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कोविड संक्रमण के बाद सिर्फ इतने दिनों तक जोखिम ज्यादा, शोध में हुआ खुलासा

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Published : Oct 27, 2022, 12:37 AM IST

कोविड19 से संक्रमण के शुरुआती दिनों में हार्टअटैक (heart attack to youth) आ रहा है. इसको लेकर ईटीवी भारत संवाददाता ने वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डाॅ. भुवन चंद्र तिवारी (Dr Bhuvan Chandra Cardiologist Lohia Hospital) से बातचीत की. Diabetes, breathing problems, Heart disease risk . post covid 19 condition . Covid side effecct . Cardiologist dr bhuvan chandra advice for covid infected patient heart disease risk critical days for corona infected patient .

Diabetes, breathing problems, Heart disease risk . post covid 19 condition . Covid side effecct . Cardiologist dr bhuvan chandra advice for covid infected patient heart disease risk critical days for corona infected patient .
कोविड संक्रमण के सिर्फ इतने दिनों तक मौत का जोखिम ज्यादा, शोध में हुआ खुलासा

नई दिल्ली: एक नए शोध से पता चला है कि कोविड19 से संक्रमण के शुरुआती 30 दिनों के भीतर दिल का दौरा पड़ने या उसके फेल होने पर मौत का खतरा बहुत अधिक रहता है, लेकिन कुछ समय बाद तक यह बढ़ जाता है. ऑनलाइन जर्नल 'हार्ट' (online journal Heart) में प्रकाशित यूके के बड़े बायोबैंक अध्ययन (UK Biobank study) की रिपोर्ट में COVID19 को खराब हृदय और मौत के बढ़ते जोखिम से जोड़ा गया है, विशेष रूप से उन लोगों में, जिन्हें संक्रमण के बाद अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है.

अधिकांश हृदय रोगों का निदान संभव है, विशेष रूप से एट्रियल फाइब्रिलेशन (Atrial fibrillation) , VTE (नस में रक्त का थक्का), pericarditis और किसी भी कारण से मृत्यु संक्रमण के शुरुआती 30 दिनों के भीतर होती है और प्राथमिक कारण कोविड-19 से संक्रमण बताया जाता है. इसके उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती मरीजों को मौत का खतरा ज्यादा रहता है. UK Biobank study से पता चला है कि अगर बढ़ा हुआ जोखिम 30 दिनों से अधिक रहता है, तब विशेष रूप से दिल का दौड़ा, अलिंद फिब्रिलेशन, वीटीई और पेरिकार्डिटिस जैसे कारणों से मौत होती है.

वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डाॅ. भुवन चंद्र तिवारी, लोहिया अस्पताल

अध्ययन का निष्कर्ष है कि अप्रत्याशित रूप से, अस्पताल में भर्ती कोविड-19 के संक्रमण वाले मरीजों के मरने की आशंका 118 गुना रहती है और जिन्हें अस्पताल में इलाज की जरूरत नहीं रहती, उनके मरने की आशंका 64 गुना रहती है. शोधकर्ताओं ने कहा, "पिछले COVID-19 जोखिम का दीर्घकालिक क्रम एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता के रूप में उभर रहा है. हमारा निष्कर्ष संक्रमण वाले व्यक्तियों में हृदय संबंधी रोग के जोखिम को उजागर करता है."

शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए 53,613 यूके बायोबैंक प्रतिभागियों को आकर्षित किया, जिनमें से 17,871 को मार्च 2020 और मार्च 2021 के बीच कोविड-19 संक्रमण का निदान किया गया था.अध्ययन में पाया गया कि कोविड-19 के 17,871 मामलों में से, 2,701 मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ी,जबकि 866 को दूसरी परिस्थति में अस्पताल में भर्ती कराया गया और 14,304 को अस्पताल में इलाज की जरूरत नहीं पड़ी.मार्च 2021 के अंत में सभी प्रतिभागियों को तब तक ट्रैक किया गया, जब तक कि उनमें हृदय संबंधी समस्या उत्पन्न नहीं हुई. 141 दिनों की निगरानी के दौरान पाया गया कि 395 में 32 मरीजों की मौत हो गई.

