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मनोहर लाल सरकार पर बरसे भूपेंद्र सिंह हुड्डा, बोले- 2024 में हरियाणा में बनेगी कांग्रेस की सरकार

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Published : Apr 3, 2023, 7:43 PM IST

चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रदेश की वर्तमान सरकार पर जमकर हमला बोला. मुख्यमंत्री के भिवानी के कार्यक्रमों पर भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि चुनाव आते ही सीएम को गांव याद आने लगे हैं. इसके साथ ही उन्होंने किसानों को 25 हजार प्रति एकड़ मुआवजा देने की मांग की है. (Bhupinder Singh Hooda on manohar lal)

Bhupinder Singh Hooda on manohar lal
मनोहर लाल सरकार पर बरसे भूपेंद्र सिंह हुड्डा

चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने प्रदेश में राजनीतिक गतिविधियां तेज कर दी है. कांग्रेस हरियाणा की वर्तमान बीजेपी जेजेपी सरकार को घेरने के लिए आए दिन रणनीति तैयार कर रही है. इसी कड़ी में आज हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बीजेपी-जेजेपी सरकार पर जमकर हमला बोला है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यमुनानगर में बैठक के साथ ही यह स्पष्ट हो गया है कि 2024 में लोग प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने जा रहे हैं.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि, बजट और कर्ज को लेकर सरकार जानबूझकर गोलमोल और भ्रामक आंकड़े पेश कर रही है. ताकि जनता को असली स्थिति का पता न चले. उन्होंने आंकड़ों के जरिए सरकार के दावों को चुनौती भी दी. उन्होंने कहा कि खुद सरकार द्वारा पेश किए गए आंकड़ों में बड़ा विरोधाभास देखने को मिलता है.

उदाहरण के तौर पर 2020-21 में सरकार ने 1,55,645 करोड़ रुपये का अनुमानित बजट पेश किया. बाद में इसे संशोधित करके 1,53,384 करोड़ कर दिया गया. वास्तविक बजट को और घटकर 1,35,909 करोड़ कर दिया गया. इसी तरह से 2022-23 में अनुमानित बजट 1,77,235 करोड़ था, जो संशोधित होकर 1,64,807 करोड़ रह गया.

हुड्डा ने कहा कि, लोन की बात की जाए तो 2020-21 में सरकार ने बताया कि प्रदेश पर 2,27,697 करोड़ रुपए का कर्ज है, जबकि सीएजी रिपोर्ट में 2,79,967 करोड़ कर्ज बताया गया और आरबीआई के मुताबिक यह कर्ज 2,62,331 करोड़ था. इसी तरह 2022-23 में सरकार ने प्रदेशभर 2,43,701 करोड़ रुपए का कर्ज दिखाया जबकि आरबीआई के मुताबिक यह कर्ज 2,87,266 करोड़ था. यानी सरकारी आंकड़ों में ही 44,513 करोड़ का अंतर देखने को मिला. इसी तरह जब सीएजी की रिपोर्ट आएगी तो उसमें और अंतर देखने को मिल सकता है. ऐसे में यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुख्यमंत्री विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष पर लोन के भिन्न-भिन्न आंकड़े पेश करने का आरोप लगाते हैं. जबकि सरकार जानबूझकर खुद भिन्न-भिन्न आंकड़ों के फेर में उलझी हुई नजर आती है.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि आज भी अपनी बात पर कायम हैं. प्रदेश पर आंतरिक कर्ज और तमाम देनदारियां मिलाकर 4 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज है. क्योंकि सरकार ने खुद 2023-24 के बजट में बताया कि प्रदेश पर 2,85,885 करोड़ का कर्ज है. सीएजी की रिपोर्ट में 36,809 करोड़ रुपए बताई गई जोकि हर साल 3000 से 4000 करोड़ बढ़ जाती है. इसलिए जो बढ़कर 31 मार्च 2024 तक करीब 44,000 करोड़ हो जाएगी.

इसी तरह हरियाणा सरकार के विभिन्न विभागों को 46,193 करोड़ रुपए डिस्कॉम को बिजली बिल और अनपेड सब्सिडी का देना है. यह देश में तमाम राज्यों से ज्यादा देनदारी है. स्टेट पब्लिक एंटरप्राइजेज पर 47,211 करोड़ रुपए का कर्ज है. यानी हरियाणा पर तमाम तरह की देनदारियों को मिलाकर कुल 4,23,229 करोड़ रुपए लोन बनता है.

इसलिए कांग्रेस बार-बार सरकार से श्वेत पत्र की मांग कर रही है. इसमें 31 मार्च 2023 तक प्रदेश पर कुल आंतरिक कर्ज, पब्लिक अकाउंट डिपॉजिट(स्मॉल सेविंग्स), पब्लिक एंटरप्राइजेज द्वारा लिया गया कर्ज, एडिशनल लायबिलिटी का जिक्र हो. प्रदेश पर कर्ज के आंकड़े इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि 2014-15 से लेकर 2022-23 तक राज्य पर कर्ज का बोझ 4 गुना तक बढ़ गया है. जबकि इस दौरान एसजीडीपी में सिर्फ 2.1 गुना की ही बढ़ोतरी हुई है. यानी लोन की विकास दर प्रदेश की आर्थिक विकास दर से कहीं ज्यादा है.

