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Haryana Punjab SYL Dispute: पंजाब और हरियाणा की सियासत में फिर गूंजने लगा SYL का मुद्दा, सरकार और विपक्षी दल आमने-सामने

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Oct 15, 2023, 1:57 PM IST

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एसवाईएल को लेकर पंजाब और हरियाणा में राजनीति तेज.

Haryana Punjab SYL Dispute सतलुज यमुना लिंक नहर यानी एसवाईएल को लेकर हरियाणा और पंजाब में पिछले कई वर्षों से विवाद जारी है. इस बीच पिछले दिन सुप्रीम कोर्ट की ओर से पंजाब सरकार को फटकार लगाए जाने के बाद से एक बार फिर दोनों प्रदेश में राजनीति चरम पर पहुंच चुकी है. हरियाणा को इस मामले में जल्द समाधान की उम्मीद है. वहीं, पंजाब में सरकार और विपक्षी दल आमने सामन आ गए हैं. (SYL Controversy what is haryana punjab syl dispute)

एसवाईएल को लेकर अंबाला में क्या है स्थिति.

चंडीगढ़: सतलुज यमुना लिंक नहर (SYL) के निर्माण को लेकर करीब पांच दशक से पंजाब और हरियाणा आमने-सामने हैं. इस मामले को लेकर दोनों राज्य कई बार देश की सर्वोच्च अदालत तक भी पहुंच चुके हैं. लेकिन मसले का कोई भी हाल अभी तक नहीं निकल पाया है. हाल ही में एसवाईएल नहर के निर्माण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि पंजाब सरकार को विवाद को सुलझाने की दिशा में काम करना चाहिए. सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा है कि इस मामले में उसे कोई सख्त आदेश जारी करने के लिए मजबूर न करे.

SYL को लेकर हरियाणा और पंजाब की राजनीति में भूचाल!: सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पंजाब सरकार को जमीन के सर्वेक्षण करने को भी कहा है. साथ ही राज्य सरकार को इसमें केंद्र सरकार का सर्वेक्षण में सहयोग करने को भी कहा है. जिसके बाद इस मुद्दे को लेकर पंजाब का सियासी पारा चरम पर पहुंच गया है. पंजाब के सभी दल राज्य से बाहर एक भी बूंद पानी न देने की बात कह रहे है. इस मामले में प्रदेश सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर आ गई है. वहीं, हरियाणा के सभी राजनीतिक दल सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए जल्द से जल्द एसवाईएल निर्माण की मांग कर रहे हैं. दोनों राज्य के सभी दलों के नेता इस मामले में अपने-अपने प्रदेश की बात करते हैं. इस मसले के समाधान से ज्यादा इस पर राजनीति हावी दिखाई देती है.

एसवाईएल को लेकर कुरुक्षेत्र में क्या है स्थिति.

पंजाब में क्या है एसवाईएल को हलचल और सियासी प्रतिक्रिया?: एसवाईएल के निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से पंजाब की सियासत में इसको लेकर सबसे ज्यादा हलचल देखने को मिल रही है. तमाम विपक्षी पार्टियों शिरोमणि अकाली दल, भाजपा और कांग्रेस इस मुद्दे पर प्रदेश सरकार को घेरती हुई नजर आ रही है. सभी दल सुप्रीम कोर्ट में सरकार द्वारा इस मामले में बेहतर तरीके से पैरवी न किए जाने का आरोप लगा रहे हैं. साथ ही इस मामले में सरकार से स्पष्टीकरण जा रहे हैं. वही, पंजाब से एक भी बूंद पानी की किसी अन्य राज्य को न दिए जाने की बात कह रहे हैं. यहां तक की मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस मामले में विपक्षी दलों को डिबेट की चुनौती भी दी, जिसे पंजाब के सभी विपक्षी दलों ने स्वीकार किया है.

  • माननीय सुनील जाखड़ जी, सुखबीर बादल जी, बाजवा जी, राजा वड़िंग जी, कोई थोड़ी बहुत शर्म नाम की चीज़ घर से लेकर चलते हो या नहीं?? चांदी की कस्सी से टक लगाने वाली फोटो में कैप्टन के साथ बलराम जाखड़ जी भी खड़े हैं! देवीलाल ने हरियाणा विधानसभा में प्रकाश सिंह बादल की SYL के सर्वे करने…

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क्या है शिरोमणि अकाली दल का रुख?: पंजाब की सियासत में प्रदेश की सबसे पुरानी क्षेत्रीय पार्टी शिरोमणि अकाली दल के नेता इस मामले को लेकर प्रदेश के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित से भी मुलाकात कर चुके हैं. शिरोमणि अकाली दल पंजाब का एक बूंद पानी किसी भी राज्य को देने के खिलाफ है. इसके साथ ही अकाली दल के नेता इस मामले में पंजाब सरकार पर राज्य के हितों की अनदेखी करने का आरोप लगा रहे हैं. वहीं, शिरोमणि अकाली दल इस मामले को लेकर प्रदर्शन कर कर चुके हैं.

