ETV Bharat / sukhibhava

Thyroid Related Problems : थायराइड संबंधी समस्याओं के प्रबंधन में लाभकारी होता है नियमित योगाभ्यास

author img

By

Published : Jul 18, 2023, 4:20 PM IST

थायराइड संबंधी समस्याओं में लक्षणों तथा प्रभावों को नियंत्रित रखने में योग का नियमित अभ्यास काफी लाभकारी हो सकता है. पढ़ें पूरी खबर..

Thyroid Related Problems
थायराइड

हैदराबाद : थायराइड एक हार्मोन संबंधी आम बीमारी हैं जिससे महिलायें तथा पुरुष दोनों प्रभावित हो सकते है. कारणों के आधार पर इस समस्या की गंभीरता अलग-अलग मामलों में अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन चिंता की बात यह है कि ज्यादातर मामलों में एक बार इस समस्या के प्रभाव नजर आने के बाद पीड़ित व्यक्ति को हमेशा अपने स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा ध्यान देना पड़ता है, जिससे थायराइड का स्तर नियंत्रित रहे.

थायराइड के इलाज के साथ उसका प्रबंधन भी बेहद जरूरी होता है. जिससे उसके लक्षणों तथा प्रभावों को नियंत्रित रखा जा सके. जानकार मानते हैं कि इसमें योग का अभ्यास काफी मददगार हो सकता है.

लक्षणों को नियंत्रित रखने में मददगार है योग
बेंगलुरू की योग गुरु तथा फिटनेस इंस्ट्रक्टर मीनू वर्मा बताती हैं कि योग थायराइड विकारों के लक्षणों को प्रबंधित करने में काफी प्रभावी हो सकता है. वह बताती हैं कि थायराइड विकार में आमतौर पर पीड़ित में थकान, वजन के कम होने या बढ़ने, शरीर में ऊर्जा के कम होने, बालों तथा त्वचा संबंधी समस्याएं , ह्रदय गति के कम होने तथा कई बार उच्च रक्तचाप जैसे लक्षण तथा प्रभाव नजर आते हैं. खासतौर पर महिलाओं में थायराइड हार्मोन की मात्रा में असंतुलन अनियमित पीरियड्स या गर्भावस्था के दौरान समस्या का कारण भी बन सकता है. ऐसे में योग आसनों का अभ्यास इस लक्षणों को नियंत्रित रखने में काफी लाभकारी हो सकता है. खासतौर पर कुछ विशेष प्रकार के योग आसन थायरॉयड संबंधी समस्याओं में तथा थायरॉयड के कार्य में सुधार में भी मदद करते हैं.

थायरॉयड संबंधी समस्याओं में जिन योग आसनों का नियमित अभ्यास मददगार हो सकता हैं, उनमें से कुछ तथा इन्हे करने का तरीका इस प्रकार हैं.

मार्जरीआसन

  • सबसे पहले वज्रासन में बैठ जाएं
  • इसके बाद मैट पर घुटनों के बल खड़े होते हुए कंधों की सिधाई में हाथों को जमीन पर टिकाएं और घुटनों व हाथों के बल खड़े हो जाएं .
  • इस अवस्था में शरीर की स्थिति मेज जैसी होनी चाहिए.
  • अब सांस छोड़ते हुए अपनी रीढ़ को छत की खींचे.
  • कुछ सेकंड के लिए इस स्थिति में सिर को जमीन की ओर करके बने रहें और फिर पुरानी अवस्था में लौट आएं.

हलासन या हल मुद्रा

  • इस आसन के लिए सबसे पहले योगा मैट पर पीठ के बल लेट जाएं.
  • अपने हाथों को बगल में रखें, ध्यान रखें की आपकी हथेलियों ज़मीन पर टिकी हों.
  • अब घुटनों को सीधा रखते धीरे-धीरे दोनों पैरों को हवा में उठाएं.
  • इसी क्रम में अपने पैरों को अपने सिर के पीछे की ओर नीचे करते हुए अपने कूल्हे और हिप्स को थोड़ा ऊपर उठाएं. इस अवस्था में कूल्हों पर मदद के लिए हाथों का सपोर्ट भी ले सकते हैं.
  • अपने सिर के पीछे अपने पैरों की उंगलियों से जमीन को छूने की कोशिश करें.
  • ध्यान रहे इस दौरन आपके घुटने मुड़े नहीं.
  • इस स्थिति में 10-30 सेकंड तक रुकें.
  • इस क्रिया को 5-10 बार दोहराएं.

