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NDRI Karnal 100 Year: दूध उत्पादन में बजता है हरियाणा का डंका, दुनियाभर में प्रसिद्ध है यहां का 'काला सोना' यानि मुर्रा भैंस

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Published : Apr 10, 2023, 10:20 AM IST

Updated : Apr 10, 2023, 11:23 AM IST

NDRI karnal 100 year
Milk Production in Haryana

दूध उत्पादन में आज हरियाणा (Milk Production in Haryana) का डंका बजता है. छोटे से राज्य हरियाणा ने दुग्ध उत्पादन में पड़ा मुकाम हासिल किया है. देश के कुल मिल्क प्रोडक्शन में हरियाणा का हिस्सा 5.56 प्रतिशत है. इसका सबसे बड़ा श्रेय यहां की पशुपालन योजनाएं और राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (NDRI) करनाल जैसे संस्थानों को जाता है. एनडीआरआई द्वारा पैदा किये गये उन्नत नस्ल के पशुओं ने दूध उत्पादन में देश की तस्वीर बदल दी. एनडीआरआई करनाल अपना 100वां स्थापना दिवस मना रहा है.

करनाल: भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां बड़े स्तर पर खेती की जाती है तो वहीं पशुपालन में भी भारत दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल है. जिसके चलते पूरे विश्व में दूध उत्पादन में भारत ने एक अलग ही पहचान बनाई है. दूध उत्पादन में भारत दुनिया के सबसे अग्रणी देशों में शुमार है. देश आजादी के शुरुआती दिनों में भारत दूध उत्पादन में काफी पीछे था लेकिन 1970 के दशक में भारत सरकार ने श्वेत क्रांति अभियान चलाया. इसी का नतीजा है कि आज भारत इस मुकाम पर है.

हरियाणा में प्रति व्यक्ति दूध उत्पादन- भारत को विश्व पटल पर दूध उत्पादन में पहले नंबर पर पहुंचाने में हरियाणा का अहम योगदान है. हरियाणा में बड़े स्तर पर पशुपालन किया जाता है, जिसके चलते यहां पर प्रति व्यक्ति दूध उत्पादन पूरे भारत में पहले नंबर पर है. इससे पहले पंजाब प्रति व्यक्ति दूध उत्पादन में पहले स्थान पर था लेकिन 2021 की रिपोर्ट के अनुसार अब हरियाणा पंजाब को पछाड़कर प्रति व्यक्ति दूध उत्पादन में हरियाणा पहले नंबर पर आ गया है. हरियाणा में प्रति व्यक्ति के लिए राेज ओसतन 1142 ग्राम दूध का उत्पादन हाेता है जबकि पंजाब में प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 1132 ग्राम उपबल्द है.

ये आंकड़ा बताता है कि हरियाणा एक पशुधन प्रमुख राज्य है. यहां पशु पालक अच्छे और दुधारू पशु रखते हैं. जिसकी चलते बड़ी मात्रा में दूध का उत्पादन होता है. इसका श्रेय जहां पशु पालकों को जाता है वहीं पशु रिसर्च संस्थानों और डेयरी विभाग की भी इसमें बड़ी भूमिका है, जिनके कड़े प्रयास के बाद हरियाणा के पशुपालकों ने ये मुकाम हासिल करके प्रदेश का नाम रोशन किया.

per capita milk production in haryana
प्रति व्यक्ति दूध उत्पादन में हरियाणा देश में नंबर वन है.

हरियाणा में दूध उत्पादन कितना होता है- हरियाणा में बड़े स्तर पर पशुधन हैं. हर साल हरियाणा में गाय के दूध का 2207 टन और भैंस के दूध का 9674 टन उत्पादन हाेता है. हरियाणा में कुल 117.34 लाख टन दूध का वार्षिक उत्पादन हाेता है. जो पूरे देश के कुल दूध उत्पादन का 5.56 प्रतिशत है. दूध उत्पादन में सबसे अधिक हिस्सा भैंस का 9474 टन, और गाय के दूध का 2207 टन और बकरी के दूध का 52 टन उत्पादन शामिल है.

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हरियाणा में पशुओं की गणना- हरियाणा में बड़े स्तर पर पशुपालन करने के कारण यहां का पशुपालन विभाग भी इसमें सक्रिय है. जिसकी बदौलत हरियाणा ने इतना बड़ा मुकाम हासिल किया है. हरियाणा देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां पर पशुओं की गणना की जाती है. हरियाणा में कुल पशुधन की बात करें तो, 2021 की गणना के अनुसार हरियाणा में करीब 16 लाख परिवारों के पास 36 लाख दुधारू पशु हैं. अगर हरियाणा में टोटल पशुधन की बात करें तो 71 लाख है, जिसमें गाय, भैंस, बकरी, सूअर के साथ अन्य कई पशु शामिल हैं.