दिल्ली के सीएम केजरीवाल चाहते हैं कि हरियाणा में चुनाव जीतना है. अगली बार पंजाब में तो सरकार बननी नहीं है. इस सरकार ने कोर्ट में कहा कि विपक्षी दल नहीं मान रहे हैं. हम तो SYL का पानी देना चाहते हैं. जो मर्जी केजरीवाल फैसला करें, चाहे जो सुप्रीम कोर्ट में कहें, लेकिन हम एक बूंद पानी भी किसी को नहीं देंगे. पंजाब में न कोई नहर बनेगी और ना पानी दिया जाएगा. केंद्र सरकार चाहे कोई फैसला करे हम पानी नहीं देंगे. अगर अकाली दल सरकार बनी तो हम दिल्ली और राजस्थान को एक बूंद पानी नहीं जाने देंगे. हम राजस्थान को जाने वाली नहर को बंद करेंगे. जल बंटवारे का हम फिर से मूल्यांकन करेंगे. - सुखबीर सिंह बादल, शिरोमणि अकाली दल के प्रधान

इस मामले में क्या कहती है पंजाब बीजेपी?: इस मामले में केंद्र में सत्ता में बैठी भाजपा के पंजाब के नेता भी प्रदेश सरकार के खिलाफ खड़े हो गए हैं. पंजाब भाजपा के नेता भी इस मामले में राज्य सरकार पर कोर्ट में इस मामले को सही से पेश न करने का आरोप लगा रहे हैं. वहीं, इस मामले को लेकर पंजाब भाजपा भी मुख्यमंत्री के निवास का घेराव कर चुकी है. इसके साथी मुख्यमंत्री द्वारा दी गई डिबेट की चुनौती को भी पंजाब भाजपा ने स्वीकार किया है. पंजाब भाजपा अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा कि AAP की कारगुजारी की वजह से एसवाईएल मामले में सुप्रीम कोर्ट में यह सब हुआ. उन्होंने कहा कि इस मामले में आप की साजिश नजर आ रही है. उन्होंने कहा कि केजरीवाल का हरियाणा से संबंध है, इसलिए पंजाब के पानी को हरियाणा को देने के लिए काम कर रहे हैं. हम सब पंजाब के पानी की एक बूंद नहीं जाने देंगे.

पंजाब कांग्रेस ने भी खोला सरकार के खिलाफ मोर्चा: वहीं, इस मामले में पंजाब कांग्रेस लगातार प्रदेश सरकार पर हमलावर है. पंजाब कांग्रेस ने इस मामले में 'आप' के खिलाफ चंडीगढ़ में विरोध प्रदर्शन भी किया. पंजाब कांग्रेस ने भी मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा इस मामले में डिबेट की चुनौती को स्वीकार किया है. पंजाब कांग्रेस नेता अमरिंदर राजा वडिंग ने SYL को लेकर केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर SYL नहर बनी तो पंजाब में पहले की तरह खून खराबा हो सकता है. यहां कानून व्यवस्था खराब हो सकती है पहले भी पंजाब में SYL के निर्माण के दौरान इंजीनियर की हत्या हो चुकी है. SYL के माध्यम से पंजाब को रेगिस्तान बनाने की साजिश है, हम ये किसी भी कीमत पट नहीं होने देंगे.

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CM भगवंत मान की विपक्षी नेताओं को खुली चुनौती: इस मामले में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की विपक्षी नेताओं को खुली चुनौती पर कहा कि वे मुख्यमंत्री की इस चुनौती को स्वीकार करते हैं. उन्होंने कहा कि सभी विपक्षी दलों को बोलने का समय निर्धारित किया जाए और सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जज को भी बुलाया जाए. इसके साथ उन्होंने कहा कि पंजाब का एक भी बूंद पानी हम किसी अन्य राज्य को नहीं देने देंगे.

एसवाईएल के मुद्दे पर क्या था सीएम मान का ट्वीट?: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सोशल मीडिया 'X' पर लिखा था 'पंजाब बीजेपी अध्यक्ष सुनील जाखड़, पंजाब कांग्रेस प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वडिंग और शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल में दम है तो एक नवंबर को पंजाब दिवस के मौके पर लाइव डिबेट के लिये तैयार रहें. पंजाब को किस तरह से विपक्षी पार्टियों ने सत्ता में रहते हुए लूटा इस पर लाइव डिबेट में चर्चा हो.'

