नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली के दक्षिण-पश्चिम स्थित द्वारका को बेहद खास तरीके से बसाया गया है. दिल्ली के अन्य इलाकों की तुलना में द्वारका में बेहतर सड़कें बनाई गई हैं. दिल्ली सरकार ने इसे बेहद खास डिजाइन के तहत बनाया है. इस प्रोजेक्ट में अरबों रुपये खर्च भी हुए हैं. बरसात के सीजन ने सरकार के इस प्रोजेक्ट की पोल खोल कर रख दी है. बरसात में द्वारका के हालात किसी जलमहल से कम नहीं हैं. द्वारका के हर इलाके में जलभराव और गड्ढों की समस्या से यहां के लोग परेशान हैं.
द्वारका में रहने वाले लोगों का कहना है कि यहां की सड़कों पर गड्ढे हैं. सड़क पर चलते समय यह कहना मुस्किल होता है कि सड़क में गड्ढे हैं या गड्ढों में सड़क है. बारिश के मौसम में ये गड्ढे पानी से पूरी तरह से ढंक जाते हैं, जो हादसों का न्योता देते हैं. द्वारका में अचानक जमीन धंसने से गड्ढे हो रहे हैं, जो लोगों की परिशानियों की वजह बने हुए हैं.
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द्वारका की समस्याओं को उठाने वाले द्वारका फोरम के प्रेसिडेंट का कहना है कि द्वारका में अलग-अलग एजेंसियां काम करती हैं, जिस वजह से यहां के हालात ऐसे हैं. कोई एक एजेंसी हो जो नोडल हो, तो समस्या का समय पर समाधान हो सकता है. द्वारका जब तक इन एजेंसियों में बंटी रहेगी तब तक समस्याओं का समाधान नहीं होगा. द्वारका में DDA, MCD और जल विभाग के फेर में फंसी हुई है. तीन एजेंसियां होने के कारण द्वारका की समस्याओं का सही समाधान नहीं हो पा रहा है.