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नूंह में स्कूलों की स्थिति डांवांडोल! बिन गुरू दांव पर हजारों विद्यार्थियों का भविष्य

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Published : Dec 28, 2019, 3:14 PM IST

नूंह में स्कूलों की स्थिति सही नहीं है. बच्चों को शिक्षा देने के लिए शिक्षक मौजूद नहीं है. इसे सरकार और विभाग की लापरवाही कहें या मजबूरी मगर जिले में शिक्षकों के रिक्त पदों के आंकड़े देखें तो हैरानी भी होती है. देखिए ईटीवी भारत हरियाणा की खास पेशकश सुनिए शिक्षामंत्री जी.

large number post vacant of teachers in nuh government schools
नूंह सुनिए शिक्षा मंत्री जी

नूंह: नीति आयोग की सूची में प्रदेश का नूंह जिला भले ही शामिल हो गया हो. कागजों में शिक्षा-चिकित्सा में सुधार के बड़े-बड़े दावे किये जा रहे हों, लेकिन नूंह के सरकारी स्कूलों की हालत अच्छी नहीं है. ना वहां बच्चों के लिए बेहतर आधारभूत सुविधाएं हैं ना ही बच्चों को पढ़ाने के लिए जरूरी शिक्षक हैं. ऐसा हम नहीं कह रहे, बल्कि जमीनी हकीकत कह रही है.

कागजों में सुधार हुआ, तस्वीरें वही हैं!
जिले में भारी संख्या में ऐसे स्कूल हैं, जहां बच्चे पढ़ने आते तो हैं मगर उन्हें पढ़ाने वाला अध्यापक नहीं है. नतीजतन यहां स्कूल तो चलता है मगर पढ़ाई नहीं होती. ऐसे हालात के बावजूद नीति आयोग के आंकड़ों में नूंह जिला 115 नंबर से कैसे टॉप 33 जिलों की सूची तक पहुंच गया, ये वाकई ऐसी बात है जैसे सूखे पेड़ पर आम उग आए हों, चलिए कागजों में ही सही परिणाम में सुधार होता है अच्छा लगता है, मगर लोग हैरान हैं.

नूंह में बिन गुरू दांव पर हजारों विद्यार्थियों का भविष्य, देखिए रिपोर्ट

स्कूलों की स्थिति डांवांडोल!
बोर्ड की परीक्षाओं में अब ज्यादा समय नहीं है. ऐसे में शिक्षा के क्षेत्र में फिसड्डी नूंह जिले के वार्षिक परीक्षा परिणामों में बेहतरी की आस लगाना किसी बेईमानी से कम नहीं है. हैरानी की बात तो ये है कि बहुत से स्कूलों ने तो सालभर मुख्याध्यापक तक नहीं किये.

ये आंकड़ें हैरान करते हैं!
आपको बता दें कि नूंह जिले में प्रिंसिपल के 77 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 58 प्रिंसिपल कार्यरत हैं. 19 राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में प्रिंसिपल तक नहीं हैं. हेडमास्टर के 24 पद स्वीकृत हैं, जो सभी के सभी रिक्त पड़े हुए हैं.

ईएसएचएम के 352 पद स्वीकृत हैं जिनमें 212 पद पर नियुक्ति है, लेकिन 140 पद खाली पड़े हुए हैं. ये पद मिडिल स्कूलों में होते हैं. लेक्चरर के 1273 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 616 पदों पर नियुक्ति की हुई है. 657 पद अभी भी लेक्चरर के खाली पड़े हुए हैं.

अध्यापक के 1108 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 499 पर नियुक्ति की हुई हैं, लेकिन 609 पद अध्यापक के रिक्त पड़े हुए हैं. सीएंडवी के 944 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 321 पर नियुक्ति की हुई है. 623 पद सीएंडवी के खाली पड़े हुए हैं. बात अगर जेबीटी की कि जाये तो 4454 पद हैं, जिनमें से 2987 पदों पर नियुक्ति की हुई है. अभी भी 1467 पद खाली पड़े हुए हैं. एचटी प्राइमरी के 353 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 308 स्कूलों में हेडमास्टर की नियुक्ति की हुई है. अभी भी 45 प्राईमरी स्कूलों को एचटी का इंतजार है.

DEO भी मानते हैं कि हालात अच्छे नहीं
इन आंकड़ों से आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि शिक्षा विभाग नूंह जिले की शिक्षा को लेकर कितना गंभीर है. बहुत से विषय ऐसे हैं, जिनका बच्चों ने पूरे साल टीचर नहीं देखा. जिला शिक्षा अधिकारी सूरजभान का भी कहना है कि हालात अच्छे नहीं है, लेकिन बच्चों के बोर्ड के परिणाम बेहतर आये, इसलिए स्कूल के अध्यापकों को दूसरे स्कूलों में भेजकर जुगाड़ से काम चलाया जा रहा है.

