नई दिल्लीः कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच पोस्ट कोविड कॉम्प्लिकेशन से लोग परेशान हो रहे हैं. दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल में पोस्ट कोविड कॉम्पलिकेशन को लेकर पिछले वर्ष को तरह इस बार भी एक अजीब तरह के फंगल इन्फेक्शन देखने को मिला है, जो बेहद ख़तरनाक है. गंगा राम हॉस्पिटल के सीनियर ईएनटी सर्जन डॉक्टर मनीष मुंजाल ने पोस्ट कोविड कॉम्पलिकेशन फंगल इंफेक्शन की स्टडी की है.
डॉक्टर मुंजाल बताते हैं कि यह इन्फेक्शन काफी जानलेवा होती है. इसमें आंखों की रोशनी चली जाती है. पिछले साल दिसंबर में 15 दिनों के भीतर ही गंगा राम हॉस्पिटल में इस तरह के 13 मामले सामने आये थे, जिनकी आंखों की रोशनी चली गई. इंफेक्शन की वजह से मरीज की नाक और जबड़े की हड्डियों को बाहर निकालना पड़ा. डॉक्टर मुंजाल के मुताबिक, इस फंगल इन्फेक्शन की मृत्यु दर 50 फीसदी है. यह इन्फेक्शन आंख या दिमाग तक पहुंच जाता है, तो मरीज की मौत निश्चित होती है. इस तरह के इन्फेक्शन का इतना खतरनाक रूप कभी भी सामने नहीं आया था, लेकिन कोरोना इन्फेक्शन से बाहर आए लोगों में यह एक सामान्य इन्फेक्शन के तौर पर सामने आ रहा है.
ये भी पढ़ेंःकेंद्र सरकार का वैक्सीन बजट ₹35 हजार करोड़, खर्च मात्र ₹4,744 करोड़
सिर्फ एक सप्ताह में ही बिगड़ गया हुलिया
डॉ. मुंजाल ने एक मरीज की केस स्टडी के बारे में बताया कि पश्चिमी दिल्ली के रहने वाले 32 वर्षीय एक शख्स की जिंदगी आसान चल रही थी. पिछले वर्ष 20 नवंबर को जब, उन्हें हल्का बुखार आया, तो उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन परिवार वालों की चिंता की वजह से, जब उन्होंने जांच करवाया, तो वह कोरोना पॉजिटिव निकले. इनके मामले में चिंता की बात इसलिए थी, क्योंकि माइल्ड डायबिटीज से वह पहले से पीड़ित थे. 4 दिनों तक उनका बुखार नहीं उतरा. इसके बाद उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगी. उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया. एंटीवायरल ड्रग, एस्ट्राइड, ऑक्सीजन सपोर्ट और दूसरे तरह की सप्लीमेंट्स, उन्हें दी जाने लगी. 7 दिनों के बाद कोविड टेस्ट निगेटिव होने पर, उनकी स्थिति सामान्य हुई, तो उन्हें हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया.
दो दिनों के बाद राजेश ब्लैक फंगल इन्फेक्शन से पीड़ित हो गए
कुछ दिनों के बाद राजेश का पोस्ट कोविड इन्फेक्शन शुरू हो गया. नाक के एक हिस्से में बलगम जमा हो गया. दो दिनों के भीतर ही आंखों में सूजन होने लगी. उन्हें डॉक्टर के पास जाना पड़ा. एंटी वायरल और एंटीबायोटिक्स की दवाई देने के बावजूद, उनकी तबीयत में कोई खास सुधार नहीं हुआ. जल्दी ही, जिस आंख में सूजन थी, उसकी रोशनी जाने लगी. चेहरे का बायां हिस्सा पूरी तरह से संवेदनहीन हो गया. जब जांच किया गया, तो उनकी आंखों में खतरनाक फंगस म्यूकोर पाया गया. जब एमआरआई जांच की गई, तो पता चला कि फंगस ने पहले ही उनकी बाईं आंख के ऊपरी जबड़े की मांसपेशियों और हड्डियों को गला दिया था. इतना ही नहीं, आंखों के रास्ते दिमाग तक रास्ता भी बना लिया था.
तत्काल लाइफ सेविंग एंटी फंगल उपचार से बची जान
ईएनटी डिपार्टमेंट के सर्जन ने तत्काल लाइफ सेविंग एंटीफंगल उपचार शुरू किया.अगले दो हफ्ते तक क्रिटिकल केयर में उन्हें रखा गया. दो हफ्ते में इस खतरनाक फंगल इन्फेक्शन से वह बाहर आ गये, लेकिन चेहरा बुरी तरह से खराब हो गया.
नया इन्फेक्शन नहीं
म्यूकॉमिकॉसिस एक काला फंगस है, जो ट्रांसप्लांट किए हुए मरीजों की मृत्यु का कारण बनता है, लेकिन कोरोना से ठीक हुए मरीजों में ब्लैक फंगल इंफेक्शन, अब बड़ी मात्रा में देखा जा रहा है, जो वाकई बेहद चिंता का विषय है.
गंगाराम हॉस्पिटल में पांच मरीजों की हुई थी मौत
बता दें कि सर गंगा राम हॉस्पिटल के ईएनटी डिपार्टमेंट में पिछले साल 15 दिनों में 13 ऐसे मरीजों का इलाज किया गया था, जो फंगल इन्फेक्शन से पीड़ित रहे थे. इनमें से 50 फ़ीसदी मरीजों के आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई और 5 मरीजों को क्रिटिकल केयर सपोर्ट देने की जरूरत पड़ी और पांच ऐसे दुर्भाग्यशाली मरीज थे, जिनकी इस खतरनाक फंगल इन्फेक्शन की वजह से मौत हो गई.
शुरुआती लक्षणों को पहचानकर बचाई जा सकती है जान
गंगाराम हॉस्पिटल के ईएनटी डिपार्टमेंट के सीनियर सर्जन डॉक्टर मनीष मुंजाल ने बताया कि अगर फंगल इन्फेक्शन को समय रहते पहचान लिया गया, तो मरीज की जान बचाई जा सकती है. उनके चेहरे को खराब होने से बचा जा सकता है. इसके शुरुआती लक्षण नाक बंद होना, आंखों या गाल में में सूजन आना और नाक में कफ का जमना है. इनमें से कोई भी लक्षण दिखे, तो सतर्क हो जाना चाहिए. बायोप्सी टेस्ट के बाद तत्काल एंटीफंगल थेरेपी की शुरुआत कर देनी चाहिए.