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Haryana Assembly Election: बीजेपी-जेजेपी गठबंधन पर चल रही सियासत के क्या है मायने?

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Published : Jun 13, 2023, 11:13 AM IST

हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले सूबे की राजनीति में आने वाले समय में बीजेपी-जेजेपी गठबंधन के टूटने को लेकर चर्चाएं तेज होने लगी हैं. क्योंकि हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला और हरियाणा बीजेपी प्रभारी बिप्लब देब के बीच तलवार खिंच गई है. सवाल यह है कि आखिर गठबंधन बीजेपी तोड़ना चाहती है या फिर जेजेपी. साथ ही गठबंधन टूटने से किसे नुकसान और किसका फायदा होने वाला है. (clash in bjp jjp alliance in haryana)

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हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सियासत

चंडीगढ़: हरियाणा की सियासी गलियारों में इन दिनों बीजेपी-जेजेपी गठबंधन के टूटने को लेकर कयासों का दौर जारी है. आज टूटे, कल टूटे या परसों, ज्यादातर राजनीतिक मामलों के जानकार यह मानते हैं कि गठबंधन 2024 के चुनाव से पहले टूटना तय है. यानी चुनाव 2024 में दोनों दल अलग-अलग चुनाव भी मैदान में दिखाई देंगे. आखिर ऐसा क्यों है? इसके पीछे की वजह क्या है? क्यों ऐसा लग रहा है कि बीजेपी और जेजेपी ने भले ही 2019 के चुनाव के बाद गठबंधन की सरकार बनाई और आज हालात यह हो गए हैं कि बीजेपी छोड़िए, निर्दलीय विधायक भी इस गठबंधन को तोड़ने की बातें कर रहे हैं.

बीजेपी या जेजेपी कौन तोड़ना चाहता है गठबंधन?: जब गठबंधन तोड़ने की बात हो रही है और उसकी रूपरेखा भी बन रही है. ऐसे में सवाल यह है कि क्या गठबंधन बीजेपी तोड़ना चाहती है या फिर जेजेपी? वर्तमान परिस्थितियों को देखकर साफ तौर पर लग रहा है कि गठबंधन जननायक जनता पार्टी तो नहीं बल्कि बीजेपी तोड़ना चाह रही है. हो सकता है उसके लिए यह माहौल भी बनाया जा रहा हो. इसलिए पार्टी के प्रदेश प्रभारी बिप्लब देब पार्टी के विधायकों के साथ ही निर्दलीय विधायकों से मुलाकात कर रहे हों. वह भी शायद यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि अगर बीजेपी गठबंधन तोड़ती है तो फिर राजनीतिक परिस्थितियां प्रदेश में क्या होंगी? यानी इस तरह की बयानबाजी और पार्टी के नेताओं का फीडबैक इन सभी को सम्मिलित कर आगे की रणनीति बीजेपी बनाती हुई दिखाई देती है.

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक?: राजनीतिक मामलों के जानकार डॉ. सुरेंद्र धीमान भी कहते हैं कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि बीजेपी इस गठबंधन से बाहर निकलना चाहती है. उसकी वजह भी है क्योंकि 2019 में बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ कर जेजेपी ने 10 सीटें जीती थी. वे कहते हैं कि पार्टी के नेता भी मानते हैं कि जो वोट बीजेपी के विरोध का था और जेजेपी के पक्ष में था, वह अब गठबंधन के बाद जेजेपी के साथ नहीं रह गया है. डॉ. सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि इसलिए हालात को देखते हुए बीजेपी, जेजेपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ना फायदे का सौदा नहीं मान रही है. हालांकि वे कहते हैं कि इसको लेकर आखरी फैसला तो शीर्ष नेतृत्व को ही करना है.

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बिप्लब देब और दुष्यंत के वार-पलटवार के बाद तेज हुई सियासत?: वैसे तो पहले भी कई बार गठबंधन को लेकर बयानबाजी नेता करते रहे हैं, लेकिन जिस तरीके से बीजेपी के प्रदेश प्रभारी बिप्लब देब और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के बीच जुबानी जंग हुई उससे ने गठबंधन पर सवाल और बवाल होने लगा. दुष्यंत चौटाला के पलटवार के बाद बिप्लब देब ने निर्दलीय विधायकों और हलोपा विधायक के साथ बातचीत की है. उससे सियासी गलियारे में चर्चा छिड़ गई है कि बीजेपी चुनाव से पहले गठबंधन तोड़ेगी.

'चुनाव 2024 से पहले गठबंधन का टूटना तय': इस पर राजनीतिक मामलों के जानकार डॉ सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि गठबंधन चुनाव 2024 से पहले टूटना तय दिखाई दे रहा है. लेकिन, अभी सरकार का 16 महीने का कार्यकाल बचा हुआ है. इसलिए हो सकता है अभी तुरंत गठबंधन न तोड़ा जाए. वे कहते हैं कि इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि निर्दलीय विधायकों पर शायद भाजपा को पूरा भरोसा नहीं है.

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यह अलग बात है कि वे पूरा भरोसा दे रहे हैं. लेकिन, जेजेपी से अलग होने के बाद यह भरोसा कितना कायम रहेगा, यह तो तब पता चलेगा. वे कहते हैं कि सियासी गलियारों में यह भी चर्चा है कि जिस तरीके से बीजेपी के प्रभारी ने उचाना में दुष्यंत चौटाला को चुनौती दी है, उससे बीजेपी आक्रामक हो गई है. जेजेपी के तेवर ढीले पड़ गए हैं. इसलिए जेजेपी फील्ड में पकड़ मजबूत बनाने के लिए दुष्यंत चौटाला अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं. वहीं, बीजेपी भी इसे देख रही है.

गठबंधन के सवाल पर सीएम और डिप्टी सीएम ने लगाया विराम: फिलहाल तो गठबंधन टूटने के सवाल पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने विराम लगा दिया है. लेकिन, बीजेपी के अंदर इसको लेकर मंथन जारी है और जारी रहेगा. सूत्र बताते हैं कि बीजेपी के ज्यादातर नेता इस गठबंधन को चुनाव तक नहीं खींचना चाहते हैं. क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे पार्टी के वोट बैंक पर असर पड़ेगा. सूत्र बताते हैं कि पार्टी के ज्यादातर नेता मानते हैं कि चुनाव से जितना पहले यह गठबंधन टूट जाए पार्टी को उससे उतना फायदा होगा.

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गठबंधन तोड़ने की इच्छा के पीछे कई और वजह: गठबंधन तोड़ने की इच्छा के पीछे कई और वजहें भी हैं. इसके पीछे वोटों का अंकगणित भी काम कर रहा है. दरअसल बीजेपी का हरियाणा में वोट बैंक नॉन जाट को ज्यादा माना जाता है. ऐसे में अगर जननायक जनता पार्टी भी चुनावी मैदान में उतरे तो फिर जाट वोट भी बंटेगा. ऐसा इसलिए मैदान में फिर इंडियन नेशनल लोकदल और कांग्रेस भी इस वोट बैंक के वोट लेगी. जिसका सीधा फायदा बीजेपी को मिल सकता है. यानी सियासी नफा नुकसान का आकलन करके बीजेपी इस मुद्दे पर आगे बढ़ेगी यह साफ दिखाई दे रहा है.

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