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Pitru Paksha 2021: ऐसे करें श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान, जानिए इसका विधान और नियम

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Published : Sep 28, 2021, 7:13 AM IST

पितृ पक्ष में देश भर के अलग-अलग तीर्थ स्थानों पर लोग पितरों का श्राद्ध करने के लिए पहुंच रहे हैं. मान्यता है कि पितृ पक्ष में श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. श्राद्ध के जरिए पितरों को भोजन दिया जाता है. वहीं पिंडदान व तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है.

routin during shradh paksha
श्राद्ध पक्ष पर ये हो दिनचर्या ...

नई दिल्ली: कहते हैं कि अगर आप पितृ पक्ष में दान-पुण्य करते हैं तो आपके पूर्वज प्रसन्न रहते हैं. उनकी विशेष कृपा आप पर बनी रहती है. शारदीय नवरात्र के प्रारम्भ होने से पहले के 16 दिन पितरों का दिन होता है. पितृपक्ष के दिनों में लोग सभी शुभ कार्य छोड़कर अपने-अपने पूर्वजों को जलांजलि देते हैं. स्नान करने के बाद उनका ध्यान करते हैं. घर के जो ज्येष्ठ पुत्र अथवा अनुज पुत्र अपने मृतक मां-बाप को जल देते हैं.

श्राद्ध पक्ष के दिन ऐसी दिनचर्या होनी चाहिए

पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध करने और तर्पण देने का विशेष महत्व होता है. पितरों का तर्पण करने का मतलब उन्हें जल देना होता है. इसके लिए प्रतिदिन सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर तर्पण की सामग्री लेकर दक्षिण की ओर मुंह करके बैठ जाएं. सबसे पहले अपने हाथ में जल, अक्षत, पुष्प लेकर दोनों हाथ जोड़कर अपने पितरों को ध्यान करते हुए उन्हें आमंत्रित करें. खासकर नदी के किनारे तर्पण करना विशेष महत्व रखता है. इस दौरान अपने पितरों को नाम लेते हुए उसे जमीन में या नदी में प्रवाहित करें. साथ ही अपने पितरों से सुख समृद्धि का आशीर्वाद भी प्राप्त करें.

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दोनों हाथ की अनामिका उंगली में पवित्री धारण करके जल में चावल, जौ, दूध, चंदन, तिल मिलाकर पूर्वजों का विधिवत तर्पण करना चाहिए. इस क्रिया से पूर्वजों को परम शांति मिलती है. तर्पण के बाद पूर्वजों के निमित्त पिंड दान करना चाहिए. पिंडदान के उपरांत गाय, ब्राह्मण, कौआ, चींटी या कुत्ता को भोजन कराना चाहिए.

पितृपक्ष में मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध किया जाता है, जिस तिथि पर जिस व्यक्ति की मृत्यु हुई है, उसी तिथि पर उस व्यक्ति का श्राद्ध किया जाता है. अगर, मृत्यु की तिथि के बारे में जानकारी नहीं होती है, तो ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति का श्राद्ध अमावस्या तिथि पर किया जाता है. इस दिन सर्वपितृ श्राद्ध योग माना जाता है. पितरों के श्राद्ध के दिन अपने यथाशक्ति के अनुसार ब्राह्मणों को भोज खिलाकर दान पुण्य करें. इसके अलावा भोजन को कौओं और कुत्तों को भी खिलाएं.

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