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नूंहः हड़ताल पर नल्हड़ मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर्स, अस्पताल में लगी मरीजों की कतार

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Published : Dec 28, 2019, 9:15 PM IST

nalhar medical college junior doctors strike
जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल का दूसरा दिन

मेडिकल कॉलेज नल्हड़ के जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स की हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रही. जिस वजह से अस्पताल आए मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

नूंह: राजकीय शहीद हसन खान मेवाती मेडिकल कॉलेज नल्हड़ के जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स की अनिश्चितकालीन हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रही. जूनियर डॉक्टर्स के हड़ताल पर चले जाने की वजह से कामकाज पूरी तरह ठप पड़ा रहा. जिस वजह से मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल का दूसरा दिन
शनिवार को निदेशक डॉक्टर यामिनी से तो जूनियर डॉक्टर्स की मुलाकात नहीं हुई, लेकिन उन्हें पदमुक्त करने के लिए नोटिस जरूर मेडिकल कॉलेज प्रशासन की ओर से थमा दिया गया. वहीं अपने ऊपर गाज गिरती देखर जूनियर डॉक्टर्स ने स्थानीय कांग्रेस विधायक आफताब अहमद ने मुलाकात की. जिन्होंने डॉक्टर्स को हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया.

हड़ताल पर नल्हड़ मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर्स

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वहीं जूनियर डॉक्टर्स की माने तो जबतक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती है, वो ऐसे ही हड़ताल पर बैठे रहेंगे. उन्होंने कहा कि चाहे कॉलेज प्रशासन उन्हें पदमुक्त ही क्यों ना करे, लेकिन वो हड़ताल खत्म नहीं करेंगे.

इन मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं जूनियर डॉक्टर
डॉक्टर्स के मुताबिक वेतन बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. उनके मुताबिक उन्हें 45 हजार बेसिक वेतन के अलावा 15 हजार रुपये मेवात भत्ता मिलता है. कुल मिलाकर करीब 60 हजार रुपये मासिक वेतन जूनियर डॉक्टर को मिल पा रहा है. नल्हड़ मेडिकल कॉलेज में कार्यरत जूनियर डॉक्टर कहते हैं कि सूबे के खानपुर, कल्पना चावला जैसे मेडिकल कॉलेज में सातवें वेतन आयोग की सिफारिश लागू होने के बाद पिछले करीब दो साल से 90 हजार रुपये के करीब वेतन मिलता है.

