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वर्ल्ड एड्स डे पर दिल्ली की तिहाड़ जेल में हुआ 'रॉक द रिबन' थीम पर कार्यक्रम

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Published : Dec 2, 2022, 6:04 PM IST

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दिल्ली की तिहाड़ जेल में वर्ल्ड एड्स डे पर 'रॉक द रिबन' थीम पर एक कार्यक्रम (program on rock the ribbon) का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में कैदियों और कर्मचारियों को एचआईवी के प्रति जागरूक किया गया. तिहाड़ जेल में अभी 244 कैदी एचआईवी/एड्स के साथ जीने को मजबूर हैं.

नई दिल्ली : एचआईवी/ एड्स एक जानलेवा बीमारी है, जिसका अब तक कोई इलाज नहीं है. Human immunodeficiency virus यानी ( एचआईवी) से संक्रमित होने वाला पीड़ित जीवनभर के लिए इस वायरस से ग्रसित हो जाता है. विशेषज्ञों ने एचआईवी से बचने के कुछ उपाय बताएं हैं, वहीं एड्स रोगी के लिए कुछ दवाएं भी हैं, जिसके माध्यम से रोग की जटिलता को कम किया जा सकता है. एड्स को लेकर कई सारे मिथक और गलत जानकारियां भी व्याप्त हैं, जिन्हें दूर करने और एचआईवी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल दुनियाभर में विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है. इस दौरान लोगों को जानकारी दी जाती है कि एड्स को लेकर बहुत ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है.

तिहाड़ में 244 कैदी एचआईवी/एड्स के साथ जी रहे : इसी क्रम में दिल्ली के केंद्रीय कारागृह तिहाड़ में भी वर्ल्ड एड्स डे के मौके पर 'रॉक द रिबन' थीम पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जिसके तहत तिहाड़ जेल के सेंट्रल हॉस्पिटल में स्थापित ART सेंटर में कैदियों को इस बीमारी से बचाव के उपायों को लेकर जागरूक करने के साथ, पहली बार के कैदियों को HIV, TB, वायरल, हेपेटाइटिस, सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (sexually transmitted infection) यानी STI की जांच का प्रस्ताव दिया गया. तिहाड़ में ART सेंटर अक्टूबर, 2018 में सेंट्रल जेल हॉस्पिटल के अंदर स्थापित किया गया था, जहां अब तक लगभग 1012 कैदियों को पंजीकृत किया है. जहां वर्तमान में 244 कैदी एचआईवी/एड्स के साथ जी रहे हैं. जिनमें 211पुरुष कैदी, 31 महिला कैदी और 2 LGBTQIA शामिल हैं.

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आयोजित हुआ स्वास्थ्य वार्ता :दिल्ली स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी (डीएसएसीएस) की ओर से दिल्ली की जेलों को सभी दवाएं और जांच किट मुहैया कराई जा रही हैं. सभी पीएलएचआईवी कैदियों को जेल मैनुअल के अनुसार प्रोटीन युक्त आहार यानी दूध, अंडा, मक्खन, सोयाबीन, फल ​​प्रदान किए जा रहे हैं. कैदियों के बीच एचआईवी और एड्स के बारे में जागरूकता फैलाने के प्रयासों की क्रम में एआरटी केंद्र के सामने स्वास्थ्य वार्ता आयोजित की गई, जिसमें वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों ने एचआईवी/एड्स की रोकथाम और एहतियात के बारे में जागरूक करके लिए कैदियों और कर्मचारियों को जानकारियां दीं.

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