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चौधर की जंग: मेव क्षेत्र का इस बार क्या है मिजाज? देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट

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Published : Oct 11, 2019, 7:33 PM IST

ये है ईटीवी भारत की खास पेशकश 'चौधर की जंग'. हरियाणा राजनीतिक नजरिए से चार भागों में बंटा हुआ है जिनका अपना अलग मिजाज है- जाटलैंड, जीटी रोड बेल्ट, अहीरवाल और मेव क्षेत्र. इस कड़ी में हम बात करेंगे मेव क्षेत्र की विधानसभा सीटों की राजनीति की.

mewat region politics

चंडीगढ़: हरियाणा में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. सभी दल पूरे दमखम के साथ मैदान में उतर चुके हैं. रैलियों को लेकर हर पार्टी की अपनी अलग रणनीति है. लेकिन ये सभी रणनीति हर इलाके की राजनीति को ध्यान में रखकर बनाई जा रही है. हरियाणा की राजनीति में मेव क्षेत्र की बात करें तो ये क्षेत्र सियासी दलों के लिए काफी अहम है.

क्या हैं इस बार के चुनाव में मेव क्षेत्र के समीकरण? देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट.

नूंह जिले की विधानसभा सीटें मेव क्षेत्र में आती हैं. ये सीटें हैं- नूंह, फिरोजपुर झिरका और पुन्हाना. इसके अलावा सोहना और हथीन सीट पर भी मुस्लिम किंगमेकर की भूमिका में हैं. इसमें हथीन सीट ही बीजेपी पिछली बार यानी 2014 के विधानसभा चुनाव में जीत सकी थी.

तीन सीटों पर मेव मतदाताओं का बोलबाला
मेव क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता बहुमत में हैं. हरियाणा में 2011 जनगणना के अनुसार 7% मुस्लिम आबादी है. हरियाणा विधानसभा की तीन सीटों पर मुस्लिम वोट का सीधा असर है. वहीं लगभग 6 सीटों पर बड़ा असर रहता है. ये मतदाता स्वाभाविक तौर पर बीजेपी विरोधी माना जाता रहा जहां बीजेपी कभी अपनी पैठ नहीं बना पाई. पिछले चुनाव में भी यहां से बीजेपी नहीं जीती लेकिन इस बार दलबदल की माया ने इस इलाके का समीकरण भी बदल दिया है. पिछले पांच वर्षों में कई ऐसे नेता रहे हैं, जो बीजेपी में शामिल हो गए. पुन्हाना के विधायक रहीश खान तो शुरू से ही निर्दलीय होते हुए भी भाजपाई ही हैं.

ये भी पढ़ें: चौधर की जंग: अहीरवाल में इस बार क्या हैं समीकरण? देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट

नूंह सीट पर इनेलो ने लहराया था परचम
मेव क्षेत्र की नूंह विधानसभा सीट की बात करें तो यहां मेव मतदाताओं का दबदबा सबसे ज्यादा है. पिछले चुनाव में यहां मुख्य मुकाबला कांग्रेस सरकार के मंत्री आफताब अहमद और इनेलो के उम्मीदवार में जाकिर हुसैन में था. जाकिर हुसैन ने 2014 के विधानसभा चुनाव में आफताब अहमद को हराकर यहां से इनेलो का परचम लहराया था.

जाकिर हुसैन इस बार बीजेपी उम्मीदवार
जाकिर हुसैन को 64,221 वोट मिले थे और आफताब अहमद को 31,425 वोट मिले थे. वहीं 24,222 वोटों के साथ बीजेपी उम्मीदवार संजय तीसरे स्थान पर रहे थे. मत प्रतिशत की बात करें तो इनेलो को 52.35 प्रतिशत, कांग्रेस को 25.62 प्रतिशत और बीजेपी को 19.75 प्रतिशत वोट मिले थे. हालांकि अब जाकिर हुसैन ने बीजेपी का दामन थाम लिया है और बीजेपी ने उन्हें नूंह से अपना उम्मीदवार भी बनाया है.