Cardiologist Dr Bhuvan Chandra : वैसे तो हार्टअटैक के कई कारण हैं, लेकिन एक वजह यह भी है कि कोरोना ने बॉडी के ऑर्गन पर काफी बुरा प्रभाव छोड़ा है. जिसकी वजह से बहुत सारे मरीज हार्ट और सांस संबंधी बीमारियों के चपेट में आ गए. इसको लेकर ईटीवी भारत की संवाददाता ने लोहिया अस्पताल के वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डाॅ. भुवन चंद्र तिवारी (Dr Bhuvan Chandra Cardiologist Lohia Hospital) से बातचीत की. Dr Bhuvan Chandra Tiwari.

प्रश्न- कोविड की पहली और दूसरी लहर की चपेट में आने वाले लोगों को सीने के बाएं हिस्से में दर्द होने की समस्या आ रही है. जबलपुर मेडिकल कॉलेज के फाॅरेंसिक विभाग की रिसर्च (Jabalpur Medical College Forensic Department Research) के हवाले से कहा जा रहा है कि युवाओं का दिल कोरोना की चपेट में आकर कमजोर हो गया है. तो इसका क्या मतलब निकाला जाए. दिल कमजोर किस प्रकार से हो गया है?
उत्तर : लंग्स पर जो वायरस असर करता है मुख्य तौर पर वह धीरे-धीरे हार्ट, किडनी और ब्रेन पर असर करता है. काफी सारे लोगों को उस दौरान हार्टअटैक भी हुआ. इसके अलावा अब लोगों में इसका रिएक्शन देखने को मिल रहा है. दिल की धमनियों में भी सूजन आ जाती है, खासकर से वह लोग जिनको पहले कोरोना हो चुका है और वह ठीक हो गए हैं, उन्हें अधिक सचेत रहने की जरूरत है. जो स्मोकिंग करते हैं, एक्सरसाइज नहीं करते अपनी डाइट में जंक फूड का सेवन अधिक करते हैं ऐसे लोगों मे हार्टअटैक का खतरा बढ़ सकता है.

प्रश्न- अगर दिल कमजोर हो गया है तो इसका कोई इलाज है या समय के साथ-साथ दिल पहले की तरह ही फंक्शन करने लग जाएगा?
उत्तर - अगर हार्ट की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं तो पंपिंग पावर जो कि 60 से 70 प्रतिशत होती है वह किसी भी वायरल इंफेक्शन में कम हो जाती है. धीरे-धीरे करके उसमें सुधार भी आ जाता है.


प्रश्न - इसके दूरगामी परिणाम क्या हो सकते हैं, क्या कोविड की चपेट में आए लोगों को अब दिल की बीमारी ने घेर लिया है, क्या सीने में दर्द उसी की ओर इशारा करता है. क्या ऐसे लोगों को कभी भी दिल का दौरा पड़ सकता है या ये सिर्फ वहम है?
उत्तर - स्टडीज में पता चलता है कि कोरोना वायरस धमनियों की इन्फ्लेमेटरी डिजीज (inflammatory disease) है. 'एक तरह से जो हमारी धमनी है उसको धीरे-धीरे करके खराब करता है.' अगर हम कोरोना के बाद हेल्दी लाइफ स्टाइल रखें, अपना खान-पान अच्छा रखें, योगा करें, व्यायाम करें, रोजाना रनिंग करें और डायबिटीज से बचें मीठा कम खाएं. कोई व्यक्ति अपनी जीवनशैली में बदलाव नहीं करता है तो काफी खतरनाक साबित हो सकता है. यही कारण है कि कोरोना काल में हार्टअटैक के केस काफी बढ़ गए थे, हालांकि अभी भी हार्टअटैक के काफी केस आते हैं.


प्रश्न - जो लोग कोविड की पहली और दूसरी लहर में उसकी चपेट में आ चुके हैं और जिन्होंने उसके बाद वैक्सीन के भी तीन डोज (बूस्टर डोज सहित) ली हुई है उनके लिए आप क्या सलाह देगे. उन्हें अब आगे क्या टेस्ट करवाने चाहिए या किस प्रकार का स्वास्थ्य संबंधी ख्याल रखना चाहिए?
उत्तर - कोविड वैक्सीन (covid vaccine) की वजह से इंफेक्शन कम हुए हैं. अभी भी जिन लोगों को कोरोना हो रहा है उनको यह समझना है कि अगर वह किसी रिस्क फैक्टर से पीड़ित हैं तो उसको कंट्रोल करें. एक बार अगर आपको कोरोना हो गया है तो जहां तक हो सकें स्मोकिंग, तबाकू से अपने आप को दूर रखें. तब आपका हृदय स्वस्थ रह सकता है. इसके अलावा बीच-बीच में अपनी मेडिकल जांच भी कराते रहें. --Extra Input आईएएनएस

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