Intro:संवाददाता नूह मेवात
स्टोरी ;- जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर कल से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर , स्वास्थ्य सेवाओं पर असर  
राजकीय शहीद हसन खान मेवाती मेडिकल कालेज नल्हड में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर बेहद परेशान हैं। परेशानी की वजह है समान वेतन पिछले दो सालों से नहीं मिलना। गुस्साए डॉक्टर अब इसी मांग को लेकर शुक्रवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ गए और कामकाज पूरी तरह ठप रखा । मेडिकल कालेज प्रशासन और पुलिस प्रशासन की कोशिशों के बावजूद भी हड़ताल समाप्त होने की बजाय जारी रही। शनिवार को हड़ताल से मरीजों - तीमारदारों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा। हड़ताली डॉक्टरों से स्थानीय कांग्रेस विधायक आफताब अहमद ने मुलाकात की। डॉक्टरों को हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया। इसके अलावा अतिरिक्त उपायुक्त विवेक पदम सिंह के माध्यम से हड़ताली डॉक्टरों ने स्वास्थ्य मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। शनिवार को निदेशक डॉक्टर यामिनी से तो हड़ताली जूनियर डॉक्टरों की मुलाकात नहीं हुई , लेकिन उन्हें पदमुक्त करने के लिए नोटिस अवश्य मेडिकल कालेज प्रशासन ने थमा दिया। डॉक्टर आरपार के मूड में दिखाई दे रहे हैं। शाम ढलने से पहले डॉक्टरों सूचना मिली की उनकी मांग को सुनने के लिए सोहना - तावडू से भाजपा विधायक कुंवर संजय सिंह पहुंच रहे हैं। समाचार लिखे जाने तक भी हड़ताली डॉक्टर कड़ाके की ठंड में अपनी मांगों को लेकर दरी बिछाकर कालेज प्रांगण में बैठे हुए हैं।
जानकारी के मुताबिक नल्हड कालेज में पिछले दो साल से जूनियर डॉक्टर को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक वेतन नहीं मिल रहा है। जिसके लिए उन्होंने निदेशक डॉक्टर यामिनी से लेकर कई अन्य अधिकारियों से बात की , लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। डॉक्टरों के मुताबिक उन्हें 45 हजार बेसिक वेतन के अलावा 15 हजार रुपये मेवात भत्ता मिलता है। कुल मिलाकर करीब 60 हजार रुपये मासिक वेतन जूनियर डॉक्टर को मिल पा रहा है। नल्हड मेडिकल कालेज में कार्यरत जूनियर डॉक्टर कहते हैं कि सूबे के खानपुर , कल्पना चावला इत्यादि मेडिकल कालेज में सातवें वेतन आयोग की सिफारिश लागू होने के बाद पिछले करीब दो वर्षों से 90 हजार रुपये के करीब वेतन मिलता है। नल्हड जैसे ग्रामीण क्षेत्र में बिहार , झारखंड , मध्यप्रदेश सहित देश के दूरदराज राज्यों से डॉक्टर यहां नौकरी करने आते हैं , लेकिन वेतन कम होने के कारण पिछले 6 माह में करीब 60 से अधिक डॉक्टर यहां से छोड़कर जा चुके हैं। अब महज 36 जूनियर डॉक्टर के भरोसे नल्हड मेडिकल कालेज चल रहा है , जबकि 95 जूनियर डॉक्टर के पद यहां स्वीकृत हैं। वेतन विसंगतियों के चलते ही डॉक्टर इस संस्थान को अलविदा कह रहे हैं। ये हाल गब्बर के नाम से मशहूर स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के महकमे के हैं। जूनियर डॉक्टरों को अब महज स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से ही उम्मीद बची है। जूनियर डॉक्टर अगर तय कार्यक्रम के मुताबिक आज से हड़ताल पर चले जाते हैं , तो स्वास्थ्य सेवाओं का इस पर बुरा असर पड़ने से इंकार नहीं किया जा सकता। जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर भी अब अपनी जिद पर अड़े हुए हैं , उन्होंने निदेशक डॉक्टर यामिनी से मुलाकात में दो टूक कह दिया कि अब बिना लिखित आश्वासन वे काम नहीं करेंगे। नल्हड मेडिकल कालेज में डॉक्टर की कमी पहले ही बहुत अधिक है , अगर जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल की चेतावनी को मेडिकल एजुकेशन विभाग ने गंभीरता से नहीं लिया तो स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा सकती हैं। 
बाइट ;- डॉ संदीप 
बाइट ;- डॉ सद्दाम बाइट ;- आरिफ मरीज परिजन बाइट ;- जफरुद्दीन मरीज परिजन। 
संवाददाता कासिम खान नूह मेवातBody:संवाददाता नूह मेवात