फिरोजपुर झिरका पर भी था इनेलो का दबदबा
वहीं फिरोजपुर झिरका सीट की बात करें तो मेवात जिले की ये विधानसभा सीट आजादी के बाद से ही चली आ रही है और इस पर हर चुनाव में मेव समुदाय से ही विधायक बनता रहा है. 2014 के विधानसभा चुनाव में यहां इनेलो के उम्मीदवार नसीम अहमद ने निर्दलीय उम्मीदवार और पेशे से इंजीनियर माम्मन खान को हराया था. इस कड़े मुकाबले में नसीम अहमद को 40,320 वोट मिले थे और माम्मन खान को 37,075 वोट मिले थे. वहीं 18,212 वोटों के साथ निर्दलीय उम्मीदवार अमन अहमद तीसरे स्थान पर रहे थे. बीजेपी और कांग्रेस उम्मीदवार यहां निर्दलीय चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों से भी पीछे रहे थे. बीजेपी उम्मीदवार आलम चौथे नंबर पर रहे थे और पुन्हाना के विधायक रहीश खान के भाई व कांग्रेस प्रत्याशी आजाद मोहम्मद पांचवे नंबर पर रहे थे.

ये भी पढ़ें: चौधर की जंग: जाटलैंड में इस बार क्या बन रहे हैं समीकरण? देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट

नसीम अहमद भी इनेलो छोड़ भगवा रंग में रंगे
मत प्रतिशत की बात करें तो इनेलो को 29.47 प्रतिशत, बीजेपी को 12.09 प्रतिशत और कांग्रेस को 11.65 प्रतिशत वोट मिले थे. दूसरे नंबर पर रहने वाले निर्दलीय उम्मीदवार माम्मन खान को 27.09 प्रतिशत मत मिले थे. वहीं मौजूदा स्थिति की बात करें तो जाकिर हुसैन की तरह ही नसीम अहमद भी बीजेपी में शामिल हो गए हैं और बीजेपी ने उन्हें फिरोजपुर झिरका से मैदान में उतारा है.

रहीश खान फिर निर्दलीय मैदान में
इसके अलावा पुन्हाना सीट से 2014 के चुनाव में निर्दलीय रहीश खान ने जीत दर्ज की थी. रहीश खान ने कड़े मुकाबले में इनेलो उम्मीदवार मोहम्मद इलियास को हराया था. रहीश खान को 34,281 वोट मिले थे और इलियास को 31,140 वोट प्राप्त हुए थे. बीजेपी उम्मीदवार इकबाल 25,135 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे और कांग्रेस उम्मीदवार सुभान खान चौथे नंबर पर थे. यहां से जीतने वाले निर्दलीय रहीश खान भी बीजेपी में शामिल हो गए थे लेकिन बीजेपी ने उन्हें कहीं से भी टिकट नहीं दी. इस कारण उन्होंने बीजेपी छोड़ दी और एक बार निर्दलीय के रूप में मैदान में हैं.

ये भी पढ़ें: चौधर की जंग: जीटी रोड बेल्ट में जो लहराएगा परचम, उसी को मिलेगी सत्ता!

क्या हैं 2019 के समीकरण?
मेव इलाके को आमतौर पर इनेलो का गढ़ माना जाता है. पिछले विधानसभा चुनाव में भी इनेलो ने यहां की 3 में से 2 सीटें जीती थीं. लेकिन इस बार यहां इनेलो के लिए जीत दर्ज करना दूर की कोड़ी लग रहा है. वहीं कांग्रेस की स्थिति भी अलग नहीं है और पार्टी के लिए यहां से वोट ले पाना बेहद मुश्किल लग रहा है. बीजेपी जरूर हाल ही में पार्टी में शामिल हुए स्थानीय नेताओं की बदौलत यहां से जीत दर्ज करने का दम भर रही है.

