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कोरोना ने सैकड़ों नौनिहालों को बना दिया बाल मजदूर, किताबें और पेंसिल के बजाय हाथ में दिख रहे औजार

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Published : Nov 30, 2021, 5:38 PM IST

कोरोना महामारी के दौरान हरियाणा में नौनिहालों को बाल मजदूर बनने पर मजबूर होना पड़ा है. इंडस्ट्रियल सिटी कही जाने वाली फरीदाबाद में बाल श्रम के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की (Child Labour Increase Faridabad) गई है. साल 2020 में जब पूरी तरह से लॉकडाउन था ऐसे में फरीदाबाद में 124 बाल मजदूरी के मामले सामने आए. वहीं साल 2021 में अब तक 191 बाल मजदूरी के सामने आ चुके हैं.

Child Labour Increase Faridabad
Corona Pandemic Haryana Child Labour

फरीदाबाद: भारत समेत पूरी दुनिया को कोरोना महामारी ने प्रभावित किया है. स्वास्थ्य से लेकर व्यवसाय और रोजगार सभी पर बुरा असर पड़ा है. वहीं दूसरी ओर संक्रमण काल में बच्चों की शिक्षा भी इससे अछूती नहीं रह सकी. कोरोना महामारी के दौरान हरियाणा में भी सैकड़ों नौनिहालों को बाल मजदूर बनने के लिए विवश कर (Corona Pandemic Haryana Child Labour) दिया. यहां जिस तरह से बाल मजदूरी के मामले बढ़े हैं वो बेहद चिंता वाली बात है. क्योंकि देश के जिस भविष्य के हाथों में किताबे पेंसिल होनी चाहिए उन हाथों में ईंटे और औजार दिखाई दे रहे हैं.

बच्चों की ये हालत तब है जब इन बच्चों को घर के आर्थिक हालातों से हार का सामना कर पड़ा. कोरोना काल के दौरान बहुत सारे लोगों की नौकरियां चली गई. लॉकडाउन के चलते स्कूल बंद रहे तो ऐसे में घर के छोटे बच्चों को दोबारा से स्कूल भेजने की बजाय काम पर भेजा गया. क्योंकि घर की आर्थिक हालातों ने घर के बड़ों को भी और घर के छोटों को भी यह करने पर मजबूर कर दिया. यूनिफाइड डिस्टिक इनफॉरमेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन की रिपोर्ट के अनुसार कोरोना काल से पहले ही पूरी दुनिया में 25.8 करोड़ बच्चे और भारत में 6.52 करोड़ बच्चे स्कूल से बाहर शिक्षा से वंचित थे. जबकि अनुमान है कि महामारी ने दुनिया भर के 14 करोड़ बच्चों और उनके परिवारों को अधिक गरीबी के दलदल में धकेल दिया है.

कोरोना ने सैकड़ों नौनिहालों को बना दिया बाल मजदूर, किताबें और पेंसिल के बजाय हाथ में दिख रहे औजार

इनमें से भारी संख्या में बच्चे स्कूल से बाहर हो गए और बाल मजदूर के शिकार हो गए. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और यूनिसेफ की हालिया जारी रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में बाल श्रमिकों की संख्या 15.2 करोड से बढ़कर 16 करोड़ हो गई है. इंडस्ट्रियल सिटी कही जाने वाली फरीदाबाद में बाल श्रम के मामलों में बढ़ोत्तरी दर्ज की (Child Labour Increase Faridabad) गई है. बात करें साल 2020 की जब पूरी तरह से लॉकडाउन था ऐसे में फरीदाबाद में 124 बाल मजदूरी के मामले सामने आए. वहीं साल 2021 में अब तक 191 बाल मजदूरी के सामने आ चुके हैं.

बाल मजदूरी में ज्यादातर वह बच्चे शामिल हैं जो बेहद गरीब परिवार से आते हैं. फरीदाबाद में स्लम का एक बहुत बड़ा हिस्सा रहता है. स्लम एरिया से ही भारी संख्या में बच्चे स्कूलों को छोड़ बाल मजदूरी कर रहे हैं. कोविड-19 में स्कूल छोड़ने के बाद जानिसार और उसका एक साथी सोफे और कुर्सियां बेच कर घर के आर्थिक हालातों को ठीक करने की कोशिश कर रहे हैं. दिन में हजार रुपए से लेकर ₹1500 तक की कमाई के लिए ये बच्चे स्कूल को छोड़ मजदूरी करते हैं. दोनों की ही उम्र 15 से 17 साल के बीच है.

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फरीदाबाद के सेक्टर 20 में रहने वाले बंटी ने दसवीं कक्षा की पढ़ाई छोड़ दी क्योंकि कोरोना के बाद से पढ़ाई का खर्च उठाना उनके लिए मुश्किल हो गया. अब वह एक निजी कंपनी में कुरियर बॉय के तौर पर काम कर रहा है. महीने में करीब 12 हजार की सैलरी उसको मिल रही है. इससे वह अपने घर का खर्चा चला रहा है, लेकिन आज भी उसके मन में दोबारा से आगे पढ़ने की इच्छा है. वहीं दूसरी ओर बिहार का रहने वाला मोनू लॉकडाउन के समय में आर्थिक हालातों जूझते हुए मेहनत मजदूरी करने के लिए फरीदाबाद आ गया. अब उसको यहां पर अपनी पढ़ाई के लिए मजदूरी करनी पड़ रही है. दिन में वह पांच सौ रुपये की मजदूरी करके अपना गुजारा कर रहा हैं और इसी से अपनी पढ़ाई का खर्चा भी निकाल रहा है.

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हरियाणा सरकार महिला एवं बाल विकास विभाग की चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के चेयरमैन श्रीपाल करहाना ने बताया कि कोरोना ने बहुत से परिवारों की आर्थिक हालात बुरी तरह से कमजोर कर दी और यही सबसे बड़ी वजह रही है बाल मजदूरी के मामलों में बढ़ोतरी होने की क्योंकि आर्थिक हालत बेकार होने के कारण और स्कूल बंद होने के कारण छोटे बच्चे बाल मजदूरी से जुड़े हैं. हम सबको मिलकर जरूरत है कि ऐसे बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कराएं और इनको दोबारा से सकूल भेजें ताकि वह अपना भविष्य बना सकें क्योंकि बाल मजदूरों को बेहद कम मजदूरी दी जाती है. जिस वजह से आर्थिक और शारीरिक रूप से उनका शोषण होता है.


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