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रेवाड़ी में है 'मौत की पाठशाला', खंडहर नुमा स्कूल में पढ़ते हैं बच्चे

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Published : Dec 21, 2019, 11:49 PM IST

रेवाड़ी में खंडहर हो चुकी हवेली में मासूमों की जान की परवाह ना करके स्कूल का संचालन किया जा रहा है. इस स्कूल में बच्चे ही नहीं बल्कि टीचर तक पढ़ाने से डरते हैं.
rewari government school in bad condition
रेवाड़ी में है मौत की पाठशाला

रेवाड़ी: सरकार के बेहतर शिक्षा के तमाम दावे रेवाड़ी के इस स्कूल को देखकर खोखले साबित हो रहें है. करीब 100 साल पुरानी खंडहर बिल्डिंग, टूटी डेस्क, बदबूदार पानी, टपकती छत, काले धुएं से अटी दीवारें. ये पहचान है रेवाड़ी शहर के बीचोंबीच स्थित राजकीय प्राथमिक पाठशाला नंबर 4 की.

इस सरकारी स्कूल में पहली से पांचवी तक करीबन 59 बच्चें है और दो शिक्षकों इन्हें पढ़ाते हैं. यहां केवल वही बच्चें आने को मजबूर है जो परिवार अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में नहीं पढ़ा सकते. इस स्कूल में बच्चे ही नहीं बल्कि टीचर तक पढ़ाने से डरते हैं.

रेवाड़ी में है मौत की पाठशाला, देखें वीडियो

प्रशासन से गुहार लगाने के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई
जानकारी के मुताबाति स्कूल स्टाफ और बच्चों ने पिछले कई सालों से शिक्षा विभाग से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों तक गुहार लगाई है लेकिन आज तक किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया.

टॉयलेट की व्यवस्था नहीं
स्कूल के बच्चों ने बताया कि स्कूल में टॉयलेट तक की व्यवस्था नहीं है. वहीं बरसात में स्कूल की छत टपकती है और कभी भी गिरने का खतरा उनके सिर पर मंडराता रहता है. स्कूल में मिड-डे-मील चूल्हे पर पकाया जाता है. चूल्हे से निकलने वाला धूंए से बच्चों की आंखों से आंसू टपकने लगते हैं. क्योंकि धूंए का गुब्बार पूरे स्कूल में भर जाता है.

कांग्रेस विधायक ने किया दौरा

वहीं कांग्रेस विधायक चिरंजीव राव ने स्कूल का दौरा किया. कांग्रेस विधायक चिरंजीव राव ने कहा कि हमारे लिए बच्चों का भविष्य बेहद जरूरी है. लेकिन जिस तरह सरकार सर्व शिक्षा अभियान और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देते नहीं थक रही. वहीं स्वच्छ भारत जैसा यहां कुछ नहीं है और सरकार के दावे सिर्फ कागजी कार्रवाई तक सिमट कर रह गए हैं.

उन्होंने माना कि स्कूल में बहुत सारी खामियां है. जिसको लेकर वो उपायुक्त से बात करेंगे और नौनिहालों के लिए बने इस शिक्षा के मंदिर को शिफ्त या दुरुस्त कराने के लिए कोई विकल्प जल्द ही तलाश करेंगे.

