नई दिल्ली: राजधानी में कोरोना के मामले भले ही कम हो रहे हो, लेकिन दूसरी तरफ कंटेनमेंट जोन लगातार बनाए जा रहे हैं जिसमें सात दिन के सील किए जाने का नियम है. लेकिन इस नियम को लेकर लोग अब सवाल उठा रहे हैं
लोगों का कहना है कि रिपोर्ट मिलने के कई दिन बाद आकर सील की कार्रवाई की जाती है, जिसकी वजह से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. खासतौर पर निजी नौकरी करने वालों को इस कारण से दिक्कतें हो रही हैं. लोगों का आरोप है कि कोविड-की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर प्रशासन को जानकारी देने के कई दिन बाद वह यहा आकर सप्ताह भर के लिए जगह को सील कर जाते हैं. जबकि कायदे से देखा जाए तो जिस दिन रिपोर्ट पॉजिटिव आती है उसी दिन से सील की कार्रवाई करनी चाहिए.लेकिन विभाग द्वारा ऐसा नहीं किया जाता.
सील की कार्रवाई या कोरेंटिन की अवधि सात दिन की होती है, वह इस लापरवाही के कारण कई बार 10 या इससे अधिक दिन की हो जाती है. लोग इस बात को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री पर भी तंज कस रहे हैं. उनका कहना है कि मुख्यमंत्री जब पॉजिटिव आए तो वह महज पांच दिन में ही अपने घर से बाहर निकलने लगे थे. लेकिन दिल्ली के आम लोगों के हितों की बात करने वाले आम आदमी पर इस तरह की कार्रवाई कहां से उचित है.
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लोग इस बात को लेकर सरकार पर सवाल उठा रहे हैं कि जिन लोगों के रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, वह अपने घर में कोरेंटिन होकर सब कुछ अलग तरह से करते हैं, बावजूद इसके इस तरह की लापरवाही कई परिवारों पर रोजी-रोटी का संकट भी पैदा कर रही हैं, क्योंकि निजी नौकरी में एक तो जल्दी से छुट्टी नहीं मिलती और अगर छुट्टी मिलती भी है तो उसके पैसे काटे जाते हैं.