स्टोरी ;- जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर कल से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर , स्वास्थ्य सेवाओं पर असर  
राजकीय शहीद हसन खान मेवाती मेडिकल कालेज नल्हड में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर बेहद परेशान हैं। परेशानी की वजह है समान वेतन पिछले दो सालों से नहीं मिलना। गुस्साए डॉक्टर अब इसी मांग को लेकर शुक्रवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ गए और कामकाज पूरी तरह ठप रखा । मेडिकल कालेज प्रशासन और पुलिस प्रशासन की कोशिशों के बावजूद भी हड़ताल समाप्त होने की बजाय जारी रही। शनिवार को हड़ताल से मरीजों - तीमारदारों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा। हड़ताली डॉक्टरों से स्थानीय कांग्रेस विधायक आफताब अहमद ने मुलाकात की। डॉक्टरों को हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया। इसके अलावा अतिरिक्त उपायुक्त विवेक पदम सिंह के माध्यम से हड़ताली डॉक्टरों ने स्वास्थ्य मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। शनिवार को निदेशक डॉक्टर यामिनी से तो हड़ताली जूनियर डॉक्टरों की मुलाकात नहीं हुई , लेकिन उन्हें पदमुक्त करने के लिए नोटिस अवश्य मेडिकल कालेज प्रशासन ने थमा दिया। डॉक्टर आरपार के मूड में दिखाई दे रहे हैं। शाम ढलने से पहले डॉक्टरों सूचना मिली की उनकी मांग को सुनने के लिए सोहना - तावडू से भाजपा विधायक कुंवर संजय सिंह पहुंच रहे हैं। समाचार लिखे जाने तक भी हड़ताली डॉक्टर कड़ाके की ठंड में अपनी मांगों को लेकर दरी बिछाकर कालेज प्रांगण में बैठे हुए हैं।
जानकारी के मुताबिक नल्हड कालेज में पिछले दो साल से जूनियर डॉक्टर को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक वेतन नहीं मिल रहा है। जिसके लिए उन्होंने निदेशक डॉक्टर यामिनी से लेकर कई अन्य अधिकारियों से बात की , लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। डॉक्टरों के मुताबिक उन्हें 45 हजार बेसिक वेतन के अलावा 15 हजार रुपये मेवात भत्ता मिलता है। कुल मिलाकर करीब 60 हजार रुपये मासिक वेतन जूनियर डॉक्टर को मिल पा रहा है। नल्हड मेडिकल कालेज में कार्यरत जूनियर डॉक्टर कहते हैं कि सूबे के खानपुर , कल्पना चावला इत्यादि मेडिकल कालेज में सातवें वेतन आयोग की सिफारिश लागू होने के बाद पिछले करीब दो वर्षों से 90 हजार रुपये के करीब वेतन मिलता है। नल्हड जैसे ग्रामीण क्षेत्र में बिहार , झारखंड , मध्यप्रदेश सहित देश के दूरदराज राज्यों से डॉक्टर यहां नौकरी करने आते हैं , लेकिन वेतन कम होने के कारण पिछले 6 माह में करीब 60 से अधिक डॉक्टर यहां से छोड़कर जा चुके हैं। अब महज 36 जूनियर डॉक्टर के भरोसे नल्हड मेडिकल कालेज चल रहा है , जबकि 95 जूनियर डॉक्टर के पद यहां स्वीकृत हैं। वेतन विसंगतियों के चलते ही डॉक्टर इस संस्थान को अलविदा कह रहे हैं। ये हाल गब्बर के नाम से मशहूर स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के महकमे के हैं। जूनियर डॉक्टरों को अब महज स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से ही उम्मीद बची है। जूनियर डॉक्टर अगर तय कार्यक्रम के मुताबिक आज से हड़ताल पर चले जाते हैं , तो स्वास्थ्य सेवाओं का इस पर बुरा असर पड़ने से इंकार नहीं किया जा सकता। जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर भी अब अपनी जिद पर अड़े हुए हैं , उन्होंने निदेशक डॉक्टर यामिनी से मुलाकात में दो टूक कह दिया कि अब बिना लिखित आश्वासन वे काम नहीं करेंगे। नल्हड मेडिकल कालेज में डॉक्टर की कमी पहले ही बहुत अधिक है , अगर जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल की चेतावनी को मेडिकल एजुकेशन विभाग ने गंभीरता से नहीं लिया तो स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा सकती हैं। 
बाइट ;- डॉ संदीप 
बाइट ;- डॉ सद्दाम बाइट ;- आरिफ मरीज परिजन बाइट ;- जफरुद्दीन मरीज परिजन। 
संवाददाता कासिम खान नूह मेवातConclusion:संवाददाता नूह मेवात