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Intro:रेवाड़ी, 18 दिसंबर।


Body:करीब 100 साल पुरानी खंडहर बिल्डिंग, टूटी डेस्क, बदबूदार पानी, टपकती छत, काले धुएं से अटी दीवारें यह कोई भूतिया हवेली नही, बल्कि देश का भविष्य कहलाने वाले उन नौनिहालों के लिए बना शिक्षा का मंदिर है, जहां पढ़ने वाले बच्चे चिल्ला चिल्ला कर कह रहे हैं कि खट्टर अंकल मौत की इस बिल्डिंग से बाहर निकालो हमें यहां डर लगता है कहीं बिल्डिंग गिर ना जाए जी हां दरअसल हम बात कर रहे हैं रेवाड़ी शहर के बीचोंबीच स्थित राजकीय प्राथमिक पाठशाला नंबर 4 की जिसे लेकर सकून स्टाफ और नौनिहालों द्वारा पिछले कई सालों से शिक्षा विभाग से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों और सरकार तक गुहार लगाई गई लेकिन आज तक किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जैसे ही यह खबर खट्टर सरकार में कांग्रेसी विधायक चिरंजीव राव को लगेगी अपने समर्थकों सहित सुबह सवेरे ही स्कूल का निरीक्षण करने पहुंच गए अचानक विधायक को सकून में देख नन्हे-मुन्ने बच्चों ने उन्हें अपना उन्हें बताया कि स्कूल में टॉयलेट तक की व्यवस्था नहीं है बरसात के दिनों में जहां स्कूल से लबालब भर जाता है तो वही साल भर पुणे गंदा और बदबूदार पानी पीने के लिए विवश होना पड़ता है इसके साथ ही फतेह टपकती है और कभी भी गिरने का खतरा उनके सिर पर मंडराता रहता है चूल्हे पर जब मिड-डे-मील पकाया जाता है तो पड़ने की बजाय उनके आंखों से आंसू टपकने लगते हैं क्योंकि धएँ का गुब्बार पूरे स्कूल में भर जाता है। बच्चों की है दर्द भरी कहानी सुनकर विधायक भी हैरान रह गए कि आज तक ना तो सरकार और ना ही प्रशासन ने इस ओर ध्यान दिया। उन्होंने कहा कि हमारे लिए बच्चों का भविष्य बेहद जरूरी है। लेकिन जिस तरह सरकार सर्व शिक्षा अभियान और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देते नहीं थक रही वहीं स्वच्छ भारत जैसा यहां कुछ नहीं है और सरकार के दावे सिर्फ कागजी कार्रवाई तक सिमट कर रह गए हैं। उन्होंने माना कि स्कूल में बहुत सारी खामियां है जिसे लेकर वह उपायुक्त से बात करेंगे और नौनिहालों के लिए बने इस शिक्षा के मंदिर को सिफ़्त या दुरुस्त कराने के लिए कोई विकल्प जल्द ही तलाश करेंगे। इसे लेकर स्कूल के शिक्षकों व अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उपायुक्त की तरफ से उन्हें जल्द समाधान का आश्वासन मिला है। उन्होंने भी जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग से स्कूल के लिए अलग से जगह देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सुविधाओं के नाम पर यहां कुछ नहीं है और मजबूरी में बच्चों को जमीन पर बैठकर पढ़ना पड़ता है। हालांकि हाल ही में स्कूल की मरम्मत के लिए कुछ फंड मिला था जिससे टूटी बेंचों को ठीक करवाया जाएगा। लेकिन लगता नहीं कि प्रशासन इस तरफ कोई ध्यान देता देगा क्योंकि पिछले कई सालों से लगातार यह मामला मीडिया की सुर्खियां बन चुका है और हर बार स्कूल को शिफ्ट कराने का आश्वासन देकर कुंभकरण की नींद सो रहे अधिकारियों द्वारा मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। आपको बता दें कि इस स्कूल में कुल 59 बच्चे और 2 अध्यापक हैं।
बाइट--निशा, छात्रा।
बाइट--सुनील, JBT अध्यापक।
बाइट--चिरंजीव राव, विधायक कांग्रेस।
बाइट--दिनेश गुप्ता, मौलिक शिक्षा अधिकारी रेवाड़ी।


Conclusion:अब देखना होगा कि कांग्रेसी विधायक का यह दौरा कितना कारगर साबित होता है। क्या बच्चों को पढ़ने के लिए नया भवन मिल पाएगा या फिर उन्हें इन समस्याओं से दो-चार होना ही पड़ता रहेगा।
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