कुरुक्षेत्र: महाभारत का नाम आते ही कुरुक्षेत्र जिला जहन में आता है. ऐतिहासिक धरा होने की वजह से कुरुक्षेत्र में तीर्थ स्थलों की भरमार है, लेकिन सरकार और प्रशासन की अनदेखी की वजह से ज्यादातर तीर्थ स्थल बदहाल हो रहे हैं.
बदहाल हुआ दानवीर कर्ण का टीला
ऐसा ही एक तीर्थ स्थल है दानवीर कर्ण का टीला. देखरेख के अभाव में ये टीला अब बदहाल हो चुका है. कई साल पहले कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने यहां खुदाई की थी. खुदाई में उन्हें कई पौराणिक वस्तुएं मिली थीं. जिसके बाद इस टीले के संरक्षण के लिए काम किया गया.
कागजों तक सिमट गई योजनाएं
इस किले पर सुंदर पार्क बनाने पर विचार हुआ, ताकि इस जगह को पर्यटन स्थल बनाया जा सके, लेकिन ये योजना बस कागजों तक ही सीमित रह गई. जिसकी वजह से अब ये टीला बदहाल हो चुका है. यहां अब जंगली घास और अव्यवस्थाएं ही हैं.
कुरुक्षेत्र से 5 किलोमीटर दूर है टीला
दानवीर राजा कर्ण का टीला कुरुक्षेत्र से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इस तीर्थ का संबंध महाभारत के दानवीर कर्ण से हैं. जो वस्तुत पांडवों के जेष्ठ भ्राता थे. ये कुंती और सूर्य के अंश से कवच कुंडल धारण कर उत्पन्न हुए थे. दानवीर कर्ण सूर्य देव के अनन्य उपासक थे.
9 से 12 मीटर तक है टीले की ऊंचाई
दानवीर एवं महा पराक्रमी कर्ण का टीला जिला कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के पास है. इस टीले की ऊंचाई 9 से 12 मीटर तक है. इस टीले की खुदाई से प्रथम काल से सादे धूसर मृदभांड, लाल मृदभांड एवं काली पॉलिश वाले मृदभांड प्राप्त हुए हैं.
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यहां 50 सेंटीमीटर लंबी ईटों के भी प्रमाण प्राप्त हुए हैं. अन्य वस्तुओं से पत्थर के मुस्सल, पक्की मिट्टी, पत्थर के मनके, पक्की मिट्टी की पशुओं की मूर्ति भी मिली है. यहां से मिली इन प्राचीन वस्तुओं को इस स्थान पर एक छोटा सा संग्रहालय बनाकर को उसमें प्रदर्शित कर पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है.