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डॉक्टर से जाने डेंगू की पूरी जानकारी, कौन-कौन से होते हैं टेस्ट, शरीर में कितने प्लेटलेट्स हैं जरूरी

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Published : Oct 27, 2021, 10:08 PM IST

Complete Information About Dengue: इस मौसम में डेंगू के मामले बढ़ते जा रहे हैं. वहीं आम लोगों में डेंगू को लेकर बहुत सारी गलतफहमियां मौजूद हैं, इन्हीं गलतफहमियों का फायदा उठाकर निजी अस्पताल लोगों से मनचाहा पैसा वसूलते हैं, ऐसे में ईटीवी भारत आपके लिए डेंगू की बीमारी, डेंगू में होने वाले टेस्ट और इलाज से जुड़ी हर जानकारी एक दम सही-सही लेकर आया है.

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डॉक्टर से जाने डेंगू की पूरी जानकारी, कौन-कौन से होते हैं टेस्ट

फरीदाबाद: मानसून के बाद देश में डेंगू बुखार (Dengue Fever) की बीमारी सबसे बड़ी समस्या रहती है. हर साल हजारों लोग इस बीमारी की चपेट में आते हैं. सैकड़ों लोग अपनी जान चली जाती है, लेकिन ये बीमारी उतनी जानलेवा नहीं है, जितनी मौते हो जाती हैं. इतनी भारती संख्या में लोगों की मौत होने की मुख्य वजह है इलाज में लापरवाही और जानकारी का अभाव होना.

देश के अस्पतालों में आज डेंगू के मरीजों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है. एक तरफ कोरोना के मामलों से लोग डरे हुए हैं तो दूसरी तरफ डेंगू के डर ने भी लोगों को और ज्यादा डरा दिया है. अब ऐसे में डेंगू को लेकर बहुत सारी गलतफहमियां लोगों के बीच मौजूद हैं और इन्हीं गलतफहमियों को निजी अस्पताल डर बनाकर लोगों से मनचाहा पैसा वसूलते हैं. ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने फरीदाबाद के डॉक्टर अनमोल से बात की.

डॉक्टर से जाने डेंगू की पूरी जानकारी, देखिए वीडियो

जानें कितने तरह का होता है डेंगू, कैसे करें पहचान?

1. सामान्य डेंगू- लगभग 90% लोगों में सामान्य डेंगू पाया जाता है. इसमें मरीज को बुखार रहता है और मरीज के बदन में जोड़ों में बुरी तरह से दर्द होता है. मरीज को सामान्य तौर पर बुखार बना रहता है और 5 से 7 दिन तक प्लेटलेट्स की संख्या कम होने लगती है. उसके बाद आठवें और नौवें दिन यह प्लेटलेट्स की संख्या फिर से बढ़ने लगती है. सिर दर्द की परेशानी भी सामान्य डेंगू में झेलनी पड़ती है. डॉक्टरी सलाह के अनुसार सामान्य डेंगू के मरीज को घर पर आसानी के साथ ठीक किया जा सकता है. डेंगू को ठीक करने के लिए संबंधित दवाइयां भी जा सकते हैं और मरीज को बेहद हल्का खाना देने की जरूरत होती है. सामान्य बुखार की तरह ही सामान्य डेंगू से भी निपटा जा सकता है.

2. डेंगू हैमरेजिक- हेमरेजिक डेंगू मध्यम जोखिम की बीमारी है. इसमें मरीज को बार बार बुखार आता जाता है. मरीज जब पांचवें दिन में पहुंचता है तो उसकी स्थिति बेहद खराब हो जाती है. प्लेटलेट्स कम होना शुरू हो जाती हैं, जिसके चलते मरीज को उल्टी, दस्त, ब्लीडिंग होनी शुरू हो जाती है. मुंह से नाक से और यूरिन के जरिए बिल्डिंग होती है. यहां तक की इंसान जो मल निकालता है उसमें भी काले रंग की बिल्डिंग शुरू होती है. इसमें मरीज का बीपी 120/80 से गिरकर 100/60 तक चला जाता है.

इसके अलावा शरीर पर लाल दाने हो जाते हैं और मरीज को खुजली भी हो जाती है. हेमरेजिक डेंगू में मरीज को भी डि-हाइड्रेशन की शिकायत हो जाती है, पानी की कमी होने लगती है, ऐसे में मरीज को ज्यादा से ज्यादा पानी जैसे जूस, नारियल, सूप आदि देकर पानी की कमी को पूरा किया जा सकता है. इस डेंगू में मांसपेशियों में तेज दर्द होता है. इसको बर्दाश्त करना बेहद असहनीय होता है जबकि आम बुखार में अमूमन ऐसा नहीं होता.

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3. डेंगू शॉक सिंड्रोम- हेमोरेजिक स्टेज के बाद डेंगू शॉक सिंड्रोम की बारी आती है. इसमें मरीज की बीपी लगातार गिरती है और ब्लीडिंग बंद नहीं होती. मरीज शॉक में पहुंच जाता है. जिसको डेंगू की शॉक सिंड्रोम कहां जाता है. ऐसे मरीज को आईसीयू में भर्ती करने की जरूरत होती है. मरीज का बीपी 70/40 तक पहुंच जाता है. इस स्टेज पर मरीज के किडनी लीवर और हार्ट फेल करा बढ़ जाता है. स्टेज पर लगातार डॉक्टर की निगरानी में रहना बेहद जरूरी होता है.

