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विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन, मुख्य सचिव पहुंची

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Published : Oct 11, 2019, 9:07 AM IST

हरियाणा में ‘जल संरक्षण और वर्षाजल संग्रहण’ पर एकदिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस आयोजन में हरियाणा की मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा पहुंची

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन

चंडीगढ़: हरियाणा की मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा ने ‘जल संरक्षण एवं वर्षाजल संग्रहण’ कार्यक्रम में शिरकत की. इस कार्यक्रम का आयोजन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की तरफ से किया गया था.

जल शक्ति अभियान के तहत इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस अवसर पर मुख्य सचिव ने कहा कि जल जीवन का और भविष्य का आधार है. मुख्य सचिव ने पानी के महत्व को बताते हुए 'वर्षा जल' संचयन की महत्वता को बताया.

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन, मुख्य सचिव पहुंची

‘जल परियोजना प्रबन्धन सलाहकार समूह’ का गठन

उन्होंने कहा कि प्रदेश के जल स्तर को ऊँचा उठाने और जल संरक्षण को मजबूती प्रदान करने के लिए ‘जल परियोजना प्रबन्धन सलाहकार समूह’ का गठन किया जाना चाहिए. इस समूह की ओर से जल संरक्षण पर विशेष एवं आधारभूत कार्य योजना तैयार की जाए.

जिससे राज्य में पानी के संचयन और बचाव को बल मिल सके.जल संरक्षण एवं वर्षाजल संग्रहण’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया था. जिसमें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रधान सचिव डॉ. अशोक खेमका भी मौजूद रहे. खेमका ने भी जल की महतत्वता पर बल दिया. प्रधान सचिव ने कहा कि जल शक्ति अभियान के तहत राज्य में अनेक कार्य योजनाएं शुरू की गई हैं.

माइक्रो सिंचाई प्रणाली पर जोर दें

अशोक खेमका ने बताया कि हरियाणा कृषि क्षेत्र में कुल उपलब्ध पानी का करीब 85 प्रतिशत जल सिंचाई में प्रयोग करता है. उन्होंने कहा कि राज्य के गुरूग्राम, महेन्द्रगढ़, कुरूक्षेत्र, करनाल, कैथल, पानीपत और सिरसा जिले के खंडों में भूजल का सबसे अधिक दोहन होता रहा है, जिससे राज्य के अनेक क्षेत्र प्रभावित हुए हैं. 'लोगों को चाहिए कि वे माइक्रो सिंचाई प्रणाली पर जोर दें' और पानी के लिए री-साइक्लिंग व्यवस्था पर बल दिया जाना चाहिए.

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जल संरक्षित करने के लिए स्वयं आगे आना होगा

जल संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए पद्मश्री से सम्मानित अनिल जोशी भी कार्यक्रम में पहुंचे. उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में मानव जल स्त्रोतों के आसपास रिहायश करते थे. लेकिन आजकल जल संसाधनों को बस्ती तक पहुंचाने का प्रयास किया जाता है. पंचायत विभाग के प्रधान सचिव ने कहा कि लोगों को जल संरक्षित करने के लिए खुद से आगे आना होगा, जिसके लिए चैक-डेम, जलाश्य, रिचार्ज जोन और पारिस्थितिक तंत्र को समझने के लिए अभियान चलाना चाहिए.

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जल प्रकृति का ऐसा विशेष उपहार है, जोकि प्राणीमात्र के जीवन को सुरक्षित रखने का एकमात्र साधन है , इसलिए जल संरक्षण को प्राथमिकता देनी चाहिए ये संदेश हरियाणा की मुख्य सचिव केशनी आनन्द अरोड़ा ने चंडीगढ़ में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की तरफ से जल शक्ति अभियान के तहत ‘जल संरक्षण एवं वर्षाजल संग्रहण’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला के दौरान दिया । इस अवसर पर मुख्य सचिव ने कहा कि जल जीवन का और जीवन भविष्य का आधार है, इसलिए हर आमजन को पानी के महत्व को समझते हुए वर्षा जल संचयन को प्राथमिक आधार पर करना चाहिए । उन्होंने कहा कि प्रदेश के जल स्तर को ऊँचा उठाने एवं जल संरक्षण को मजबूती प्रदान करने के लिए ‘जल परियोजना प्रबन्धन सलाहकार समूह’ का गठन किया जाना चाहिए। इस समूह द्वारा जल संरक्षण पर विशेष एवं आधारभूत कार्ययोजना तैयार की जाए ताकि राज्य में पानी के संचयन एवं बचाव को बल मिल सके । विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रधान सचिव डॉ. अशोक खेमका भी मौजूद रहे उन्होंने भी जल की महत्ता पर बल दिया । Body:वीओ -
जल संरक्षण एवं वर्षाजल संग्रहण’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला के उन्होंने कहा कि जल शक्ति अभियान के तहत राज्य में अनेक कार्य योजनाएं शुरू की है , जिससे जल संरक्षण के क्षेत्र में हमने तीसरा स्थान हासिल किया है । हरियाणा कृषि क्षेत्र में कुल उपलब्ध पानी को करीब 85 प्रतिशत जल सिंचाई में प्रयोग किया जाता है । राज्य के गुरूग्राम, महेन्द्रगढ़, कुरूक्षेत्र, करनाल कैथल, पानीपत और सिरसा जिले के खंडों में भूजल का सबसे अधिक दोहन होता रहा है, जिससे राज्य के अनेक क्षेत्र प्रभावित हुए हैं । लोगों को चाहिए कि वे माइक्रो सिंचाई प्रणाली पर जोर दिया जाना चाहिए और पानी के री-साईक्लिंग व्यवस्था को बल देना चाहिए । जल संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए पद्मश्री से सम्मानित अनिल जोशी ने बोलते हुए कहा कि प्राचीन काल में मानव जल स्त्रोतों के आसपास रिहायश करते थे परन्तु आजकल जल संसाधनों को बस्ती तक पहुंचाने का प्रयास किया जाता है, इससे जल व्यर्थ होता है । वहीं विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रधान सचिव डॉ. अशोक खेमका ने सभी आगंतुकों का अभिनन्दन किया और जल की महत्ता पर बल दिया । इस दौरान पंचायत विभाग के प्रधान सचिव उन्होंने कहा कि लोगों को जल संरक्षित करने के लिए स्वयं आगे आना होगा, जिसके लिए चैक-डेम, जलाश्य, रिचार्ज जोन और पारिस्थितिक तंत्र को समझने के लिए अभियान चलाना चाहिए । विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रधान सचिव डॉ. अशोक खेमका ने सभी आगंतुकों का अभिनन्दन किया और जल की महत्ता पर बल दिया । Conclusion:इस दौरान पंचायत विभाग के प्रधान सचिव सुधीर राजपाल, विशेषज्ञ डॉ. अनूप नागर, रामजी जयमाल, डॉ. सुशील कामरा, सुमंत कुमार, प्रो० आर के जोहरार सहित अनेक प्रवक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए ।
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