ETV Bharat / city

करनाल: सिविल अस्पताल के नशा मुक्ति केंद्र का लाइसेंस खत्म, प्राइवेट इलाज कराने को मजबूर लोग

author img

By

Published : Jan 20, 2020, 6:53 PM IST

Updated : Jan 20, 2020, 7:06 PM IST

लाइसेंस रिनुअल न होने से जिला में पिछले कई महीने से नशा संबंधित मरीजों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है इसलिए वो निजी अस्पताल में महंगा इलाज करवाने के लिए मजबूर हो गए हैं.

License of Civil Hospital de-addiction center is over
सिविल अस्पताल के नशा मुक्ति केंद्र का लाइसेंस खत्म

करनाल: सिविल अस्पताल का नशा मुक्ति केंद्र का दवाई खरीदने का लाइसेंस खत्म हो गया है. इसको रिन्यू करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 6 सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया गया है. जिला प्रशासन का कहना है कि उन्होंने लाइसेंस रिन्युअल के लिए सरकार को रिपोर्ट भेज दी है और जल्द इसकी मंजूरी मिलने की सम्भावना है.

सिविल अस्पताल के नशा मुक्ति केंद्र का लाइसेंस खत्म

मरीजों को हो रही है परेशानी

लाइसेंस रिनुअल न होने से जिला में पिछले कई महीने से नशा संबंधित मरीजों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है इसलिए वो निजी अस्पताल में महंगा इलाज करवाने के लिए मजबूर हो गए हैं.

लापरवाही बताई जा रही है वजह

लाइसेंस बनवाने के लिए चल रही देरी के कारण संबंधित अधिकारियों की लापरवाही सामने आ रही है. सिविल सर्जन, जिला समाज कल्याण अधिकारी, पीडब्ल्यूडी के अधिकारी द्वारा संयुक्त रूप से निरीक्षण रिपोर्ट बनाई जाती है. इसके बाद जिला समाज कल्याण विभाग की तरफ से लाइसेंस जारी होते हैं.

नशे से संबंधित दवाई नहीं

नागरिक अस्पताल में 1500 मरीजों की ओपीडी है. इनमें रोजाना 60 से 70 मरीज नशे संबंधित हैं. उन्हें ओपीडी में चेक जरूर किया जा रहा है, लेकिन उनको अस्पताल से फ्री में मिलने वाली दवा नहीं मिल रही है, क्योंकि दवा का स्टॉक कई महीने से खत्म है.

मार्केट में भी बहुत कम लाइसेंस हैं, जहां नशे संबंधित दवाई मिलती है. नागरिक अस्पताल में निशुल्क इलाज होता है. जबकि निजी अस्पताल में 8 से 10 हजार रुपये खर्चा आ रहा है. यदि अधिकारियों की लापरवाही इसी तरह रही तो इसका असर सीधे तौर पर हजारों मरीजों पर पड़ेगा.

रिपोर्ट भेज दी गई है- डीसी

इस बारे में जब जिला उपायुक्त निशांत यादव से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मेरे संज्ञान में ये मामला आया है, प्रदेश सरकार को इसकी रिपोर्ट भेज दी गई है, अब सरकार के स्तर पर कार्रवाई होनी है. उन्होंने कहा कि नशा के आदी लोगों को सही इलाज मिले तो वे भी बेहतर जीवन जी सकते हैं. हमें युवा वर्ग को इस बुराई से दूर करने के लिए प्रयास करना चाहिए.

जिला सिविल सृजन अश्वनी आहूजा ने कहा की दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर छह सदस्यीय कमेटी बनाई गई है, जो इस मामले को देखती है. उन्होंने कहा की औसतन हर महीने 14-15 मरीज नशे के इलाज के लिए आते हैं.

ये भी पढ़ें- सीआईडी विवाद पर सीएम का बयान, कहा- टेक्निकल बात है जिसे बैठकर सुलझा लिया जाएगा

Intro:सिविल अस्पताल के नशा मुक्ति केंद्र का लाइसेंस खत्म, जिला प्रशासन ने सरकार को भेजी रिपोर्ट , छह सदस्यीय कमेटी का गठन, लाइसेंस रिनुअल न होने से जिला में पिछले कई माह से नशा संबंधित मरीजों को करना पड़ रहा है समस्याओं का सामना ,मरीज निजी अस्पतालो में महंगा इलाज करवाने के लिए मजबूर ।

Body: सिविल अस्पताल का नशा मुक्ति केंद्र का दवाई खरीदने का लाइसेंस खत्म हो गया है। इसको रिन्यू करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 6 सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया गया है। जिला प्रशासन का कहना है की उन्होंने लाइसेंस रिन्युअल के लिए सरकार को रिपोर्ट भेज दी है और जल्द इसकी मंजूरी मिलने की सम्भावना है। लाइसेंस रिनुअल न होने से जिला में पिछले कई माह से नशा संबंधित मरीजों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है इसलिए वह निजी अस्पताल में महंगा इलाज करवाने के लिए मजबूर हो गए हैं।

लाइसेंस बनवाने के चल रही देरी के कारण संबंधित अधिकारियों की लापरवाही सामने आ रही है। सिविल सर्जन, जिला समाज कल्याण अधिकारी, पीडब्ल्यूडी के अधिकारी द्वारा संयुक्त रूप से निरीक्षण रिपोर्ट बनाई जाती है। इसके बाद जिला समाज कल्याण विभाग की तरफ से लाइसेंस जारी होते हैं। नागरिक अस्पताल में 1500 मरीजों की ओपीडी है। इनमें रोजाना 60 से 70 मरीज नशे संबंधित हैं। उन्हें ओपीडी में चेक जरूर किया जा रहा है, लेकिन उनको अस्पताल से फ्री में मिलने वाली दवा नहीं मिल रही है, क्योंकि दवा का स्टॉक कई महीने से खत्म है।

मार्केट में भी बहुत कम लाइसेंस हैं, जहां नशे संबंधित दवाई मिलती है। नागरिक अस्पताल में निशुल्क इलाज होता है। जबकि निजी अस्पताल में 8 से 10 हजार रुपए खर्चा आ रहा है। यदि अधिकारियों की लापरवाही इसी तरह रही तो इसका असर सीधे तौर पर हजारों मरीजों पर पड़ेगा। इस बारे में जब जिला उपायुक्त निशांत यादव से बात की गई तो उन्होंने बताया की मेरे संज्ञान में यह मामला आया है , प्रदेश सरकार को इसकी रिपोर्ट भेज दी गई है , अब सरकार के स्तर पर कार्यवाही होनी है। उन्होंने कहा की नशा के आदी लोगों को सही इलाज मिले तो वे भी बेहतर जीवन जी सकते हैं। हमें युवा वर्ग को इस बुराई से दूर करने के लिए प्रयास करना चाहिए।

Conclusion:जिला सिविल सृजन अश्वनी आहूजा ने कहा की दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर छह सदस्यीय कमेटी बनाई गई है जो इस मामले को देखती है। उन्होंने कहा की औसतन हर माह 14 - 15 मरीज नशे के इलाज के लिए आते हैं।

बाइट - सिविल सर्जन , अश्वनी आहूजा

बाइट - डी सी। निशांत यादव



Last Updated :Jan 20, 2020, 7:06 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.