इससे पहले एसवाईएल के मुद्दे पर पंजाब सरकार के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा कह चुके हैं कि प्रदेश के पास एक भी बूंद अधिक पानी नहीं है. जब पंजाब के पास अपने लिए ही नहीं है तो वह फिर किसी को कैसे पानी देंगे. राज्य सरकार एक भी बूंद पानी का किसी राज्य को नहीं देगी. उन्होंने कहा कि इसमें बेशक कानूनी लड़ाई लड़नी पड़े या फिर विधानसभा का सत्र बुलाना पड़े, सरकार इसके लिए पीछे नहीं हटेगी. पंजाब का एक भी बूंद पानी किसी को नहीं देंगे.

हरियाणा सरकार की केंद्र से जल्द प्रक्रिया शुरू करने की गुजारिश: सतलुज यमुना लिंक नहर निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत किया. वहीं, उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी दल इस मामले में एक साथ हैं. उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र को पंजाब में एसवाईएल का सर्वे करने की प्रक्रिया शुरू करने को कहा है. हमारा केंद्र सरकार से अनुरोध है कि वे जल्द इस प्रक्रिया को शुरू करें. उन्होंने तंज कशा कि हरियाणा आम आदमी पार्टी पंजाब के मंत्री के आवास पर हरियाणा के हितों की बात करने का नाटक करते हैं.

हरियाणा के पूर्व मंत्री का बयान: वहींं, हरियाणा के पूर्व मंत्री रामबिलास शर्मा ने कहा 'अटल बिहारी वाजपेयी की सभा कुरुक्षेत्र में हुई थी. पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और हरियाणा के मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला दोनों मौजूद थे. तब अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि जो पानी पाकिस्तान में जा सकता है वो दक्षिण हरियाणा की प्यास क्यों नहीं बुझा सकता. अटल जी ने कहा था दोनों राज्यों के सीएम बैठकर इसको हल करें. पंजाब सरकार की हठधर्मिता गलत है.'

क्या कहते हैं हरियाणा के अन्य विपक्षी दल?: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एसवाईएल को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दी है. भूपेंद्र हुड्डा ने कहा है कि प्रदेश की बीजेपी और बीजेपी-जेजेपी सरकार के नकारात्मक रवैये की वजह से आज तक एसवाईएल का मामला जस का तस अटका हुआ है. जबकि फरवरी 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के पक्ष में स्पष्ट फैसला सुनाया था. एसवाईएल का पानी हरियाणा का हक है और ये प्रदेश की किसानी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. सरकार को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए. यह पानी मिलने से प्रदेश की 10 लाख एकड़ से ज्यादा भूमि पर सिंचाई संभव हो पाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि अगर हरियाणा को पानी दिलाने के लिए सरकार कोई कदम उठाती है तो राजनीति से ऊपर उठकर कांग्रेस उसके साथ खड़ी है.

क्या कहते हैं इनेलो प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला?: इंडियन नेशनल लोकदल के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला कहते हैं कि एसवाईएल हरियाणा की जीवन रेखा है. एसवाईएल का पानी न मिलने से जहां हरियाणा प्रदेश के किसानों की लाखों एकड़ जमीन बंजर हो गई है. वहीं, प्रदेश के हजारों गांवों के लोग आज पीने के पानी को तरस रहे हैं. ओम प्रकाश चौटाला ने हरियाणा का मुख्यमंत्री रहते एसवाईएल की कानूनी लड़ाई लड़ी थी जिसके परिणामस्वरूप सुप्रीम कोर्ट ने एसवाईएल नहर बनाने का निर्णय हरियाणा के पक्ष में सुनाया था. लेकिन, बावजूद उसके आज तक न तो पंजाब ने और न ही केंद्र सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और मामले को बिना वजह लटकाने का काम किया है.

AAP नेता अनुराग ढांडा का पलटवार: वहीं, आम आदमी पार्टी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अनुराग ढांडा ने एसवाईएल के मुद्दे पर सीएम खट्टर के बयान पर पलटवार किया. उन्होंने कहा सीएम मनोहर लाल एक बयान में कह रहे थे कि एसवाईएल के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी दोतरफा बातें करती है, लेकिन 2019 में प्रधानमंत्री मोदी ने चरखी दादरी की रैली में पाकिस्तान जाने वाले पानी को रोकने की बात कही थी. इससे देश के लोगों के मन में एक उम्मीद बंधी थी कि जो 65% हिंदुस्तान के हक का पानी बह कर पाकिस्तान जा रहा है, उसको रोकने की किसी ने तो बात की. 2019 में पंजाब में भाजपा की सरकार और हरियाणा में भाजपा की सरकार होने के बावजूद अलग-अलग बयान के आखिर क्या मायने हैं?

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