ETV Bharat / state

जाने-माने डॉक्टर आशीष भल्ला से जानें 'कोवैक्सीन' मानव परीक्षण की पूरी प्रक्रिया

author img

By

Published : Jul 4, 2020, 9:24 PM IST

डॉक्टर भल्ला ने 'कोवैक्सीन' की खोज पर खुशी जताई, लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि वैज्ञानिक अभी तक इस वायरस को पूरी तरह समझ नहीं पाए हैं. यह वायरस अपने आपको लगातार बदल रहा है. अब यह वायरस पहले से ज्यादा खतरनाक हो चुका है.

know the entire process of 'covaxin' human test from well-known doctor ashish bhalla
चंडीगढ़ पीजीआई के इंटरनल मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. आशीष भल्ला

चंडीगढ़: हरियाणा के रोहतक पीजीआई में 7 जुलाई से कोरोना वायरस की नई वैक्सीन 'कोवैक्सीन' का मानव परीक्षण शुरू होने जा रहा है. इस वैक्सीन को आईसीएमआर और भारत बायोटेक ने बनाया है. इस वैक्सीन का पहले ही जानवरों पर परीक्षण किया जा चुका है और अब अगले चरण में मानव परीक्षण शुरू होने वाला है. इस वैक्सीन को तैयार करने और परीक्षणों के विभिन्न चरणों को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने चंडीगढ़ पीजीआई के इंटरनल मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. आशीष भल्ला से खास बातचीत की.

बता दें कि डॉक्टर आशीष भल्ला चंडीगढ़ पीजीआई के इंटरनल मेडिसिन विभाग में लंबे समय से कार्यरत हैं. वे इमरजेंसी मेडिसन और टॉक्सिकोलॉजी के विशेषज्ञ हैं. चंडीगढ़ पीजीआई में इमरजेंसी ओपीडी के इंचार्ज भी रह चुके हैं. प्रोफेसर आशीष भल्ला को अपने क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने के लिए कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं. इसके अलावा वे चिकित्सा जगत से जुड़ी कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के सदस्य भी रह चुके हैं. इस ह्यूमन ट्रायल को लेकर डॉ. आशीष भल्ला ने बताया कि किसी भी वैक्सीन को बनाना आसान काम नहीं है. इसके लिए वायरस चाहिए, वायरस का प्रोटीन और डीएनए भी चाहिए. इसके अलावा कई महत्वपूर्ण सामान भी चाहिए होता है. वैक्सीन में वायरस मात्रा को तय करना सब काफी मुश्किल काम है, ये पहली बार में नहीं बनता.

देखिए डॉक्टर आशीष भल्ला के साथ 'कोवैक्सीन' पर खास बातचीत

'इस वैक्सीन की खोज गर्व की बात'

उन्होंने कहा कि एक भारतीय कंपनी ने इस वैक्सीन को बनाने का दावा किया है. जो हम सब के लिए गर्व की बात है. एक वैक्सीन के परीक्षण को लेकर साइंटिस्ट्स को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इस आधुनिक युग में भी कुछ बातें साइंटिस्ट को आज भी परेशान कर रही हैं. जब भी कोई वैक्सीन बनाई जाती है. उसमें सबसे पहली बात यह होती है कि किसी भी वायरस से किसी व्यक्ति का कोई नुकसान ना हो, इसीलिए पहले उसका इस्तेमाल जानवरों के लिए जाता है उसके बाद मानव पर किया जाता है.

'वायरस की मात्रा तय करना सबसे बड़ी परेशानी होती है'

सबसे बड़ी बात यही है कि अगर कोई वैक्सीन व्यक्ति किसी व्यक्ति को दी जाए तो वह मानव शरीर पर नुकसान करेगी या नहीं. फायदा बाद में देखा जाता है पहले यह देखा जाता है कि उसका नुकसान नहीं होना चाहिए. अगला चरण यह होता है कि उसकी कितनी मात्रा मरीज को दी जाए. जितनी मात्रा मरीज के शरीर को नुकसान ना पहुंचाएं.

'परिणाम आने में करीब तीन महीने का लगेगा वक्त'

डॉक्टर ने कहा कि तत्काल नुकसान से बचाव के साथ-साथ ये भी देखना है कि भविष्य में इसका मानव शरीर पर कोई बुरा असर ना पड़े. इसके लिए हम मरीज को कम से कम 6 से 8 हफ्ते मॉनिटर करते हैं. कई केसों में हम इसे तीन महीनों तक करते हैं. इन सब बातों के बाद उसके बीमारी खत्म करने की क्षमता को दिखा जाता है. तब यह देखा जाता है कि वह वैक्सीन एंटीबॉडी बना रही है या नहीं और अगर बना रही है तो वह वायरस से लड़ने में सक्षम है या नहीं.

'जानवरों सफल परीक्षण के बाद भी संशय बरकरार'

डॉ. भल्ला ने कहा कि इस वैक्सीन का जानवरों पर सफल परीक्षण किया जा चुका है, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि इसका मानव शरीर पर भी सकारात्मक असर ही पड़ेगा. मानव शरीर अलग तरीके से रिएक्ट करता है और जानवरों का शरीर उसके लिए अलग प्रतिक्रिया करता है. इसलिए जब तक मानव शरीर पर इसका परीक्षण सफल नहीं हो जाता तब तक कुछ नहीं कहा जा सकता. यह बात भी गौर करने वाली है कि एक दवाई का असर भारतीय लोगों पर हो रहा है. उसका वैसा ही असर अमेरिकी या अफ्रीकी लोगों पर भी होगा कह नहीं सकते, क्योंकि उनका शरीर अलग होता है.

know the entire process of 'covaxin' human test from well-known doctor ashish bhalla
ग्राफिक्स

'100 लोगों में से एक को भी नुकसान ना हो, तभी वैक्सीन सफल होगी'

डॉक्टर भल्ला का कहना है कि इस वायरस के बार-बार बदलते स्वरूप को लेकर साइंटिस्ट अभी तक इसकी वैक्सीन नहीं बना पाए. सामान्य फ्लू के वायरस भी इसी तरह से अपने आप को बदलते हैं, इसलिए वैज्ञानिक हर साल फ्लू की दवा में भी बदलाव करते हैं. कोरोना की नई वैक्सीन का परीक्षण अभी शुरू होना है. परीक्षण के बाद देखा जाएगा कि यह वैक्सीन किस तरीके से इसका मानव शरीर पर असर करती है. यह वैक्सीन वायरस को खत्म करने में कामयाब होगी या नहीं. इन सब बातों ने अभी टाइम लगेगा. यह सब ट्रायल के बाद ही साफ हो पाएगा. सबसे बड़ा सवाल सुरक्षा का है. अगर हम 100 लोगों को इसका परिक्षण करें, तो किसी पर भी इसका दुष्प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए, तभी इसे सफल माना जाएगा.

ये भी पढ़िए: NHM कर्मियों के लिए लागू होगा मिनिमम परफॉर्मेंस बेंचमार्क, काम की गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.