एडीसी नूंह विवेक पदम सिंह भी मानते हैं कि सरकारी स्कूलों में स्टाफ की कमी है, लेकिन मौजूदा संसाधनों में शिक्षा विभाग बेहतर नतीजों की जी तोड़ कोशिशों में जुटा हुआ है. मगर कोशिशें कब कामयाब होंगी इसका जवाब किसी के पास साफ-साफ नहीं है.

नूंह जिला जो हमेशा से अपने पिछड़ेपन के लिए जाना जाता है, इसका दोषी कौन हैं. इसमें कमीं नूंह की नहीं. आज तक की सरकारों की है जो ऐसे हालात बने हैं. इस रिपोर्ट के जरिए हम उम्मीद करते हैं कि इन मासूम बच्चों की आवाज हुक्मरानों तक पहुंचे ताकि उनका भी सभी मायनों में विकास हो सके, सिर्फ कागजों में नहीं.

गुरुग्रामः जानिए यहां के सरकारी स्कूलों में शिक्षा विभाग के अलावा कौन रख रहा टीचर

Intro:
संवाददाता नूह मेवात
स्टोरी ;- स्कूलों में स्टाफ का घोर अभाव , कैसे नतीजे आएंगे बेहतर
नीति आयोग की सूचि में शामिल प्रदेश का नूह जिला भले ही शामिल हो गया हो , कागजों में शिक्षा - चिकित्सा में सुधार के बड़े - बड़े दावे किये जा रहे हों , लेकिन नूह के सरकारी स्कूलों में स्टाफ की हालत अच्छी नहीं है। बोर्ड की परीक्षाओं में अब ज्यादा समय नहीं है। ऐसे में शिक्षा के क्षेत्र में फिसड्डी नूह जिले के वार्षिक परीक्षा परिणामों में बेहतरी की आस लगाना किसी बेईमानी से कम नहीं है। खास बात तो यह है कि बहुत से स्कूलों ने तो सालभर मुख्याध्यापक तक नहीं किये।
आपको बता दें कि नूह जिले में प्रिंसिपल के 77 पद स्वीकृत हैं , जिनमें से 58 प्रिंसिपल कार्यरत हैं। 19 राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में प्रिंसिपल तक नहीं हैं। हैडमास्टर के 24 पद स्वीकृत हैं , जो सभी के सभी रिक्त पड़े हुए हैं। ईएसएचएम के 352 पद स्वीकृत हैं जिनमें 212 पद पर नियुक्ति है , लेकिन 140 पद खाली पड़े हुए हैं। ये पद मिडिल स्कूलों में होते हैं। लेक्चरर के 1273 पद स्वीकृत हैं , जिनमें से 616 पदों पर नियुक्ति की हुई हे। 657 पद अभी भी लेक्चरर के खाली पड़े हुए हैं। अध्यापक के 1108 पद स्वीकृत हैं , जिनमें से 499 पर नियुक्ति की हुई हैं , लेकिन 609 पद अध्यापक के रिक्त पड़े हुए हैं। सीएंडवी के 944 पद स्वीकृत हैं , जिनमें से 321 पर नियुक्ति की हुई है। 623 पद सीएंडवी के खाली पड़े हुए हैं। बात अगर जेबीटी की कि जाये तो 4454 पद हैं , जिनमें से 2987 पदों पर नियुक्ति की हुई है। अभी भी 1467 पद खाली पड़े हुए हैं। एचटी प्राइमरी के 353 पद स्वीकृत हैं , जिनमें से 308 स्कूलों में हैडमास्टर की नियुक्ति की हुई है। अभी भी 45 प्राईमरी स्कूलों को एचटी का इंतजार है। इन आंकड़ों से आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि शिक्षा विभाग नूह जिले की शिक्षा को लेकर कितना गंभीर है। बहुत से विषय ऐसे हैं , जिनका टीचर पूरे साल बच्चों ने नहीं देखा। जिला शिक्षा अधिकारी सूरजभान मानते हैं कि स्टाफ की हालत कोई अच्छी नहीं है , लेकिन बच्चों के बोर्ड के परिणाम बेहतर आये , इसलिए स्कूल के अध्यापकों को दूसरे स्कूलों में भेजकर जुगाड़ से काम चलाया जा रहा है। इन आंकड़ों के बावजूद नीति आयोग के आंकड़ों में नूह जिला 115 नंबर से कैसे टॉप 33 जिलों की सूचि तक पहुंच गया , लोग इस बात की सच्चाई जानना चाहते हैं। विवेक पदम सिंह एडीसी नूह भी मानते हैं कि सरकारी स्कूलों में स्टाफ की कमी है , लेकिन मौजूदा संसाधनों में शिक्षा विभाग बेहतर नतीजों की जी तोड़ कोशिशों में जुटा हुआ है।

