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पीएम मोदी पर विश्वास करें और प्रदर्शन छोड़ घर लौटें किसान: सीएम मनोहर लाल

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Published : Nov 19, 2021, 5:31 PM IST

Updated : Nov 19, 2021, 5:43 PM IST

manohar lal reaction on three Farm laws repealed
तीन कृषि कानून वापस करने के फैसले पर सीएम मनोहर लाल खट्टर ने दी प्रतिक्रिया

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल (Haryana Cm Manohar Lal) ने तीन कृषि कानून वापस (Three Farm Laws Repealed) लेने के फैसले पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी (pm modi on farm laws) ने बड़ा दिल दिखाते हुए और प्रदर्शनकारी किसानों से गतिरोध खत्म करने के लिए खेती कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है.

चंडीगढ़: प्रधानमंत्री की ओर से तीन कृषि कानून वापस (Three Farm Laws Repealed) लेने के फैसले के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल (Haryana Cm Manohar Lal) ने पत्रकार वार्ता कर अपनी प्रतिक्रिया दी. सीएम मनोहर लाल ने कहा कि गुरु पर्व के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी (pm modi on farm laws) ने किसानों की मांगों को मानते हुए कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया. उन्होंने कहा कि किसानों का आंदोलन खत्म करने के लिए सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है.

सीएम मनोहर लाल ने कहा कि कृषि कानून किसानों की भलाई के लिए बनाए गए थे, लेकिन कई किसान नेताओं को इन पर ऐतराज था. जिस वजह से यह गतिरोध पैदा हुआ था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने बड़ा दिल दिखाते हुए और इस गतिरोध को खत्म करने के लिए खेती कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों की मांगें मान ली है. इसलिए किसानों को अब प्रदेश में आंदोलन खत्म कर अपने घरों को लौट जाना चाहिए. जो भी किसान सीमाओं पर बैठे हैं, उन्हें सीमाएं खाली कर देनी चाहिए. इससे आम जनता को भी काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. किसान प्रदर्शन छोड़ कर अपने घर जाएं और अपने खेतों में काम करना शुरू करें.

तीन कृषि कानून वापस करने के फैसले पर सीएम मनोहर लाल खट्टर ने दी प्रतिक्रिया, देखिए वीडियो

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पीएम मोदी की बात पर विश्वास करना चाहिए- सीएम मनोहर लाल

सीएम ने कहा कि कई किसान नेता अभी भी अपना प्रदर्शन खत्म करने को तैयार नहीं है. उन्हें प्रधानमंत्री मोदी की बात पर विश्वास करना चाहिए. इसमें अविश्वास की कोई जगह नहीं है. प्रधानमंत्री मोदी सिर्फ देश नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में बेहतरीन छवि वाले व्यक्ति हैं. प्रधानमंत्री जो कहते हैं वह करते भी हैं. सीएम खट्टर ने जानकारी दी कि इस महीने होने वाले लोकसभा सत्र में कानूनों को वापस ले लिया जाएगा. अब तो विपक्ष के नेता भी किसानों को वापस लौटने के लिए कह रहे हैं. उन्होंने कहा कि मैंने नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का बयान भी सुना है. जिसमें वह भी किसानों को घर लौटने के लिए कह रहे थे.

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एमएसपी के लिए बनेगी कमेटी: मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने किसानों की एमएसपी कानून (cm manohar lal on msp) की मांग को लेकर कहा कि प्रधानमंत्री की ओर से कहा गया है कि हम एमएसपी (msp farm laws) को लेकर एक कमेटी बनायेंगे. जिसमें किसान नेता, राज्य सरकारों से आए हुए लोग, केंद्र सरकार के लोग, कृषि वैज्ञानिक शामिल किए जाएंगे और उन से चर्चा के बाद एमएसपी पर भी फैसला जल्द किया जाएगा.

बता दें कि राष्ट्र को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने गुरु पर्व और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर तीन नए कृषि कानूनों को वापस (Pm Modi On Farm Laws) लेने का ऐलान किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं आज देशवासियों से क्षमा मांगते हुए और देशवासियों से यह कहना चाहता हूं कि हमारी तपस्या में कोई कमी रह गई होगी. उन्होंने कहा कि हम किसान भाइयों को समझा नहीं पाए. आज गुरुनानक देव का पवित्र पर्व है. ये समय किसी को दोष देने का समय नहीं है. आज पूरे देश को यह बताने आया हूं कि तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है.

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तीन कृषि कानून क्या है, किसान क्यों कर रहे थे विरोध

1) कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020- इसके तहत किसान कृषि उपज को सरकारी मंडियों के बाहर भी बेच सकते थे. सरकार के मुताबिक किसान किसी निजी खरीददार को भी ऊंचे दाम पर अपनी फसल बेच सकते थे. सरकार के मुताबिक इससे किसानों की उपज बेचने के विकल्प बढ़ सकते थे. किसान नेताओं का कहना है कि नए कानून के लागू होने के बाद सरकार एमएसपी पर फसलों की खरीद बंद कर देगी. किसानों का ये भी कहना था कि इस कानून में कोई जिक्र नहीं है कि मंडी के बाहर जो खरीद होगी वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे के भाव पर नहीं होगी.

2) कृषि (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020- इस कानून के तहत अनुबंध खेती या कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की इजाजत दिया जा सकता था. इस कानून के संदर्भ में सरकार का कहना था कि वह किसानों और निजी कंपनियों के बीच में समझौते वाली खेती का रास्ता खोल रही है. किसान नेताओं का कहना था कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के दौरान किसान फसल खरीदने वाले से बिक्री को लेकर बहस नहीं कर सकेगा. बड़ी कंपनियां छोटे किसानों से खरीदारी नहीं करेंगी. जिससे उन्हें नुकसान होगा.

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3) आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020- इसके तहत अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाया गया. इनकी जमाखोरी और कालाबाजारी को सीमित करने और इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने जैसे प्रतिबंध हटा दिए गए. किसान नेताओं को इस कानून से आपत्ति थी कि इस कानून के तहत कोई कंपनी सामान को कितना भी स्टॉक कर सकती है. ऐसे में असाधारण परिस्थितियों में रेट में जबरदस्त वृद्धि हो सकती है.

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Last Updated :Nov 19, 2021, 5:43 PM IST
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