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Vikat Sankashti Chaturthi 2023: विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की ऐसे करें पूजा, सभी दुख हरेंगे विघ्नहर्ता

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Published : Apr 9, 2023, 7:24 AM IST

हिंदू धर्म में वैशाख महीने में चतुर्थी के विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने से वे अपने भक्तों पर बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं. साथ ही विघ्नहर्ता अपनों भक्तों का दुख बहुत जल्द हरकर मनोकामनाएं पूरी करते हैं. (Vikat Sankashti Chaturthi 2023 )

Vikat Sankashti Chaturthi 2023
विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत 2023

फरीदाबाद: हिंदू धर्म में साल भर कोई न कोई तीज त्योहार आते रहता है. वैशाख महीने को हिंदू धर्म विशेष महत्वपूर्ण माना गया है. यह महीना हिंदू धर्म के अनुसार बहुत ही पवित्र माना जाता है. इसी वैशाख महीने के 9 अप्रैल को विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत है, जिसे विकट हरने वाला व्रत भी कहते हैं.

महंत मुनिराज के अनुसार, विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत करने से सभी तरह की समस्याओं से निदान मिलता है. जिस दंपति को संतान की प्राप्ति नहीं होती है, उसे संतान की प्राप्ति होती है. जो भी भक्त श्रद्धा और निष्ठा से इस व्रत को करता है उस पर भगवान गणेश, माता चौथ के अलावा चंद्र देव की भी अति कृपा रहती है.
शास्त्रों के अनुसार कोई भी शुभ कार्य करने से पहले सबसे पहले गणेश भगवान की पूजा की जाती है. उसके अलावा अन्य देवताओं की पूजा की जाती है और यही वजह है कि जहां रोज गणेश भगवान की पूजा की जाती है वही इस दिन विशेष रुप से गणेश भगवान की ही पूजा की जाती है. इससे गणेश भगवान अति प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की तमाम तरह की समस्याओं का समाधान करते हैं.

Vikat Sankashti Chaturthi 2023
विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत 2023

कब है विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत: महंत मुनिराज आगे बताते हैं कि विकट संकष्टी चतुर्थी 2023 का व्रत पंचांग के अनुसार वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 9 अप्रैल को सुबह 9:35 मिनट पर होगा. वहीं, चतुर्थी तिथि का समापन 10 अप्रैल सुबह 8:37 मिनट पर होगा. संकष्टी चतुर्थी में चंद्रमा का उदय चतुर्थी तिथि में होता है और इसी तिथि के आधार पर विकट संकष्टी चतुर्थी 9 अप्रैल को मनाया जाएगा. विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा करने के बाद शाम को चंद्र भगवान को अर्घ्य देकर पूजा का समापन किया जाता है. इस दिन चंद्र देवता भी देर से प्रकट होते हैं.

विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत पूजा की विधि: विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत करने वाले भक्त इस दिन सुबह जल्दी उठकर और स्नान करके नए कपड़े का धारण करें. इसके बाद जहां पर गणेश भगवान की प्रतिमा जहां स्थापित करनी है, उस जगह को गंगाजल से पवित्र करें. फिर एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर गणेश भगवान की मूर्ति या फोटो को सच्चे मन से रखें. इसके बाद गणेश भगवान को गंगाजल से पवित्र करें. इसके बाद फूल, अक्षत, चंदन, धूप, दीप, फल, रोली, दूर्वा, आदि चढ़ाकर सच्चे मन से गणपति भगवान का ध्यान रखते हुए उनकी पूजा करें. इसके अलावा एक बात का विशेष ध्यान रखें मिष्ठान में खास तौर पर उनका प्रिय भोग मोदक जरूर चढ़ाएं. पूरे दिन व्रत में रहकर शाम को चंद्र भगवान के दर्शन करके उनको अर्घ्य जरूर दें. उसके बाद ही व्रत का पारण करें.

भद्रा साया का प्रकोप: हालांकि इसी दिन भद्रा का भी प्रकोप रहने वाला है मान्यताओं के अनुसार इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए, अगर इस दौरान कोई व्यक्ति कोई शुभ कार्य करता है तो वह कार्य सफल नहीं होता है. बता दें कि भद्र साया का प्रकोप 8 अप्रैल रात 9:56 मिनट पर शुरू होगी और 9 अप्रैल सुबह 9:35 मिनट तक रहेगा. इस दौरान मान्यताओं के अनुसार कोई भी कार्य नहीं कर सकते हैं, लेकिन भगवान गणेश की पूजा कर सकते हैं.

विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत का महात्म्य: इस दौरान जहां गणेश भगवान की पूजा की जाती है वहीं चौथ मां की भी पूजा की जाती है. रात में चंद्र भगवान को अर्घ्य देकर इसका समापन किया जाता है. मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को रखने वाले पर भगवान गणेश की अति कृपा रहती है. इस व्रत को रखने से संतान संबंधित समस्या दूर होती है. वहीं, पारिवारिक और व्यावहारिक जीवन भी सुख में रहता है. व्रत करने वाले भक्तों को बल, बुद्धि, आरोग्य का वरदान मिलता है.

विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत करने पर गणेश भगवान, चौथ माता के साथ-साथ चंद्र देवता भी आपके जीवन का सारा कष्ट विकार, क्लेश दूर कर देते हैं. इस दिन विकट संकष्टी चतुर्थी पर रात को चंद्र देव की भी पूजा की जाती है. चंद्र देव की पूजा के बिना संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूरा नहीं होता है. हालांकि इस दिन चंद्रमा देरी से निकलता है.

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