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विश्वबैंक ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 7.5 प्रतिशत किया

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Published : Jun 8, 2022, 8:29 AM IST

Updated : Jun 8, 2022, 11:49 AM IST

WORLDBANK
विश्वबैंक

बढ़ती महंगाई, आपूर्ति व्यवस्था में बाधा और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण विश्वबैंक (World Bank) ने चालू वित्त वर्ष (2022-23) के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया ( World Bank cut economic growth forecast).

वाशिंगटन : विश्वबैंक ने चालू वित्त वर्ष (2022-23) के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया. इसका कारण बढ़ती महंगाई, आपूर्ति व्यवस्था में बाधा और रूस-यूक्रेन युद्ध से वैश्विक स्तर पर तनाव को बताया गया है. यह दूसरी बार है जब विश्वबैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि के अनुमान को संशोधित किया है. इससे पहले, अप्रैल में वृद्धि दर के अनुमान को 8.7 प्रतिशत घटाकर 8 प्रतिशत किया गया था. अब इसे और कम कर 7.5 कर दिया गया है. उल्लेखनीय है कि बीते वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 8.7 प्रतिशत रही थी.

विश्वबैंक ने वैश्विक आर्थिक संभावना के ताजा अंक में कहा, 'बढ़ती महंगाई, आपूर्ति व्यवस्था में बाधा और रूस-यूक्रेन युद्ध से वैश्विक स्तर पर तनाव जैसी चुनौतियों को देखते हुए वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया गया है. इन कारणों से महामारी के बाद सेवा खपत में जो तेजी देखी जा रही थी, उस पर प्रतिकूल असर पड़ेगा.'

इसमें कहा गया है कि वृद्धि को निजी और सरकारी निवेश से समर्थन मिलेगा. सरकार ने व्यापार परिवेश में सुधार के लिये प्रोत्साहन और सुधारों की घोषणा की है. आर्थिक वृद्धि दर का ताजा अनुमान जनवरी में जताई गई संभावना के मुकाबले 1.2 प्रतिशत कम है. विश्वबैंक के अनुसार अगले वित्त वर्ष 2023-24 में आर्थिक वृद्धि दर और धीमी पड़कर 7.1 प्रतिशत रह जाने का अनुमान है.

ईंधन से लेकर सब्जी समेत लगभग सभी उत्पादों के दाम बढ़ने से थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में रिकॉर्ड 15.08 प्रतिशत पर पहुंच गई. वहीं खुदरा मुद्रास्फीति आठ साल के उच्चस्तर 7.79 प्रतिशत रही. ऊंची महंगाई दर को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.40 प्रतिशत बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया था। बुधवार को मौद्रिक नीति समीक्षा में इसमें और वृद्धि की संभावना है.

विश्वबैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2022 की पहली छमाही में वृद्धि दर के धीमा होने का कारण कोविड-19 के मामलों का बढ़ना रहा है. इसके कारण आवाजाही पर पाबंदियां लगाई गईं. इसके अलावा यूक्रेन युद्ध का भी असर हुआ है. पुनरुद्धार के रास्ते में बढ़ती मुद्रास्फीति प्रमुख चुनौती है.

इसमें कहा गया है कि बेरोजगारी दर घटकर महामारी-पूर्व के स्तर पर आ गई है. लेकिन श्रमबल की भागीदारी दर महामारी-पूर्व स्तर से अभी नीचे है. कामगार कम वेतन वाले वाले रोजगार में जा रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बुनियादी ढांचे में निवेश पर जोर है और श्रम नियमों को सरल बनाया जा रहा है. साथ ही कमजोर प्रदर्शन करने वाली सरकारी संपत्तियों का निजीकरण किया जा रहा है और 'लॉजिस्टिक क्षेत्र का आधुनिकीकरण और उसके एकीकृत होने की उम्मीद है. विश्वबैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास ने रिपोर्ट की भूमिका में लिखा है कि कई संकट के बाद दीर्घकालीन समृद्धि तीव्र आर्थिक वृद्धि के वापस आने और अधिक स्थिर तथा नियम आधारित नीति परिवेश पर निर्भर करेगी.
वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर के अनुमान को भी घटाया : विश्वबैंक ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए वृद्धि दर के अपने अनुमान को भी कम कर दिया है. वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर इस साल 2.9 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है. यह पिछले साल 2021 के 5.7 प्रतिशत और इस साल जनवरी में जताए गए 4.1 प्रतिशत की वृद्धि के अनुमान से कम है. विश्वबैंक ने अमेरिका के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 2.5 प्रतिशत कर दिया है. अमेरिका के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यस्था चीन की आर्थिक वृद्धि दर इस साल 4.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है जबकि पिछले साल यह 8.1 प्रतिशत थी.

पढ़ें- विशेषज्ञों की राय, मौद्रिक समीक्षा बैठक में रेपो दर में एक और वृद्धि करेगा RBI

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated :Jun 8, 2022, 11:49 AM IST
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