एकड़ जमीन पट्टे पर लेकर केले की बागवानी शुरू कर दी.

परंपरागत खेती छोड़ पूर्व नेवी ऑफिसर ने शुरू की केले की बागवानी: रोहतक जिले के रिठाल गांव के रहने वाले कुलबीर नरवाल ने अपने गांव से 70 किलोमीटर दूर जाकर परंपरागत खेती छोड़ केले की बागवानी की है. कुलबीर नरवाल ने करीब 7 एकड़ जमीन में केले की G9 वैरायटी लगाई है. अक्सर यह वैरायटी यहां की जलवायु में नहीं होती, लेकिन कड़ी मेहनत लगन और किसानों को जहर मुक्त भजन और उनकी आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य रख कुलबीर नरवाल ने यह बीड़ा उठाया है.

शुरू-शुरू में लोगों ने काफी टोका, लेकिन मेरा लक्ष्य था कि क्यों न लोगों को जहर मुक्त भोजन करवाया जाए. मेरे पास खुद की केवल 2 एकड़ जमीन है जो पैतृक गांव में है. ऐसे में रोहतक जिले के ही फरमाना खास गांव में 24 एकड़ जमीन 10 साल के पट्टे पर लेकर उसमें केले की बागवानी शुरू की है.लोगों को परंपरागत खेती को छोड़कर बागवानी की तरफ बढ़ना चाहिए, ताकि उनकी आमदनी को बढ़ाया जा सके. - कुलबीर नरवाल, बागवान

विदेश में प्रोजेक्ट मैनेजर की नौकरी छोड़ रोहतक में शुरू की केले की बागवानी: कुलबीर नरवाल कहते हैं 'बागवानी विभाग के अधिकारी भी समय-समय पर आकर समस्याओं को सुनते हैं और प्रेरित करते हैं. जल्द ही फसल तैयार होगी. केले से काफी मुनाफा होने की उम्मीद है. इसको देखकर और किसान भी हर रोज यहां पर केले की बागवानी की जानकारी लेने के लिए आते हैं.'

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केले की बागवानी के लिए जानकारी लेने आ रहे अन्य किसान.

नेवी से लेकर बागवानी तक का सफर: कुलबीर नरवाल 15 साल तक नेवी में अधिकारी के तौर पर तैनात थे. उसके बाद उन्होंने सरकारी अध्यापक के पद पर नियुक्त हो गए. उसके बाद वह 15 साल तक ऑयल इंडस्ट्री में दूसरे देश में चले गए. लेकिन, उन्हें बार-बार एक ही तकलीफ हो रही थी कि वह लोगों को जहर मुक्त भोजन कैसे दें और किसान की आय को कैसे बढ़ाया जाए. उन्होंने कहा कि मेरी तरह कोई भी किसान परंपरागत खेती को छोड़कर बागवानी की तरफ बढ़ सकता है.

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हरियाणा के रोहतक जिले में पूर्व नेवी ऑफिसर, पूर्व अध्यापक कुलबीर नरवाल ने शुरू की केले की बागवानी.

बागवानी को और बढ़ाना चाहते हैं कुलबीर नरवाल: कुलबीर नरवाल ने कहा कि फरवरी में और अधिक केले की बागवानी करने का लक्ष्य रखा गया है. उन्होंने कहा कि केले की खरीद भी उनकी खेत से ही हो जाती है, बाजार में नहीं जाना पड़ता. इसलिए बागवानी में खर्च भी काम आता है और नुकसान की भी आशंका कम है. कुलबीर नरवाल ने बताया कि वह कोई भी हानिकारक खाद या दवाई बागवानी में नहीं डालते. उन्होंने खुद ही देसी खाद तैयार किया है, जिससे उनकी फसल बेहतर हुई है.

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केले से कुलबीर नरवाल को अच्छी आमदनी की उम्मीद.

