नई दिल्ली: विगत एक महीने से NEET PG Counselling को लेकर सुप्रीम कोर्ट, सरकार और डॉक्टर्स के बीच चल रही रस्साकशी अब सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद खत्म हो गई है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने नीट पीजी एडमिशन मामले में जल्दी ही कुछ दिनों में कॉउंसलिंग की प्रक्रिया शुरू करने का फैसला लिया है, जिसके साथ ही देशभर के अस्पतालों में लगभग 45 हजार डॉक्टर जूनियर रेजिडेंट के तौर पर काम करने लगेंगे. कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सराहनीय माना जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि 2021-22 सेशन के लिए मौजूदा आरक्षण नीति के तहत ही नीट पीजी में छात्रों को दाखिला दिया जाएगा. साथ ही ईडब्ल्यूएस के 10 प्रतिशत छात्रों को भी दाखिले में फायदा मिलेगा, लेकिन इस मामले में मार्च में होने वाले डिटेल सुनवाई के बाद अंतिम फैसला लिया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से पूरे डॉक्टर समुदाय में हर्ष का माहौल है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद जिन डॉक्टरों के ऊपर काफी वर्क लोड था और कम मैन पावर कम होने की वजह से मरीजों की अच्छी देखभाल नहीं हो पा रही थी, उन्हें राहत मिली है.
फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष रोहन कृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि विगत एक महीने से नीट पीजी एडमिशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट, सरकार और डॉक्टर्स के बीच चल रही रस्साकशी खत्म हो गई है. अब 45000 डॉक्टर का एक नया बैच जल्दी ही अस्पतालों में काम करने लगेगा, जिससे ना सिर्फ वर्क लोड से परेशान रेजिडेंट डॉक्टर को राहत मिलेगी, बल्कि मरीजों की भी अच्छी देखभाल हो सकेगी. डॉक्टर की एकता काम आयी और सुप्रीम कोर्ट को फैसला देना पड़ा. डॉ रोहन कृष्णन ने सरकार से काउंसलिंग की तारीख और पूरा शेड्यूल तुरंत जारी करने की मांग की है, ताकि अस्पतालों में 45000 हेल्थ केयर वर्कफोर्स बढ़ सके और फिर हमारा ध्यान पेशेंट केयर एवं कोरोना के मरीजों के इलाज की तरफ होगा.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन जूनियर विंग के राष्ट्रीय जॉइंट जनरल सेक्रेटरी डॉक्टर शंकुल द्विवेदी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद देना चाहते हैं, क्योंकि काफी समय से लंबित पड़े NEET PG Counselling मुद्दे पर सुनवाई कर फैसला दे दिया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से NEET PG Counselling की प्रक्रिया पिछले कई माह से रुकी पड़ी हुई थी और इसको लेकर डॉक्टर सड़कों पर धरना प्रदर्शन करने को मजबूर हुए थे, वह कुछ ही दिनों में शुरू हो जाएगी. जहां एक तरफ इस फैसले से 45000 डॉक्टर को सेवा में आने का अवसर मिलेगा. वहीं दूसरी ओर इस फैसले का दूरगामी परिणाम चिंतित करने वाले हैं, क्योंकि अब आरक्षण लगभग 65 फ़ीसदी हो गया है. ऐसे में मेरिट में आने वाले छात्रों के साथ अन्याय होगा. ऐसे में यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि अब सामान्य वर्ग के असामान्य छात्रों के लिये भी पीजी में दाखिला लेना आसान नहीं होगा.
फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ अमित यादव ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि इस फैसले का इंतजार पूरे देश भर के रेजिडेंट डॉक्टर्स पिछले कई महीनों से कर रहे थे. कोरोना की तीसरी लहर एवं इसके बढ़ते मामले को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरीके से संवेदनशीलता दिखाते हुए फैसला दिया है वह काबिले तारीफ है. इसके लिए पिछले महीने भर से देशभर के रेजिडेंट डॉक्टर सड़कों पर धरना प्रदर्शन कर रहे थे. अब जल्दी ही काउंसलिंग की प्रक्रिया शुरू होगी और देशभर के अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टर्स का एक पूरा बैच आएगा, जिससे कोरोना मरीजों के इलाज में आसानी होगी.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत एप