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यूएन में भारत की दो टूक- कश्मीर में पुनर्जीवित हुआ लोकतंत्र, पाक 'आतंक का केंद्र'

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Published : Sep 16, 2020, 7:18 AM IST

मानवाधिकार परिषद के 45वां सत्र
मानवाधिकार परिषद के 45वां सत्र

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 45वें सत्र में भारत ने पाक तुर्की व अन्य देशों को निशाने पर लिया. भारत ने पाक को आतंक का केंद्र बताते हुए कहा कि पड़ोसी देशों द्वारा लगातार मुश्किलें पैदा करने के बावजूद भारत ने कश्मीर में लोकतंत्र स्थापित किया है.यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि इंद्रमणि पांडे ने कई और मुद्दों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया.

जिनेवा : भारत ने संयुक्त राष्ट्र के मंच पर पाकिस्तान, तुर्की व अन्य देशों को निशाने पर लिया है. भारत ने कहा कि पड़ोसी देश द्वारा जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों को घुसपैठ कराने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पटरी से उतारने के लगातार कोशिशें की गईं. हालांकि, इसके बावजूद भारत ने यहां सामाजिक और आर्थिक विकास को गति दी है. भारत ने दो टूक कहा कि जम्मू-कश्मीर में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को पुनर्जीवित किया गया है.

भारत ने पाकिस्तान को 'आतंकवाद का केंद्र' बताते हुए कहा कि इस्लामाबाद किसी को अकारण मानवाधिकार पर व्याख्यान न दे क्योंकि उसने लगातार जातीय और हिंदुओं, सिखों और इसाईयों समेत अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित किया है.

यहां मानवाधिकार परिषद के 45वें सत्र में पाकिस्तान की ओर से की गई टिप्पणी पर जवाब देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए भारतीय प्रतिनिधि ने कहा कि झूठे और मनगढंत आरोप लगाकर अपने कुत्सित इरादों की पूर्ति करने के उद्देश्य से भारत को बदनाम करने की पाकिस्तान की आदत हो गई है.

भारतीय राजनयिक ने कहा कि न ही भारत को और न ही किसी अन्य को मानवाधिकार पर एक ऐसे देश से आख्यान सुनने की जरूरत है जो लगातार अपने जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करता रहा हो. यह आतंकवाद का केंद्र है, संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंधों की सूची में शामिल लोगों को पेंशन देने की इस देश की विशेषता है और इस देश के प्रधानमंत्री ने गर्व के साथ जम्मू-कश्मीर में लड़ाई के लिए हजारों आतंकवादियों को प्रशिक्षण देने की बात स्वीकारी है.

मानवाधिकार परिषद के 45वें सत्र में एक बहस के दौरान भारत के स्थायी प्रतिनिधि इंद्रमणि पांडे ने क्षेत्र के बारे में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख के बयान पर खेद व्यक्त किया. पांडे ने कहा कि भारत सभी मानवाधिकार को बरकरार रखने के लिए प्रतिबद्ध है.

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उन्होंने कहा कि देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता और देश के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देते हुए मानवाधिकार के एजेंडे और इस पर बहस निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से होनी चाहिए.

जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को 2019 में खत्म किए जाने का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इस बदलाव की वजह से केंद्रशासित क्षेत्र के लोग उन्हीं मूलभूत अधिकारों को हासिल कर रहे हैं, जो अधिकार भारत के अन्य हिस्सों के लोगों के लिए हैं.

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