हरियाणा का पशुपालन विभाग- हरियाणा में दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए हरियाणा के पशुपालन विभाग की अहम भूमिका है. जहां समय-समय पर पशुपालकों के लिए बीमारियों से निजात दिलाने के लिए वैक्सीनेशन अभियान चलाया जाता है, तो आवारा घूम रहे पशुओं के लिए भी हरियाणा सरकार के अंतर्गत पशुपालन विभाग अहम भूमिका निभा रहा है. हरियाणा में जो बेसहारा गोधन सड़कों पर घूमता है, उनको ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार के अंतर्गत पशुपालन विभाग गायों के लिए ऐसा सीमन तैयार किया है, जिसको गाय को लगाने से वह सिर्फ बछिया ही पैदा करेगी. जिससे सड़कों पर घूम रहे बेसहारा पशुधन को लोग पालने के लिए आगे आएंगे तो वहीं सिर्फ बछिया ही पैदा होने के चलते दूध उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी.

Livestock Census in Haryana
हरियाणा पशुओं की गणना कराने वाला इकलौता राज्य है.

सरकारी संस्थान कर रहे नस्ल सुधार पर काम- हरियाणा सहित पूरे भारत में नस्ल सुधार करने के लिए कई सरकारी संस्थान काम कर रहे हैं. हरियाणा के करनाल जिले में राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान है जो पशुओं की नस्ल सुधार पर लगातार काम कर रहा है. उसके परिणाम भी निकल कर सामने आ रहे हैं. हरियाणा राज्य में यह एक बड़ा संस्थान होने के कारण यहां के पशुपालकों को बड़ा फायदा होता है. हरियाणा के हिसार जिले की बात करें तो वहां पर पशु पालन को बढ़ावा देने के लिए पशुओं का विश्वविद्यालय बनाया गया है. पशुओं के स्वास्थ्य को अच्छा रखने के लिए वहां के वैज्ञानिकों समय-समय पर वैक्सीन भी तैयार कर रहे हैं.

हरियाणा की मुर्रा भैंस मशहूर- हरियाणा दूध दही के खाने के लिए मशहूर है. इसकी खास वजह है हरियाणा की मुर्रा नस्ल की भैंस. जिसकी डिमांड विदेशों में भी है. हरियाणा की मुर्रा नस्ल की भैंस (Murrah buffalo of Haryana) को काला सोना भी कहा जाता है. क्योंकि यह विश्व में सबसे ज्यादा दूध देने वाली भैंस की नस्ल है. यह औसतन 20 लीटर से लेकर 28 लीटर तक दूध देती है. जिसके दूध की यह खासियत है कि इसमें 7 से 10 प्रतिशत तक फैट पाया जाता है. इस भैंस की मुख्य खासियत यह भी है कि ये किसी भी जलवायु में रह सकती है. मुर्रा नस्ल की भैंस का सीमन हरियाणा से दूसरे देशों में जाता है. इस भैंस की सींग जलेबी के आकार के और छोटी छोटी होती है. हरियाणा व भारत से इस भैंस को मिश्र, इटली और ब्राजील आदि कई देशों में भेजा जाता है.

Murrah buffalo of Haryana
हरियाणा की मुर्रा नस्ल पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है.

हरियाणा में पशुपालकों के लिए योजना- हरियाणा में पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा सरकार कई योजनाएं चला रही है. जिनमें से पशुपालकों के लिए सबसे अहम योजना है पशु किसान क्रेडिट कार्ड व देसी गाय की डेयरी पर अनुदान. इन दोनों योजनाओं का मुख्य उद्देश्य यही है कि पशुपालन को और भी ज्यादा बढ़ावा दिया जाए. पशु क्रेडिट कार्ड में किसान को पशु खरीदने के लिए लोन दिया जाता है. तो वहीं देसी गाय के क्षेत्र को बढ़ाने के लिए देसी गाय के डेरी पर सरकार अनुदान दे रही है. इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में हरियाणा में पशुओं की संख्या और ज्यादा बढ़ेगी और दूध उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी.

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Last Updated :Apr 10, 2023, 11:23 AM IST
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