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अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेला: मेले में दिखा कैदियों का हुनर, कई तरह के समानों का लगाया स्टॉल

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Published : Feb 5, 2023, 1:29 PM IST

Updated : Feb 11, 2023, 2:40 PM IST

जेल में रहकर जहां कैदी अपनी सजा काट रहे हैं, वहीं अलग-अलग जेलों में उन्हें आत्मनिर्भर भी बनाया जा रहा है. सरकार की ओर से कैदियों के लिए कई तरह की पॉलिसी चलाई जाती है, जिसके तहत उन्हें यह बेनिफिट मिलता है. सूरजकुंड मेले में भी कैदियों ने अपने हुनर का लोहा मनवाया (Surajkund Mela 2023) है.

Surajkund Fair in Faridabad
अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेला

सूरजकुंड मेले में कैदियों का हुनर

फरीदाबाद: वो कहते हैं न हुनर किसी का मोहताज नहीं होता है. यदि आप कुछ सीखने का जज्बा रखते हैं तो उम्र आपके लिए कोई चुनौती नहीं होती है बल्कि आपका हुनर ही आपको आत्मनिर्भर बनाता हैं. जिसका जीता जागता उदाहरण देखने को मिल रहा है अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेला में. जहां पर प्रदेश के विभिन्न जिलों में बंद कैदी अपने हुनर से आत्मनिर्भरता की कलाकृति को गढ़ रहे हैं.

उनकी इस कलाकृति की झलक अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेला में देखने को मिल रहा है. यहां कैदियों ने सजावटी सामान फर्नीचर, कंबल, लेडीज पर्स, घड़ी, किचन का सामान, बेड, सोफा लकड़ियों के आइटम फर्नीचर इत्यादि सामान बनाया है. मेला परिसर में जेल विभाग की तरफ से लगी स्टाल पर यह आपको देखने को मिल सकता है और यही वजह है कि वहां पर खरीदारों की भी भीड़ बढ़ रही है.

कैदियों के बनाए गए सामानों की हर कोई प्रशंसा भी कर रहा है. बता दें कि सजा काट रहे कैदियों को जेल में ही आत्मनिर्भर बनाने का काम किया जाता है. जब कोई प्रदर्शनी लगती है तो इन कैदियों के बने हुए सामानों को वहां रखा जाता है. कैदियों के बने हुए सामान को देखने के बाद आप भी सोच में पड़ जाएंगे कि कैदी आखिर इतनी गुणवत्ता के साथ बारीकियों को ध्यान रखते हुए यह कैसे तैयार कर लेते हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत में डिप्टी जेल सुपरिंटेंडेंट नवीन छिल्लर बताते हैं कि जो समान बनाया गया है वह कैदियों ने बनाया है. पहले उन कैदियों को काम सिखाया जाता है और जो काम सिखा रहे हैं वह भी कैदी ही हैं. कई तरह के क्राइम को अंजाम देने की वजह से उन्हें सजा होती है और जेल भेज दिया जाता है. उनको हम आत्मनिर्भर बनाने के लिए ट्रेनिंग देते हैं ताकि अपनी सजा काटकर जब वह बाहर जाएं, तब एक सभ्य समाज में वह आत्मनिर्भर बन सकें.

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यही वजह है कि जो कंप्यूटर सीखना चाहता है वह कंप्यूटर सीखता है, जिसे पेंटिंग सीखनी होती है वह पेंटिंग सीखता है. जेल के अंदर जिसको जिस प्रोफेशन में जाना होता है हम पूरी तरह से मदद करते हैं. ऐसे में आप इन समान को देखकर यह नहीं कह सकते कि यह किसी कैदी ने बनाया है.

यह समान मार्केट से बेहतर है. वहीं मार्केट से रीजनेबल रेट में यह समान सूरजकुंड मेले में मिल रहा है. आपको बता दें हरियाणा सरकार की ओर से कुशल कैदियों का मेहनताना बढ़ा दिया गया है. पहले कैदियों को मेहनत के तौर पर 60 रुपये दिया जाता था जिसे बढ़ाकर अब 100 रुपये कर दिया गया है. इससे कैदियों का उत्साह और भी बढ़ गया है और यही वजह है कि अब कैदी मन लगाकर अपने हुनर को निखार रहे हैं. कुल मिलाकर सूरजकुंड मेले में कलाकृति की झलक देखने को मिल रही है.

Last Updated : Feb 11, 2023, 2:40 PM IST
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