कुछ ऐसे हैं हरियाणा के मेव क्षेत्र के समीकरण. यहां के मतदाताओं को साधने के लिए हर पार्टी पूरजोर कोशिश में लगी है. लेकिन यहां के मतदाता किसका साथ देते हैं ये तो 24 अक्टूबर को ही पता चलेगा.

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चौधर की जंग: मेव क्षेत्र का इस बार क्या है मिजाज? देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट



ये है ईटीवी भारत की खास पेशकश 'चौधर की जंग'. हरियाणा राजनीतिक नजरिए से चार भागों में बंटा हुआ है जिनका अपना अलग मिजाज है- जाटलैंड, जीटी रोड बेल्ट, अहीरवाल और मेव क्षेत्र. इस कड़ी में हम बात करेंगे मेव क्षेत्र की विधानसभा सीटों की राजनीति की.

चंडीगढ़: हरियाणा में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. सभी दल पूरे दमखम के साथ मैदान में उतर चुके हैं. रैलियों को लेकर हर पार्टी की अपनी अलग रणनीति है. लेकिन ये सभी रणनीति हर इलाके की राजनीति को ध्यान में रखकर बनाई जा रही है. हरियाणा की राजनीति में मेव क्षेत्र की बात करें तो ये क्षेत्र सियासी दलों के लिए काफी अहम है.

नूंह जिले की विधानसभा सीटें मेव क्षेत्र में आती हैं. ये सीटें हैं- नूंह, फिरोजपुर झिरका और पुन्हाना. इसके अलावा सोहना और हथीन सीट पर भी मुस्लिम किंगमेकर की भूमिका में हैं. इसमें हथीन सीट ही बीजेपी पिछली बार यानि 2014 के विधानसभा चुनाव में जीत सकी थी. 

तीन सीटों पर मेव मतदाताओं का बोलबाला

मेव क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता बहुमत में हैं. हरियाणा में 2011 जनगणना के अनुसार 7% मुस्लिम आबादी है. हरियाणा विधानसभा की तीन सीटों पर मुस्लिम वोट का सीधा असर है. वहीं लगभग 6 सीटों पर बड़ा असर रहता है. ये मतदाता स्वाभाविक तौर पर बीजेपी विरोधी माना जाता रहा जहां बीजेपी कभी अपनी पैठ नहीं बना पाई. पिछले चुनाव में भी यहां से बीजेपी नहीं जीती लेकिन इस बार दलबदल की माया ने इस इलाके का समीकरण भी बदल दिया है. पिछले पांच वर्षों में कई ऐसे नेता रहे हैं, जो बीजेपी में शामिल हो गए. पुन्हाना के विधायक रहीश खान तो शुरू से ही निर्दलीय होते हुए भी भाजपाई ही हैं. 

नूंह सीट पर इनेलो ने लहराया था परचम

मेव क्षेत्र की नूंह विधानसभा सीट की बात करें तो यहां मेव मतदाताओं का दबदबा सबसे ज्यादा है. पिछले चुनाव में यहां मुख्य मुकाबला कांग्रेस सरकार के मंत्री आफताब अहमद और इनेलो के उम्मीदवार में जाकिर हुसैन में था. जाकिर हुसैन ने 2014 के विधानसभा चुनाव में आफताब अहमद को हराकर यहां से इनेलो का परचम लहराया था.

जाकिर हुसैन इस बार बीजेपी उम्मीदवार 

जाकिर हुसैन को 64,221 वोट मिले थे और आफताब अहमद को 31,425 वोट मिले थे. वहीं 24,222 वोटों के साथ बीजेपी उम्मीदवार संजय तीसरे स्थान पर रहे थे. मत प्रतिशत की बात करें तो इनेलो को 52.35 प्रतिशत, कांग्रेस को 25.62 प्रतिशत और बीजेपी को 19.75 प्रतिशत वोट मिले थे. हालांकि अब जाकिर हुसैन ने बीजेपी का दामन थाम लिया है और बीजेपी ने उन्हें नूंह से अपना उम्मीदवार भी बनाया है. 

