ETV Bharat / sports

EXCLUSIVE: करसन घावरी ने कहा- मोटेरा, चेन्नई की पिचें सब्जियां उगाने वाले खेतों की तरह हैं

author img

By

Published : Mar 3, 2021, 3:39 PM IST

EXCLUSIVE interview with Karsan Ghavri
EXCLUSIVE interview with Karsan Ghavri

टीम इंडिया के शानदार प्रदर्शन के बारे में भारतीय टीम के पूर्व बाएं हाथ के तेज गेंदबाज करसन घावरी के विचार भारतीय क्रिकेट के प्रशंसकों से मेल नहीं खाएंगे, उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत में मोटेरा और चेन्नई की पिचों को क्रिकेट के लिए अयोग्य करार दिया.

हैदराबाद: दिग्गज बाएं हाथ के तेज गेंदबाज करसन घावरी जिन्होंने कपिल देव के साथ 27 टेस्ट मैचों में 183 विकेट झटके, उन्हें लगता है कि मोटेरा और चेन्नई में विकेट "सब्जियों उगाने वाले मैदान" की तरह हैं और उन्होंने अपने पूरे क्रिकेट करियर में कभी भी ऐसी पिच नहीं देखी.

ईटीवी भारत के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में करसन घावरी ने मोटेरा और चेन्नई की पिचों के बारे में बात की और इंग्लैंड की टीम नरेंद्र मोदी स्टेडियम में तीसरे टेस्ट मैच में अपनी रणनीति में पूरी तरह विफल रही.

सवाल - क्या आपको लगता है कि मोटेरा और चेन्नई का विकेट इंग्लैंड के लिए अनुचित था?

जवाब- मुझे इस तरह के विकेट पर खेलना अनुचित लगता है क्योंकि हमारे भारतीय क्रिकेट प्रेमी और स्टेडियम में खेल देखने वाले लोग और टेलीविजन के जरिए क्रिकेट को एक मनोरंजन के रूप में देखते हैं और हमारे खिलाड़ियों का काम मनोरंजन करना है. यदि पांच-दिवसीय खेल केवल दो दिनों में समाप्त हो रहा है, तो ये खेल को खत्म करता है. पहले दो दिनों में बल्लेबाजों और गेंदबाजों के लिए एक आदर्श पिच होनी चाहिए और जैसे-जैसे समय आगे बढ़ेगा, ये खराब होना तय है. गेंदबाजी तीसरे दिन से शुरू होनी चाहिए. चेन्नई और अहमदाबाद में नहीं थी. वे कृषि क्षेत्र की तरह थे. बल्लेबाज के लिए रन बनाना और बचना बहुत मुश्किल था. ये दोनों टीमों के लिए काफी अनुचित है.

सवाल - पूर्व और वर्तमान भारतीय क्रिकेटरों में से अधिकांश ने इस तर्क का बचाव किया है कि जब वे विदेशों में गए तो उन्हें भी हरी घास वाली पिच मिली

जवाब - आपने देखा होगा कि ऑस्ट्रेलिया सीरीज में पिचें सीम कर रही थीं लेकिन मैच तीन दिनों के भीतर समाप्त नहीं हुआ. पांचवें दिन तक मैच चल जाना चाहिए. सेना देशों में, वे आपको पहले दिन उछालभरी, हरा-भरा ट्रैक दे सकते हैं, जिससे तेज गेंदबाजों को मदद मिलती है लेकिन जैसे-जैसे समय आगे बढ़ेगा, ये खराब होना तय है. क्योंकि वे पिच पर हर रोज घास काटते हैं. यहां घास के बारे में कोई सवाल नहीं था. पहले दिन कोई घास नहीं था. भारत हमारे क्रिकेट की खराब तस्वीर बना रहा है.

INDvsENG
विराट कोहली और जो रूट

सवाल - जब गेंद पिच पर फेंकते थे तो विकेट से हमेशा धूल उड़ती थी?

जवाब- ये क्रिकेट की पिच नहीं थी. ये सब्जियों को उगाने के लिए एक खेत की तरह था.

सवाल - क्या आपको लगता है कि भारत पहला टेस्ट हारने के बाद टर्निंग पिच की ओर गया?

जवाब- बीसीसीआई और भारतीय टीम प्रबंधन के दिमाग में ये बात चल रही थी कि उन्हें विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के लिए जगह बनानी थी. उन्हें पता था कि भारतीय टीम को फाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेलने के लिए इंग्लैंड को 3-1, 2-1 से हराना होगा. इसी सोच ने उनके दिमाग को सोचने पर मजबूर किया और शायद यही कारण है कि वे टेस्ट मैच जीतने के लिए टर्नर के लिए गए और विश्व चैम्पियनशिप के लिए क्वालीफाई किया. दोनों टीमों के लिए विकेट समान था लेकिन हम पहली पारी में बढ़त के कारण बच गए. क्या होता अगर इंग्लैंड ने पहली पारी में 250 रन बनाए हों? हम संघर्ष कर सकते थे.

सवाल - क्या इन परिस्थितियों में आप भारतीय बल्लेबाजों को श्रेय देना चाहेंगे?

जवाब- उस पिच पर स्कोर करना मुश्किल था. ऐसे विकेटों पर खेलने का सबसे अच्छा तरीका आक्रमण करना है. दूसरी पारी में, 35-40 रनों (49 रन) के लक्ष्य का पीछा करते हुए, रोहित शर्मा और शुभमन गिल ने जिस तरह से खेला और रन बनाए वह आक्रमण के माध्यम से थे. यहां पर वो एक रन या दो रन के लिए नहीं गए. वे सभी चौके और छक्के थे. दुर्भाग्य से इंग्लैंड के लिए, यह एक बहुत बुरा चयन था क्योंकि उन्होंने कभी भी एक लेफ्ट-आर्म स्पिनर - जैक लीच को छोड़कर किसी स्पिनर को शामिल नहीं किया था. कल्पना करें कि जो रूट पांच विकेट ले रहे हैं जो नियमित नहीं है.

सवाल - इंग्लैंड से ये भूल कैसे हुई? वो सिर्फ एक स्पिनर के साथ उतरे

जवाब- खेल शुरू होने से पहले कोच और मैनेजर विकेट को देखते हैं. उन्हें ये आईडिया होता है कि पिच कैसे व्यवहार करने वाली है. यदि आप विकेट पर घास देखते हैं, तो आप जानते हैं कि आपको सीमर्स के साथ खेलना होगा. यदि आपको कोई घास नहीं दिखती है, तो आप स्पिनरों को रखते हैं. ये इंग्लैंड की टीम द्वारा पिच को लेकर गलत सोच का नतीजा था.

सवाल - डैरेन गफ ने हाल ही में कहा था कि भारतीय क्रिकेट टीम 90 के दशक के ऑस्ट्रेलिया की तरह है.आपकी टिप्पणी?

जवाब - ये पूरी तरह से एक अलग परिदृश्य होगा यदि हम इंग्लैंड की टीम को उनकी पिच पर खेलते हुए देखते लेकिन यहां, उन्हें स्पिन के साथ तालमेल बिठाने में बहुत मुश्किल हो रही है. विकेट की निश्चित रूप से भूमिका थी.

आयुष्मान पांडे

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.