परंपरागत खेती छोड़कर बागवानी में रुचि दिखा रहे किसान: वहीं दूसरी और गांव के ही किसान जितेंद्र ने बताया कि उन्हें भरोसा ही नहीं हो रहा कि ऐसी जलवायु में भी इस तरह की बागवानी हो सकती है. उन्होंने कहा कि कभी सोचा भी नहीं था कि केले की खेती उनके गांव में हो सकती है. इसलिए वह कुलबीर नरवाल से ट्रेनिंग ले रहे हैं. आने वाले समय में धान और गेहूं जैसी परंपरागत खेती को छोड़कर बागवानी की तरफ बढ़ेंगे. उन्होंने कहा कि बागवानी में परंपरागत खेती से काफी मुनाफा है, इसलिए वह अगली बार बागवानी की तरफ बढ़ेंगे और अपने खेत में भी केले की खेती करेंगे.

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क्या कहते हैं स्थानीय किसान?: वहीं, गांव फरमाना खास के ही रहने वाले एक और किस राजेश ने बताया कि उनके गांव में केले की खेती होना आश्चर्य की बात है. लेकिन, कुलबीर नरवाल के सामने यह साबित कर दिखाया है. ऐसे में वह केले की बागवानी करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि परंपरागत खेती में काफी खर्च आता है, जबकि केले की बागवानी में खर्च नहीं आता और मुनाफा भी ज्यादा है. इसलिए वह कुलबीर नवल से काफी प्रेरित है और वह भविष्य में केले की खेती करना चाहते हैं.

क्या कहते हैं उद्यान अधिकारी: जिला उद्यान अधिकारी कमल सैनी ने बताया कि केला भारतवर्ष में सबसे ज्यादा उगाया जाता है. उन्होंने बताया कि मुख्य रूप से दक्षिण हरियाणा में इसकी बागवानी की जाती है. वैसे तो थोड़े से गर्म क्षेत्र की फसल होती है. दक्षिण हरियाणा के अंदर इसकी खेती होती है. हरियाणा सरकार भी पिछले कई सालों से हरियाणा के अंदर केले की बागवानी को लेकर स्कीम बनी है. मिशन इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट हॉर्टिकल्चर जिसके अंतर्गत किसानों के लिए सब्सिडी की स्कीम बनाई गई है. कमल सैनी ने कहा कि कुलबीर नरवाल बेहतरीन बेहतरीन किसानों में से एक हैं, जिन्होंने परंपरागत खेती छोड़ बागवानी की तरफ रुचि दिखाई है. केले की बागवानी फायदे का सौदा है जो कुलबीर ने केले की फसल लगाई थी वो दिवाली के आसपास तैयार हो जाएगा. उन्होंने ने बताया कि बस थोड़ा सा मैनेजमेंट तापमान को लेकर भी करना चाहिए. उन्होंने कहा कि यहां पर सर्दी में तापमान कई बार 10 डिग्री से नीचे चला जाता है और गर्मी में 40 डिग्री से ज्यादा नहीं होना चाहिए.

केला लगाने का सही समय क्या है?: बता दें कि केले की रोपाई के लिए जून-जुलाई सटीक समय है। सेहतमंद पौधों की रोपाई के लिए किसानों को पहले से तैयारी करनी चाहिए. बिजाई के लिए मध्य फरवरी से मार्च का पहला सप्ताह उपयुक्त होता है. उत्तरी भारत में तटीय क्षेत्रों में, जहां उच्च नमी और तापमान जैसे 5-7 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान जरूरी है.

बरसात के मौसम में केले में सिंचाई की जरूरत नहीं: उद्यान अधिकारी कमल सैनी ने बताया कि केले को बरसात के मौसम में सिंचाई की जरूरत नहीं होती है. लेकिन, गर्मी के मौसम में 5 से 7 दिन और ठंड के मौसम में 10 से 12 दिन के अंतराल पर सिंचाई की जरूरत पड़ती है. उन्होंने कहा कि, केले के पौधे के बढ़ने के साथ-साथ नीचे की पत्तियां सूखने लगती हैं. जिन्हें समय-समय पर काट कर हटाते रहना चाहिए. पौधों के कुछ बड़े होने के बाद भूमि से पौधे के बगल से छोटे-छोटे नए पौधे निकलते रहते हैं. जिन्हें समय-समय पर हटाते रहना चाहिए. यह कार्य 45 दिन में एक बार जरूर करना चाहिए.

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Last Updated :Sep 29, 2023, 9:02 AM IST
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