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प्रशांत कर्माकर निलंबन केस: प्रतिवादी वकील के पेश ना होने से हाईकोर्ट की सुनवाई टली

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Published : Sep 24, 2020, 3:56 PM IST

Prashant Karmakar suspension case
प्रशांत कर्माकर निलंबन केस

पैरा स्वीमर प्रशांत कर्माकर की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि कर्माकर ने पीसीआई में आर्थिक गड़बड़ियों, भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन को सामने लाने की कोशिश की, जिसकी सजा के तौर पर उनके खिलाफ प्रतिबंध लगाया गया. पीसीआई ने 7 फरवरी, 2018 को कर्माकर को तीन साल के लिए निलंबित किया है.

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट में आज अर्जुन अवार्डी और पैरा स्वीमर प्रशांत कर्माकर की याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकी. पैरा स्वीमर प्रशांत कर्माकर को पैरालंपिक कमेटी ऑफ इंडिया (पीसीआई) की ओर से तीन साल के लिए निलंबित किया गया है. इस फैसले को कर्माकर ने चुनौती दी है. आज इस मामले की सुनवाई के दौरान प्रतिवादी उपस्थित नहीं हुए, जिसके बाद जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने 13 अक्टूबर को सुनवाई करने का आदेश दिया.

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44 अंतरराष्ट्रीय और 74 राष्ट्रीय मेडल जीत चुके हैं कर्माकर

याचिका में कहा गया है कि पैरालंपिक कमेटी की अनुशासन समिति को ये अधिकार नहीं है कि कर्माकर को निलंबित करे. याचिकाकर्ता की ओर से सत्यम सिंह राजपूत और अमित कुमार शर्मा ने कहा है कि प्रशांत कर्माकर ने 44 अंतरराष्ट्रीय और 74 राष्ट्रीय मेडल जीते हैं. कर्माकर एक प्रशिक्षित कोच हैं, जिन्होंने रियो पैरालंपिक 2016 में भारत का कोच के रूप में प्रतिनिधित्व किया था.

पीसीआई ने 7 फरवरी, 2018 को कर्माकर को तीन साल के लिए निलंबित करते हुए स्वीमिंग के किसी भी इवेंट में भाग लेने पर रोक लगा दी थी. याचिका में कहा गया है कि पीसीआई का ये फैसला मनमाना और गैरकानूनी है. याचिका में कहा गया है कि पीसीआई ने कर्माकर के खिलाफ बेबुनियाद और झूठे आरोप लगाकर कार्रवाई की है.

गड़बड़ियों को सामने लाने की सजा मिली

याचिका में कहा गया है कि कर्माकर ने पीसीआई में आर्थिक गड़बड़ियों, भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन को सामने लाने की कोशिश की, जिसकी सजा के तौर पर उनके खिलाफ प्रतिबंध लगाया गया. पीसीआई की अनुशासनात्मक कमेटी ने नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का पालन नहीं किया और साक्ष्यों पर गौर नहीं किया. अनुशासनात्मक कमेटी ने शिकायतकर्ता के क्रॉस-एग्जामिनेशन की अनुमति भी नहीं दी और सरसरी तौर पर कर्माकर को दोषी करार दिया. यहां तक कि कर्माकर को शिकायत की प्रति तब दी गई जब सारी अनुशासनात्मक प्रक्रिया पूरी हो गई.

बिना चुनाव चेयरमैन के पद पर कैसे हैं वीके डबास

याचिका में बिना चुनाव हुए पैरालंपिक स्वीमिंग ऑफ पीसीआई के चेयरमैन के पद पर वीके डबास के बने रहने पर सवाल उठाया गया है. याचिका में कहा गया है कि वीके डबास कैसे स्वयं को कोच के पद पर नियुक्त कर सकते हैं. इस सबके खिलाफ आवाज उठाने को सकारात्मक तौर पर नहीं लिया गया और अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए कर्माकर के खिलाफ कार्रवाई की गई.

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