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रेवाड़ी में दो भाइयों से सेना में नौकरी दिलाने के नाम पर लाखों की ठगी, गृहमंत्री के आदेश पर दर्ज हुआ केस

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Published : Jul 21, 2022, 5:13 PM IST

two youth cheated in Rewari
रेवाड़ी में नौकरी के नाम पर ठगी

रेवाड़ी में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी का मामला सामने आया (Army Recruitment fraud in Rewari) है. पीड़ित का आरोप है कि उसने अपने दो भाइयों की सेना में नौकरी लगाने के लिए एक व्यक्ति को लाखों रुपए दिए थे. अब ना तो उसे नौकरी मिली और ना ही पैसे वापस दिये जा रहे हैं. फिलहाल, पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है.

रेवाड़ी: हरियाणा के रेवाड़ी में एक व्यक्ति ने दो भाइयों को नौकरी दिलाने के बहाने ठगी का शिकार बना (two youth cheated in Rewari) लिया. सेना में नौकरी दिलाने के नाम पर दो भइयों से 9 लाख 10 हजार रुपए की ठगी की गई. आरोपी ने न तो पीड़ित को पैसे वापस दिए और न ही नौकरी दिलाई. पीड़ित ने धोखाधड़ी मामले में दो साल पहले 22 जुलाई 2020 को डीएसपी हेडक्वार्टर में शिकायत दर्ज कराई थी. पीड़ित का आरोप है कि उनकी शिकायत पर एक्शन लेने के बजाय पीड़ित की शिकायत को फर्जी बता दिया गया. इसके बाद शिकायतकर्ता ने पत्र लिखकर गृहमंत्री अनिल विज से इस मामले पर कार्रवाई करने की गुहार लगाई. शिकायत करने के बाद गृहमंत्री ने पुलिस को आरोपी के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया.

नौकरी के झांसे में आकर दिए 9.10 लाख रुपए : पीड़ित दीपक ने गृहमंत्री अनिल विज (Anil Vij Home Minister Haryana) को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि भांडोर निवासी (Bhandor village Rewari) राहुल को उसने सेना में भर्ती कराने को लेकर 9.10 लाख रुपए दिए थे. पीड़ित ने बताया कि राहुल की बहन की उसके ही गांव में शादी हुई है, जिससे राहुल और उसकी जान पहचान हो गई थी. पीड़ित ने बताया कि दो साल पहले राहुल से उसकी मुलाकात एक चाय की दुकान में हुई थी. राहुल ने पीड़ित दीपक को बताया था कि वह कई लड़कों को फौज में भर्ती करा चुका है. इसके बाद राहुल पीड़ित के भाई को नौकरी दिलाने का झांसा देना लगा. पीड़ित दीपक ने राहुल के पिता और उसके भाई से भी मुलाकात की. राहुल के परिवार वालों ने राहुल की बात को सही ठहराते हुए पैसे की गारंटी ले ली.

प्रति कैंडिडेट 4.5 लाख रुपए: दीपक के मुताबिक राहुल ने उसे प्रति कैंडिडेट 4.5 लाख रुपए में भर्ती कराने की बात कही थी. इसके बाद उसने अपने भाई और चचेरे भाई को नौकरी लगवाने की बात कही. शिकायत के अनुसार राहुल को 16 से 19 जनवरी 2020 के बीच 9.10 लाख रुपए की राशि का भुगतान कर दिया. इसके बाद राहुल ने उससे कुछ कागजों पर भी साइन करा लिए.

22 जुलाई 2020 को दर्ज कराई शिकायत: पैसे देने के करीब 6 माह बाद जब राहुल से उसने भाई और चचेरे भाई की नौकरी के संबंध में बात की तो संतोषजनक जवाब नहीं मिला. उसने गांव में मौजूद लोगों के साथ राहुल के गांव में पंचायत बैठाई. इसके बाद राहुल के पिता और भाई ने पैसे लौटाने से साफ मना कर दिया. 22 जुलाई 2020 को उसने डीएसपी को शिकायत देकर आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, लेकिन डीएसपी ऑफिस की ओर से उसकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. 15 जनवरी 2021 को एसएचओ खोल को शिकायत दी गई. दीपक का आरोप है कि राहुल के खिलाफ थाना खोल पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. इसके बाद उसने बीते 24 अप्रैल को एक बार फिर डीएसपी को शिकायत दी लेकिन आईओ ने जांच के नाम पर शिकायत को गलत करार देते हुए खारिज कर दिया.

गृहमंत्री को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की: दीपक ने गृह मंत्री को पत्र में बताया कि आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर उसने सीएम विंडो पर शिकायत की थी. उसके फर्जी साइन करके उसकी शिकायत को खारिज कर दिया गया. गृहमंत्री ने शिकायत पर कार्रवाई के लिए पुलिस के पास भेजा तो डीएसपी अमित भाटिया ने उसकी शिकायत को सही ठहराते हुए पुलिस को आरोपी के खिलाफ केस दर्ज करने के आदेश दिए. इसके बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है.

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