बाइट;- विवेक पदम सिंह अतिरिक्त उपायुक्त नूह
बाइट ;- सूरजभान डीईओ नूह
बाइट ;- काजल साहू छात्रा
बाइट ;- हेमा सेलून छात्रा
बाइट ;- सुरेश कुमार जोशी अध्यापक

संवाददाता कासिम खान नूह मेवात Body:
संवाददाता नूह मेवात
स्टोरी ;- स्कूलों में स्टाफ का घोर अभाव , कैसे नतीजे आएंगे बेहतर
नीति आयोग की सूचि में शामिल प्रदेश का नूह जिला भले ही शामिल हो गया हो , कागजों में शिक्षा - चिकित्सा में सुधार के बड़े - बड़े दावे किये जा रहे हों , लेकिन नूह के सरकारी स्कूलों में स्टाफ की हालत अच्छी नहीं है। बोर्ड की परीक्षाओं में अब ज्यादा समय नहीं है। ऐसे में शिक्षा के क्षेत्र में फिसड्डी नूह जिले के वार्षिक परीक्षा परिणामों में बेहतरी की आस लगाना किसी बेईमानी से कम नहीं है। खास बात तो यह है कि बहुत से स्कूलों ने तो सालभर मुख्याध्यापक तक नहीं किये।
आपको बता दें कि नूह जिले में प्रिंसिपल के 77 पद स्वीकृत हैं , जिनमें से 58 प्रिंसिपल कार्यरत हैं। 19 राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में प्रिंसिपल तक नहीं हैं। हैडमास्टर के 24 पद स्वीकृत हैं , जो सभी के सभी रिक्त पड़े हुए हैं। ईएसएचएम के 352 पद स्वीकृत हैं जिनमें 212 पद पर नियुक्ति है , लेकिन 140 पद खाली पड़े हुए हैं। ये पद मिडिल स्कूलों में होते हैं। लेक्चरर के 1273 पद स्वीकृत हैं , जिनमें से 616 पदों पर नियुक्ति की हुई हे। 657 पद अभी भी लेक्चरर के खाली पड़े हुए हैं। अध्यापक के 1108 पद स्वीकृत हैं , जिनमें से 499 पर नियुक्ति की हुई हैं , लेकिन 609 पद अध्यापक के रिक्त पड़े हुए हैं। सीएंडवी के 944 पद स्वीकृत हैं , जिनमें से 321 पर नियुक्ति की हुई है। 623 पद सीएंडवी के खाली पड़े हुए हैं। बात अगर जेबीटी की कि जाये तो 4454 पद हैं , जिनमें से 2987 पदों पर नियुक्ति की हुई है। अभी भी 1467 पद खाली पड़े हुए हैं। एचटी प्राइमरी के 353 पद स्वीकृत हैं , जिनमें से 308 स्कूलों में हैडमास्टर की नियुक्ति की हुई है। अभी भी 45 प्राईमरी स्कूलों को एचटी का इंतजार है। इन आंकड़ों से आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि शिक्षा विभाग नूह जिले की शिक्षा को लेकर कितना गंभीर है। बहुत से विषय ऐसे हैं , जिनका टीचर पूरे साल बच्चों ने नहीं देखा। जिला शिक्षा अधिकारी सूरजभान मानते हैं कि स्टाफ की हालत कोई अच्छी नहीं है , लेकिन बच्चों के बोर्ड के परिणाम बेहतर आये , इसलिए स्कूल के अध्यापकों को दूसरे स्कूलों में भेजकर जुगाड़ से काम चलाया जा रहा है। इन आंकड़ों के बावजूद नीति आयोग के आंकड़ों में नूह जिला 115 नंबर से कैसे टॉप 33 जिलों की सूचि तक पहुंच गया , लोग इस बात की सच्चाई जानना चाहते हैं। विवेक पदम सिंह एडीसी नूह भी मानते हैं कि सरकारी स्कूलों में स्टाफ की कमी है , लेकिन मौजूदा संसाधनों में शिक्षा विभाग बेहतर नतीजों की जी तोड़ कोशिशों में जुटा हुआ है।