भुजंगासन या कोबरा मुद्रा

  • इस आसन के लिए सबसे पहले योगा मैट पर अपने पेट के बल लेट जाएं.
  • अब अपनी हथेलियों को अपने कंधों के नीचे और कोहनियों को अपनी छाती के दोनों ओर रखें.
  • अब धीरे से अपनी हथेली को जमीन पर दबाते हुए और सांस लेते हुए अपने सिर, कंधों और छाती को जितना हो सके ऊपर उठाएं.
  • इस स्थिति में 5-10 सेकंड तक रहें.
  • फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए वापस पुरानी अवस्था में आ जाएं.

उष्ट्रासन

  • इस आसन के लिए सबसे योगा मैट पर घुटने के बल या वज्रासन में बैठ जाएं.
  • अब घुटनों के बल खड़ें हो, ध्यान रहे इस अवस्था में आपके कूल्हे, कंधे और घुटने एक सीध में हों.
  • अब पीछे झुकते हुए तथा अपने हाथों को पीछे की ओर ले जाते हुए दाई हथेली को दाई एड़ी पर तथा बाई हथेली को बाई एड़ी पर रखें.
  • ध्‍यान रहे की पीछे झुकते समय गर्दन को झटका न लगे.
  • इस अवस्था में कुछ देर रुके तथा धीरे धीरे सांस लेते और छोड़ते रहें .
  • अब लंबी गहरी सांस छोड़ते अपनी प्रारंभिक अवस्था में लौट आएं.
  • इस प्रक्रिया को पांच से सात बार किया जा सकता है.

ऊर्ध्व धनुरासन

  • इस आसन के लिए सबसे पहले मोटी योगा मैट पर पीठ के बल लेट जाएं.
  • अब अपने घुटनों को मोड़ें और उन्हें कूल्हे की चौड़ाई के बराबर फैलाएं.
  • फिर अपने हाथों को पीछे की ओर अपने सिर के पास ले जाकर हथेलियों को जमीन से टिका लें.
  • अब सांस अंदर की ओर लें और अपने पैरों पर भार डालते हुए हिप्स को ऊपर उठाएं.
  • इसके साथ ही अपने दोनों हाथों पर वजन को संभालते हुए अपने कंधों को भी ऊपर उठायें और धीरे-धीरे अपने हाथों को कोहनी से सीधा करने की कोशिश करें.
  • ध्यान रहे इस दौरान आपके हाथ और पैरों के बीच की दूरी समान रहेगी.
  • ऐसे में आपके शरीर की स्थिति धनुष जैसी नजर आएगी.
  • अब अपनी क्षमता अनुसार अपने दोनों हाथों को अपने दोनों पैरों के पास लाने की कोशिश करें. ध्यान रहे इस दौरान पैरों-हाथों पर अधिक भार ना पड़े.
  • इस स्थिति में 10-30 सेकंड तक रुकें और पुरानी अवस्था में लौट आयें.
  • इस प्रक्रिया को 5-10 बार दोहराएं.
  • इन आसनों के अलावा मत्स्यासन, जानु शिरासन, परिपूर्ण नवासन तथा शवासन सहित कुछ अन्य आसन भी थायराइड के प्रबंधन में काफी लाभकारी प्रभाव दे सकते हैं.

सावधानियां
मीनू वर्मा बताती हैं कि इन आसनों में से कुछ आसनों को कुछ खास परिस्थितियों में वर्जित माना जाता है. ऐसे में बहुत जरूरी है कि इनका अभ्यास शुरू करने से पहले अपनी शारीरिक अवस्था यानी ऐसी शारीरिक परेशानियां, अवस्थाएं या विकार, जिनके आप शिकार हैं, के बारे में अपने ट्रेनर को जरूर बताएं.

इसके अलावा इन या किसी भी जटिल योग का अभ्यास शुरू करने से पहले किसी प्रशिक्षित ट्रेनर से उसे सीखना बहुत जरूरी है. सावधानी के तौर पर यदि योग आसनों का अभ्यास शुरुआती दौर में प्रशिक्षित ट्रेनर के निगरानी में किया जाय तो कई समस्याओं तथा दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है.

इसके अलावा यह जानना भी जरूरी है कि ये आसन सिर्फ थायराइड के प्रबंधन में लाभ देते है, यानी उसके कारण होने वाली परेशानियों को कम करने में मदद करते हैं. सिर्फ थायराइड ही नहीं किसी भी रोग के निदान के लिए उसका सही इलाज बेहद जरूरी है. इसलिए योग के साथ चिकित्सकों द्वारा बताई गई दवाओं, सावधानियों, आहार शैली तथा जीवन शैली को अपनाना बेहद जरूरी है.

ये भी पढ़ें

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.