World Animal Day 2022: विदेशों में भी है हरियाणा के 'काले सोने' की डिमांड, जानें क्या है इनकी खासियत

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Published : Oct 3, 2022, 9:45 PM IST

murrah buffalo of haryana

हर साल पूरी दुनिया में 4 अक्टूबर को विश्व पशु दिवस (World Animal Day 2022) मनाया जाता है. इस मौके पर आज हम बात करेंगे मुर्रा भैंस की. हरियाणा की मुर्रा नस्ल की भैंस (murrah buffalo of haryana) की डिमांड अब विदेशों में भी हो रही है. जानें क्या है इस नस्ल की खासियत और क्यों इसे दूसरे राज्यों और विदेशों में पसंद किया जा रहा है.

हिसार: हर साल पूरी दुनिया में 4 अक्टूबर को विश्व पशु दिवस (World Animal Day 2022) मनाया जाता है. विश्‍व पशु दिवस दरअसल पशु अधिकार की एक वैश्विक पहल है. जिसका उद्देश्‍य जानवरों के कल्‍याण के लिए बेहतर मानक तय करना है और पर्यावरण में उनके महत्‍व के प्रति लोगों को जागरुक करना है. इसलिए इस दिन को एनिमल्‍स लवर्स डे के नाम से भी मनाया जाता है. विश्व पशु दिवस पर आज हम बात करेंगे हरियाणा की मुर्रा भैंस की.

हरियाणा की मुर्रा भैंस (murrah buffalo of haryana) की डिमांड देश के साथ विदेशों में भी हो रही है. इसके पीछे सबसे बड़ी खासियत है इस भैंस की दूध देने की क्षमता. ये भैंस एक दिन में 20 से 25 लीटर तक दूध दे देती है. इसके दूध में 7 से 10 प्रतिशत फैट पाया जाता है. इन भैंसों की खास बात ये भी है कि ये किसी भी प्रकार की जलवायु में जीवित रहने में सक्षम होती हैं. हालांकि कई रिपोर्ट में कहा गया है कि ये भैंस ज्यादा शोर में रहना पसंद नहीं करती.

murrah buffalo of haryana
अगर भैंस दिखने में तंदुरुस्त और 20 किलो से ज्यादा दूध वाली है तो उसकी कीमत दूध और बनावट के आधार पर तय की जाती है.

मुर्रा भैंस यानी काला सोना: ये शांति में रहना पसंद करती हैं. हरियाणा में मुर्रा भैंस को 'काला सोना' कहा जाता है. क्योंकि दूध में वसा उत्पादन के लिए मुर्रा सबसे अच्छी नस्ल है. मुर्रा नस्ल के सींग जलेबी के आकार के होते हैं. इसे इटली, बुल्गारिया, मिश्र आदि देशों में पाला जा रहा है. मुर्रा के अलावा देश में सुरती, जाफराबादी, मेहसाणा, भदावरी आदि नस्लें भी प्रमुख हैं, लेकिन हरियाणा में विशेष तौर पर मुर्रा नस्ल ही पाली जाती है. मुर्रा नस्ल को हरियाणा से जाना जाता है.

murrah buffalo of haryana
सामान्य तौर पर 15 से 20 किलो दूध देने वाली भैंस एक लाख रुपये तक मिल जाती है.

दूध देने की क्षमता सबसे ज्यादा: विशेष तौर पर हरियाणा के हिसार, रोहतक, जींद, फतेहाबाद जिलों की भैंसे पूरे देश भर में खरीदी जाती हैं. मुर्रा भैंस का साइंटिफिक नाम बुबालस बुबालिस है. इस नस्ल की भैंस का वजन 650 kg के करीबन होता है. भैंस की सामान्यतः ऊंचाई 4.7 फीट तक होती है. विशेषज्ञों के अनुसार इस नस्ल की भैंसों में दूध देने की क्षमता सबसे ज्यादा होती है. भैंस की नस्ल व संख्या को बढ़ाने के लिए अब इनके सीमन का व्यापार भी होने लगा है.

murrah buffalo of haryana
विदेशों में भी है हरियाणा के 'काले सोने' की डिमांड

हिसार में मुर्रा नस्ल की भैंसों का सीमन बैंक भी बनाया गया है. यहां से देश के लगभग सभी राज्यों में और विदेशों में भी मुर्रा नस्ल की भैंसों का सीमन सप्लाई किया जाता है. पशु व्यापारी मुकेश ने बताया कि हिसार जिले की मुर्रा नस्ल आंध्र प्रदेश, तेलंगना, केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु आदि जिलों में बेहद बड़ी संख्या में ले जाई जाती हैं. औसत मान कर चलें तो हर रोज 50 से ज्यादा भैसें हिसार जिले से इन राज्यों के व्यापारियों द्वारा खरीदी जाती हैं.

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सामान्य तौर पर 15 से 20 किलो दूध देने वाली भैंस एक लाख रुपये तक मिल जाती है. अगर भैंस दिखने में तंदुरुस्त और 20 किलो से ज्यादा दूध वाली है तो उसकी कीमत दूध और बनावट के आधार पर तय की जाती है. पशुपालन विभाग के उप निदेशक डॉक्टर धर्मेंद्र सिंह ने कहा कि मुर्रा हरियाणा की मुख्य भैंस की नस्ल है. जो विदेशों में भी पाली जा रही है. मुर्रा नस्ल को बढ़ावा देने के लिए पशुपालन विभाग और सरकार ने डेयरी पर कुछ योजनाएं भी लागू की हैं, ताकि बेरोजगार युवक डेयरी खोलकर मुनाफा कमा सकते हैं. इसमें 4 से 10 भैंस की डेयरी पर 25% अनुदान दिया जाता है. इसी तरह 20 से 50 मुर्रा नस्ल की भैंस पर 5 साल तक 75% ब्याज पशुपालन विभाग या सरकार के द्वारा भुगतान किया जाता है, ताकि इसको बढ़ावा दिया जा सके.

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