फिरोजपुर झिरका पर भी था इनेलो का दबदबा

वहीं फिरोजपुर झिरका सीट की बात करें तो मेवात जिले की ये विधानसभा सीट आजादी के बाद से ही चली आ रही है और इस पर हर चुनाव में मेव समुदाय से ही विधायक बनता रहा है. 2014 के विधानसभा चुनाव में यहां इनेलो के उम्मीदवार नसीम अहमद ने निर्दलीय उम्मीदवार और पेशे से इंजीनियर माम्मन खान को हराया था. 

इस कड़े मुकाबले में नसीम अहमद को 40,320 वोट मिले थे और माम्मन खान को 37,075 वोट मिले थे. वहीं 18,212 वोटों के साथ निर्दलीय उम्मीदवार अमन अहमद तीसरे स्थान पर रहे थे. बीजेपी और कांग्रेस उम्मीदवार यहां निर्दलीय चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों से भी पीछे रहे थे. बीजेपी उम्मीदवार आलम चौथे नंबर पर रहे थे और पुन्हाना के विधायक रहीश खान के भाई व कांग्रेस प्रत्याशी आजाद मोहम्मद पांचवे नंबर पर रहे थे.

नसीम अहमद भी इनेलो छोड़ भगवा रंग में रंगे

मत प्रतिशत की बात करें तो इनेलो को 29.47 प्रतिशत, बीजेपी को 12.09 प्रतिशत और कांग्रेस को 11.65 प्रतिशत वोट मिले थे. दूसरे नंबर पर रहने वाले निर्दलीय उम्मीदवार माम्मन खान को 27.09 प्रतिशत मत मिले थे. वहीं मौजूदा स्थिति की बात करें तो जाकिर हुसैन की तरह ही नसीम अहमद भी बीजेपी में शामिल हो गए हैं और बीजेपी ने उन्हें फिरोजपुर झिरका से मैदान में उतारा है. 

रहीश खान फिर निर्दलीय मैदान में

इसके अलावा पुन्हाना सीट से 2014 के चुनाव में निर्दलीय रहीश खान ने जीत दर्ज की थी. रहीश खान ने कड़े मुकाबले में इनेलो उम्मीदवार मोहम्मद इलियास को हराया था. रहीश खान को 34,281 वोट मिले थे और इलियास को 31,140 वोट प्राप्त हुए थे. बीजेपी उम्मीदवार इकबाल 25,135 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे और कांग्रेस उम्मीदवार सुभान खान चौथे नंबर पर थे. यहां से जीतने वाले निर्दलीय रहीश खान भी बीजेपी में शामिल हो गए थे लेकिन बीजेपी ने उन्हें कहीं से भी टिकट नहीं दी. इस कारण उन्होंने बीजेपी छोड़ दी और एक बार निर्दलीय के रूप में मैदान में हैं.

क्या हैं 2019 के समीकरण?

मेव इलाके को आमतौर पर इनेलो का गढ़ माना जाता है. पिछले विधानसभा चुनाव में भी इनेलो ने यहां की 3 में से 2 सीटें जीती थीं. लेकिन इस बार यहां इनेलो के लिए जीत दर्ज करना दूर की कोड़ी लग रहा है. वहीं कांग्रेस की स्थिति भी अलग नहीं है और पार्टी के लिए यहां से वोट ले पाना बेहद मुश्किल लग रहा है. बीजेपी जरूर हाल ही में पार्टी में शामिल हुए स्थानीय नेताओं की बदौलत यहां से जीत दर्ज करने का दम भर रही है.

कुछ ऐसे हैं हरियाणा के मेव क्षेत्र के समीकरण. यहां के मतदाताओं को साधने के लिए हर पार्टी पूरजोर कोशिश में लगी है. लेकिन यहां के मतदाता किसका साथ देते हैं ये तो 24 अक्टूबर को ही पता चलेगा.


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