प्रदेश का राजकोषीय घाटा भी लगातार बढ़ता जा रहा है. 2013-14 में यह एसजीडीपी का 2.07% था जो 2022-23 में बढ़कर 3.29% हो गया. वास्तविक खर्च में यह बढ़कर 3.35% तक हो सकता है. इसी तरह कर्ज और जीएसडीपी का अनुपात भी चिंताजनक है. 2013-14 में जो 15.1% था, वह 2022-23 तक बढ़कर 25.78% हो गया. अगर संशोधित राज्य कर्ज, पब्लिक अकाउंट डिपॉजिट(स्माल सेविंग्स) और स्टेट गारंटीड लोन भी जोड़ दिया जाए तो यह बढ़कर 32.47% हो जाता है.

खुद सरकारी आंकड़े बताते हैं कि सरकार के पास दैनिक खर्च चलाने लायक भी बजट नहीं है. क्योंकि 2023-24 के बजट से पता चलता है कि सरकार के पास कुल 1,09,122 करोड़ रुपए की आय है. जबकि खर्च ₹1,26,071 करोड़ रुपये है. यानी 16,949 करोड़ रुपए का रिवेन्यू डिफिसिट है. आंतरिक कर्ज के भुगतान पर होने वाला खर्च भी लगातार बढ़ता जा रहा है. 2023-24 में सरकार द्वारा 64,840 करोड़ रुपए का लेना अनुमानित है. यानी सरकार के पास कुल लोन में से खर्च के लिए महज 8,370 करोड़ रुपए ही बचते हैं.

बजट में सरकार ने पूंजीगत आय के आंकड़े भी बढ़ा-चढ़ाकर दिखाए हैं. 2021-22 में अनुमानित आय 5000 करोड़ रुपये दिखाई लेकिन सरकार को सिर्फ 67.5 करोड़ रुपये ही प्राप्त हुए. सरकार ने 2022-23 में 5394 और 2023-24 में 5200 करोड़ रुपये की अनुमानित पूंजीगत आय दिखाई है. लेकिन, पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह मुश्किल से 50-60 करोड़ ही होगी. इससे स्पष्ट है कि सरकार के पास पूंजीगत विकास के लिए कोई पैसा नहीं है.

जनता को बरगलाने के लिए सरकार हर बार बजट के आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करती है, जो बाद में संशोधित और वास्तविक बजट में घट जाता है. उदाहरण के तौर पर 2022-23 में सरकार ने 1,77,256 करोड़ रुपए का अनुमानित बजट पेश किया, जिसे बाद में संशोधित करके 1,64,807 करोड़ कर दिया गया. वास्तविक आंकड़े आते-आते यह और कम हो जाएगा. लेकिन, सरकार हर बार लोन के आंकड़ों को कमतर दिखाने की कोशिश करती है. 2022-23 में सरकार ने आंतरिक कर्ज 2,43,779 करोड़ रुपए दिखाया था, जो संशोधित बजट में बढ़कर 2,56,265 करोड़ रुपए हो गया यानी इसमें 12,486 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हो गई. इस प्रकार बजट 24,932 करोड़ रुपये ज्यादा दिखाया गया, जो कि 14 प्रतिशत है.

राज्यपाल ने अपने अभिभाषण में बताया कि 2022-23 में जीएसटी संग्रह में 26.53 प्रतिशत और एक्साइज में 22.47 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. इसके विपरीत बजट में टैक्स से आय को संशोधित करके 82,653 करोड़ से घटाकर 75,714 करोड़ कर दिया गया, ऐसे में यह समझ से परे है कि राज्य की आय में बढ़ोतरी हो रही है तो जीएसडीपी के अनुपात में कर संग्रह कैसे कम हो रहा है? ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार के कर संग्रह में हेराफेरी हो रही है या सरकार द्वारा दिए गए जीडीपी के आंकड़ों में गड़बड़ है.

हुड्डा ने बताया कि कृषि क्षेत्र की बात की जाए तो सरकार ने इसपर 7342 करोड़ रुपए खर्चने का ऐलान किया है. यह कुल बजट का सिर्फ 3.9% है जबकि हरियाणा की 60% आबादी कृषि पर निर्भर है. इतनी बड़ी आबादी के लिए 4% से भी कम खर्च करना उसके साथ अन्याय है.

प्रति व्यक्ति आय को लेकर सरकार ने हवा हवाई दावे किए हैं. क्योंकि सरकार ने प्रति व्यक्ति आय 2,96,685 रुपये बताई है. इस हिसाब से प्रत्येक परिवार की सालाना आय 14,83,425 रुपए बनती है. प्रदेश के 30 लाख ऐसे परिवार हैं, जो सीधे तौर पर कृषि पर निर्भर करते हैं. एनएसएसओ की रिपोर्ट बताती है कि किसान परिवारों की कुल आय 22,841 रुपये महीना यानी 2,75,000 रुपये सालाना से ज्यादा नहीं है. वहीं, दूसरी तरफ सरकार दावा करती है कि प्रदेश में 30 लाख परिवार आयुषमान योजना के लाभार्थी हैं. अगर सरकार वास्तविक आय का आंकड़ा जुटाना चाहती है तो उसे जिलावार प्रति व्यक्ति आय का ब्यौरा जुटाना चाहिए.

मुख्यमंत्री मनोहर लाल के भिवानी में आयोजित कार्यक्रमों पर भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि इलेक्शन आते ही सीएम को गांव याद आ गए हैं. उन्होंने कहा कि 9 साल सोते रहे और फिर गांव याद आ गए. उन्होंने कहा कि जिम्मेदार पद पर बैठकर गैर जिम्मेदार बात नहीं करनी चाहिए.

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