स्टोरी ;- जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर कल से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर , स्वास्थ्य सेवाओं पर असर  
राजकीय शहीद हसन खान मेवाती मेडिकल कालेज नल्हड में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर बेहद परेशान हैं। परेशानी की वजह है समान वेतन पिछले दो सालों से नहीं मिलना। गुस्साए डॉक्टर अब इसी मांग को लेकर शुक्रवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ गए और कामकाज पूरी तरह ठप रखा । मेडिकल कालेज प्रशासन और पुलिस प्रशासन की कोशिशों के बावजूद भी हड़ताल समाप्त होने की बजाय जारी रही। शनिवार को हड़ताल से मरीजों - तीमारदारों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा। हड़ताली डॉक्टरों से स्थानीय कांग्रेस विधायक आफताब अहमद ने मुलाकात की। डॉक्टरों को हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया। इसके अलावा अतिरिक्त उपायुक्त विवेक पदम सिंह के माध्यम से हड़ताली डॉक्टरों ने स्वास्थ्य मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। शनिवार को निदेशक डॉक्टर यामिनी से तो हड़ताली जूनियर डॉक्टरों की मुलाकात नहीं हुई , लेकिन उन्हें पदमुक्त करने के लिए नोटिस अवश्य मेडिकल कालेज प्रशासन ने थमा दिया। डॉक्टर आरपार के मूड में दिखाई दे रहे हैं। शाम ढलने से पहले डॉक्टरों सूचना मिली की उनकी मांग को सुनने के लिए सोहना - तावडू से भाजपा विधायक कुंवर संजय सिंह पहुंच रहे हैं। समाचार लिखे जाने तक भी हड़ताली डॉक्टर कड़ाके की ठंड में अपनी मांगों को लेकर दरी बिछाकर कालेज प्रांगण में बैठे हुए हैं।
जानकारी के मुताबिक नल्हड कालेज में पिछले दो साल से जूनियर डॉक्टर को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक वेतन नहीं मिल रहा है। जिसके लिए उन्होंने निदेशक डॉक्टर यामिनी से लेकर कई अन्य अधिकारियों से बात की , लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। डॉक्टरों के मुताबिक उन्हें 45 हजार बेसिक वेतन के अलावा 15 हजार रुपये मेवात भत्ता मिलता है। कुल मिलाकर करीब 60 हजार रुपये मासिक वेतन जूनियर डॉक्टर को मिल पा रहा है। नल्हड मेडिकल कालेज में कार्यरत जूनियर डॉक्टर कहते हैं कि सूबे के खानपुर , कल्पना चावला इत्यादि मेडिकल कालेज में सातवें वेतन आयोग की सिफारिश लागू होने के बाद पिछले करीब दो वर्षों से 90 हजार रुपये के करीब वेतन मिलता है। नल्हड जैसे ग्रामीण क्षेत्र में बिहार , झारखंड , मध्यप्रदेश सहित देश के दूरदराज राज्यों से डॉक्टर यहां नौकरी करने आते हैं , लेकिन वेतन कम होने के कारण पिछले 6 माह में करीब 60 से अधिक डॉक्टर यहां से छोड़कर जा चुके हैं। अब महज 36 जूनियर डॉक्टर के भरोसे नल्हड मेडिकल कालेज चल रहा है , जबकि 95 जूनियर डॉक्टर के पद यहां स्वीकृत हैं। वेतन विसंगतियों के चलते ही डॉक्टर इस संस्थान को अलविदा कह रहे हैं। ये हाल गब्बर के नाम से मशहूर स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के महकमे के हैं। जूनियर डॉक्टरों को अब महज स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से ही उम्मीद बची है। जूनियर डॉक्टर अगर तय कार्यक्रम के मुताबिक आज से हड़ताल पर चले जाते हैं , तो स्वास्थ्य सेवाओं का इस पर बुरा असर पड़ने से इंकार नहीं किया जा सकता। जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर भी अब अपनी जिद पर अड़े हुए हैं , उन्होंने निदेशक डॉक्टर यामिनी से मुलाकात में दो टूक कह दिया कि अब बिना लिखित आश्वासन वे काम नहीं करेंगे। नल्हड मेडिकल कालेज में डॉक्टर की कमी पहले ही बहुत अधिक है , अगर जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल की चेतावनी को मेडिकल एजुकेशन विभाग ने गंभीरता से नहीं लिया तो स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा सकती हैं। 
बाइट ;- डॉ संदीप 
बाइट ;- डॉ सद्दाम बाइट ;- आरिफ मरीज परिजन बाइट ;- जफरुद्दीन मरीज परिजन। 
संवाददाता कासिम खान नूह मेवात
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