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हरियाणा में ठेके पर जमीन लेकर खेती करने वाले किसानों की हालत खस्ता, कहीं से नहीं मिलती मदद

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Published : Apr 11, 2021, 8:59 PM IST

मजबूरी, मुफलिसी और कर्ज का बोझ किसानों को कुछ ऐसे लील रहा है कि देश में हर साल हजारों किसान अपनी जान गंवा रहे हैं. एक आंकड़े के मुताबिक 2018 और 2019 यानि 2 साल 12 हजार 227 किसानों ने कर्ज में डूबने या फसल खराब होने की वजह से अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली और इनमें से ज्यादातर वो किसान थे जिनके पास अपनी जमीन नहीं थी बल्कि वो ठेके जमीन लेकर किसानी कर रहे थे. इन्हीं किरायदार किसानों की दशा जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने ग्राउंड पर जाने का फैसला किया.

farmer
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करनालः जिले में 40 प्रतिशत किसान ऐसे हैं जो ठेके या पट्टा लेकर खेती करते हैं. इसीलिए ऐसे किसानों की बात करना जरूरी है. दरअसल ये किसान फसल बीमा जैसी योजनाओं का लाभ तो ले रहे हैं लेकिन बाकी लाभ इन्हें नहीं मिल पा रहे हैं.

क्या बोले किसान ?

करनाल में ठेके पर जमीन लेकर खेती करने वाले सत्येंद्र कहते हैं कि वो अपनी फसल का बीमा करवाते हैं, और अगर फसल खराब होती है तो उन्हें उसका मुआवजा मिल जाता है लेकिन इसके अलावा कोई और सरकारी मदद उन्हें नहीं मिलती है.

हरियाणा में ठेके पर जमीन लेकर खेती करने वाले किसानों की हालत खस्ता, कहीं से नहीं मिलती मदद

कोऑपरेटिव सोसायटी से भी नहीं मिलती मदद

किसानों और बैंकों के बीच की एक अहम कड़ी है कोऑपरेटिव सोसायटी, ये किसान सोसायटियां सबसे निचले स्तर पर काम करती हैं और किसान इनसे सीधे जुड़े होते हैं. किसानों को सब्सिडाइज लोन भी इन्ही सोसायटियों से मिलता है. इसीलिए हम करनाल जिले की सोसायटी के लोन अधिकारी से मिले और उनसे पूछा कि किसान और जमीन ठेके पर लेने वाले किसान कैसे सब्सिडाइज लोन हासिल कर सकते हैं.

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करनाल कोऑपरेटिव सोसायटी के लोन अधिकारी चिरनजीवी शर्मा शर्मा न बताया कि किसान पहले 1000 रुपये देकर सोसायटी के मेंबर बनते हैं उसेक बाद उनकी जमीन के कागजात के आधार पर और उनकी ठेके वाली जमीन के आधार पर फाइल बनाकर बैंक भेजी जाती हैं वहां एक कमेटी बैठती है जो ये तय करती है कि किसान को कितना सब्सिडाइज लोन देना है या देना भी है या नहीं.

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किसान क्रेडिट कार्ड का फायदा

किसान क्रेडिट कार्ड पर किसान को जो लोन मिलता है वो एक समय सीमा तक ब्याज रहित होता है हालांकि बैंक इस पीरियड में भी 7 प्रतिशत ब्याज लेती है लेकिन वो ब्याज 60% केंद्र सराकर और 40 प्रतिशत राज्य सरकार वहन करती है इस प्रकार किसान को कोई ब्याज नहीं देना होता है.

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कैसे बढ़े किसानों की आय ?

किसान मजदूर नौजवान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेंद्र आर्य ने कहा कि किसानों के आत्महत्या करने के कारण ये बनते हैं कि किसान को जो बैंकों से लोन दिया जाता है उसकी ब्याज दर काफी होती है और दूसरी वजह होती है कि उसको उसकी फसल का एमएसपी नहीं दिया जा रहा जिसके कारण वह अपनी फसल पर लागत ज्यादा लगा देता है लेकिन मुनाफा कम हो रहा है जिसके कारण वह आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं. इसके अलावा भारत में किसानों को सब्सिडी भी ना के बराबर मिलती है. जो किसानों को उबरने नहीं देती.

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