कैसे करवाएं टेस्ट: डेंगू होने से पहले उसकी जांच और डेंगू होने के बाद होने वाले उनके टेस्टों के बारे में सही जानकारी हो तो इलाज करना बहुत आसान हो जाता है. इसके साथ ही ज्यादा खर्चों से भी बचा जा सकता है. स्वास्थ्य विभाग की सलाह के मुताबिक डेंगू का टेस्ट हमेशा बुखार आने के 3 दिन बाद ही कराना चाहिए, क्योंकि अगर 3 दिन से पहले टेस्ट कराया जाता है तो उस टेस्ट में डेंगू हमेशा नेगेटिव आता है.

डेंगू होने से पहले उसकी जानकारी के लिए कार्ड या रैपिड टेस्ट करके भी डेंगू का नेगेटिव या पॉजिटिव होने का पता लगाया जा सकता है, लेकिन यह टेस्ट ज्यादा विश्वसनीय नहीं होता. अगर इसमें डेंगू पॉजिटिव आता है तो इलाज तुरंत शुरू कर दिया जाता है, वरना रिपोर्ट नेगेटिव आती है तो डेंगू के लिए दूसरा टेस्ट कराना बेहद जरूरी हो जाता है, क्योंकि कई बार डेंगू पॉजिटिव होते हुए भी ये कार्ड नेगेटिव रिपोर्ट देता है.

एलाइजा टेस्ट- डेंगू चेक करने के लिए सबसे सही टेस्ट होता एलाइजा टेस्ट है. इसमें प्ले बनाकर टेस्ट किया जाता है. कई बार जब रैपिड टेस्ट में शंका रह जाती है तो यह टेस्ट किया जाता है और यह टेस्ट बेहद विश्वसनीय होता है.

डेंगू होने के बाद कराने चाहिए यह टेस्ट: अगर किसी मरीज को डेंगू हो जाता है तो उसके लिए कंपलीट ब्लड काउंट टेस्ट (CBC TEST) ही महत्वपूर्ण रहता है, क्योंकि शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या कम हो रही है या बढ़ रही है इसकी सही जानकारी कंपलीट ब्लड टेस्ट में प्राप्त की जा सकती है. मरीज के शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या को जानने के लिए कई बार हर रोज यह टेस्ट कराया जाता है. फर्स्ट टेस्ट की कीमत करीब 300 रुपये होती है.

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शरीर में प्लेटलेट्स की जानकारी: डेंगू के इस माहौल में सबसे ज्यादा डरावना प्लेटलेट्स की कमी का होना बताया जाता है. ऐसे में अगर हमें यह जानकारी होनी चाहिए कि हमारे शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या कितनी कम होने तक सब कुछ सही रह सकता है और कब तुरंत अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ सकती है.

स्वास्थ विभाग के अनुसार सामान्य तौर पर हमारे शरीर के अंदर डेढ़ लाख से लेकर करीब साढ़े चार लाख तक प्लेटलेट्स होती हैं, लेकिन डेंगू के समय में प्लेटलेट्स की संख्या कम होने के चलते लोगों की जान भी चली जाती है. सबसे बड़ा खतरा इसी बात का रहता है कि लोगों को जानकारी नहीं होती और इसी का फायदा उठाकर निजी संचालक प्लेटलेट्स के नाम पर जमकर लूट करते हैं.

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डेंगू के मरीज को ब्लीडिंग प्लेटलेट्स की कमी के कारण ही होती है. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार अगर मरीज को सिर्फ बुखार है, ब्लीडिंग नहीं हो रही है, उसका बीपी भी ठीक आ रहा है, और उसके शरीर में 10 हजार प्लेटलेट्स ही बचे हैं, फिर भी उसको नई प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत नहीं है. वहीं अगर किसी मरीज के शरीर में 30 हजार के प्लेटलेट्स मौजूद हैं और उसको सर्दी के साथ बुखार आ रहा है या फिर ब्लीडिंग हो रही है, तो उसको प्लेटलेट्स की बेहद जरूरत है. प्लेटलेट्स ब्लीडिंग होने से रोकती हैं.

पानी है सबसे बड़ा बचाव: डेंगू के मरीज को सबसे ज्यादा जरूरत पानी की होती है. इस बीमारी में शरीर के अंदर से पानी निकल जाता है और पानी ज्यादा निकलने के कारण खून गाढ़ा हो जाता है. ऐसे में डेंगू के मरीज को ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पानी देना चाहिए. अब चाहे तो मरीज ज्यादा से ज्यादा शुद्ध पानी सीधा पी सकता है या फिर अस्पताल में ड्रिप लगवाकर पानी की कमी दूर कर सकता है.

बुखार कम होने से घटती है प्लेटलेट्स: जब भी डेंगू के मरीज का बुखार कम होता है तो बुखार कम होने के साथ ही प्लेटलेट्स की संख्या भी घटनी शुरू हो जाती है इस संख्या को घटने से रोका नहीं जा सकता. एक बार प्लेट्स घटने के बाद शरीर खुद ही नए प्लेटलेट्स बढ़ना शुरू कर देती है. ऐसे में अगर आप को बुखार आता है और बुखार उतरने के बाद आप की प्लेट की संख्या कम होती है तो उसमें घबराने की जरूरत नहीं है.

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