बाइट;- विवेक पदम सिंह अतिरिक्त उपायुक्त नूह
बाइट ;- सूरजभान डीईओ नूह
बाइट ;- काजल साहू छात्रा
बाइट ;- हेमा सेलून छात्रा
बाइट ;- सुरेश कुमार जोशी अध्यापक

संवाददाता कासिम खान नूह मेवात Conclusion:
संवाददाता नूह मेवात
स्टोरी ;- स्कूलों में स्टाफ का घोर अभाव , कैसे नतीजे आएंगे बेहतर
नीति आयोग की सूचि में शामिल प्रदेश का नूह जिला भले ही शामिल हो गया हो , कागजों में शिक्षा - चिकित्सा में सुधार के बड़े - बड़े दावे किये जा रहे हों , लेकिन नूह के सरकारी स्कूलों में स्टाफ की हालत अच्छी नहीं है। बोर्ड की परीक्षाओं में अब ज्यादा समय नहीं है। ऐसे में शिक्षा के क्षेत्र में फिसड्डी नूह जिले के वार्षिक परीक्षा परिणामों में बेहतरी की आस लगाना किसी बेईमानी से कम नहीं है। खास बात तो यह है कि बहुत से स्कूलों ने तो सालभर मुख्याध्यापक तक नहीं किये।
आपको बता दें कि नूह जिले में प्रिंसिपल के 77 पद स्वीकृत हैं , जिनमें से 58 प्रिंसिपल कार्यरत हैं। 19 राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में प्रिंसिपल तक नहीं हैं। हैडमास्टर के 24 पद स्वीकृत हैं , जो सभी के सभी रिक्त पड़े हुए हैं। ईएसएचएम के 352 पद स्वीकृत हैं जिनमें 212 पद पर नियुक्ति है , लेकिन 140 पद खाली पड़े हुए हैं। ये पद मिडिल स्कूलों में होते हैं। लेक्चरर के 1273 पद स्वीकृत हैं , जिनमें से 616 पदों पर नियुक्ति की हुई हे। 657 पद अभी भी लेक्चरर के खाली पड़े हुए हैं। अध्यापक के 1108 पद स्वीकृत हैं , जिनमें से 499 पर नियुक्ति की हुई हैं , लेकिन 609 पद अध्यापक के रिक्त पड़े हुए हैं। सीएंडवी के 944 पद स्वीकृत हैं , जिनमें से 321 पर नियुक्ति की हुई है। 623 पद सीएंडवी के खाली पड़े हुए हैं। बात अगर जेबीटी की कि जाये तो 4454 पद हैं , जिनमें से 2987 पदों पर नियुक्ति की हुई है। अभी भी 1467 पद खाली पड़े हुए हैं। एचटी प्राइमरी के 353 पद स्वीकृत हैं , जिनमें से 308 स्कूलों में हैडमास्टर की नियुक्ति की हुई है। अभी भी 45 प्राईमरी स्कूलों को एचटी का इंतजार है। इन आंकड़ों से आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि शिक्षा विभाग नूह जिले की शिक्षा को लेकर कितना गंभीर है। बहुत से विषय ऐसे हैं , जिनका टीचर पूरे साल बच्चों ने नहीं देखा। जिला शिक्षा अधिकारी सूरजभान मानते हैं कि स्टाफ की हालत कोई अच्छी नहीं है , लेकिन बच्चों के बोर्ड के परिणाम बेहतर आये , इसलिए स्कूल के अध्यापकों को दूसरे स्कूलों में भेजकर जुगाड़ से काम चलाया जा रहा है। इन आंकड़ों के बावजूद नीति आयोग के आंकड़ों में नूह जिला 115 नंबर से कैसे टॉप 33 जिलों की सूचि तक पहुंच गया , लोग इस बात की सच्चाई जानना चाहते हैं। विवेक पदम सिंह एडीसी नूह भी मानते हैं कि सरकारी स्कूलों में स्टाफ की कमी है , लेकिन मौजूदा संसाधनों में शिक्षा विभाग बेहतर नतीजों की जी तोड़ कोशिशों में जुटा हुआ है।

बाइट;- विवेक पदम सिंह अतिरिक्त उपायुक्त नूह
बाइट ;- सूरजभान डीईओ नूह
बाइट ;- काजल साहू छात्रा
बाइट ;- हेमा सेलून छात्रा
बाइट ;- सुरेश कुमार जोशी अध्यापक

संवाददाता कासिम खान नूह मेवात
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