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कालकाजी मंदिर के धर्मशालाओं में रह रहे पुजारियों को छह जून तक हटने का आदेश

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Published : Jun 2, 2022, 10:31 AM IST

कोर्ट का आदेश
कोर्ट का आदेश

15 जनवरी को हाईकोर्ट ने कालकाजी मंदिर के रिडेवलपमेंट पर सुनवाई करते हुए चेतावनी दी थी कि अगर नवीनीकरण सही ढंग से देखना चाहते हैं तो अवैध कब्जे छोड़ने ही होंगे.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कालकाजी मंदिर परिसर में बने धर्मशालाओं में रह रहे पुजारियों और बारादरियों को 6 जून तक खाली करने का आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने पुजारियों और बारादरियों की ओर से मंदिर के रिडेवलपमेंट के लिए हामी भरने के बाद जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच ने ये आदेश दिया. इसके पहले कोर्ट ने मंदिर परिसर स्थित अनाधिकृत झुग्गियों और धर्मशालाओं में रहने वाले लोगों को हटाने का आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि मंदिर परिसर में 142 झुग्गियां और 46 धर्मशालाएं हैं. कोर्ट ने इन झुग्गियों और धर्मशालाओं में अनाधिकृत रूप से रह रहे लोगों को हटाने की प्रक्रिया में सहयोग करने का निर्देश दिया था.

15 जनवरी को हाईकोर्ट ने कालकाजी मंदिर के रिडेवलपमेंट पर सुनवाई करते हुए चेतावनी दी थी कि अगर नवीनीकरण सही ढंग से देखना चाहते हैं तो अवैध कब्जे छोड़ने ही होंगे. जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच ने एक दुकानदार राधेश्याम को नोटिस जारी कर पूछा था कि उन्होंने आदेश के बावजूद दुकान खाली क्यों नहीं की.
सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि सिर्फ एक दुकानदार को छोड़कर बाकी सभी दुकानें खाली करवा ली गई हैं. धर्मशालाओं में अभी भी लोग बसे हुए हैं और जगह खाली करने को तैयार नहीं हो रहे हैं. उनमें से कुछ मंदिर के पुजारी भी हैं. तब कोर्ट ने कहा था अगर नवीनीकरण सही ढंग से देखना चाहते हैं तो अवैध कब्जे छोड़ने ही होंगे। उसके बाद कोर्ट ने राधेश्याम नामक दुकानदार को नोटिस जारी किया.

दिसंबर 2021 की शुरुआत में कोर्ट ने मंदिर परिसर में दुकानदारों की ओर से किए गए अनाधिकृत अतिक्रमण को हटाने और श्रद्धालुओं के लिए पेयजल की व्यवस्था के लिए दिशानिर्देश जारी किया था. कोर्ट ने कहा था कि मंदिर परिसर के दुकानदारों ने वहां अपना रिहायशी ठिकाना भी बना लिया है जिसे खाली कराने की जरुरत है. कोर्ट ने मंदिर के रोजाना के कामकाज की देखरेख के लिए नियुक्त प्रशासक को निर्देश दिया था कि वो पहले के आदेश के मुताबिक मंदिर परिसर में अनाधिकृत कब्जाधारियों से कब्जा खाली कराएं. कोर्ट ने रिसीवर को निर्देश दिया था कि वो अवैध कब्जे को खाली कराने की कार्रवाई शुरू करें. कोर्ट ने मंदिर के लिए नियुक्त आर्किटेक्ट को निर्देश दिया था कि वो पूरे मंदिर परिसर का सर्वे करें और ये सुझाव दें कि क्या मंदिर के रिडेवलपलेंड के लिए बनी योजना के पूरा होने तक वर्तमान दुकानदारों को वैकल्पिक स्थान पर शिफ्ट किया जा सकता है.

बता दें कि 22 सितंबर 2021 को हाईकोर्ट ने कालकाजी मंदिर की व्यवस्था का काम देखने के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस एआर मिधा को प्रशासन नियुक्त किया था. कोर्ट ने कहा था कि प्रशासक श्रद्धालुओं, बारीदारों की सुरक्षा और मंदिर की पवित्रता बनाये रखने के लिए सभी जरुरी कदम उठाएंगे. प्रशासक के सहयोग के लिए कोर्ट ने मनमीत अरोड़ा की लोकल कमिश्नर के रुप में नियुक्ति की थी. कोर्ट ने प्रशासक को एक सचिव सह कोषाध्यक्ष नियुक्त करने का निर्देश दिया था जो प्रशासक के रोजाना के कामों में मदद करेंगे.

महिला पुजारी बनने और मंदिर में आने वाले चढ़ावे के मामले पर सुनवाई करते हुए रोजाना मिलने वाले चढ़ावों पर नजर रखने के लिए रिसीवर नियुक्त किया है. हाईकोर्ट ने मंदिर के वर्तमान पुजारी की इस दलील को खारिज कर दिया जिन्होंने कहा था कि कोई महिला पूजा का काम नहीं करवा सकती है. कोर्ट ने कहा था कि प्रशासक मंदिर परिसर में अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई करेंगे. अगर कोई मंदिर परिसर में अपने कब्जे का दावा करेगा तो वो प्रशासक के द्वारा तय किया जाएगा. प्रशासक उन लोगों की मदद करने के लिए दक्षिणी दिल्ली नगर निगम और डूसिब को निर्देश जारी करेगा जिन्हें पुनर्वास की जरुरत हो. प्रशासक अतिक्रमणों को हटाने की कार्रवाई का निरीक्षण करेंगे. अतिक्रमण हटाने के बाद नगर निगम और फायर विभाग को बैरिकेडिंग और दीवाल खड़ा करने का निर्देश देंगे ताकि मंदिर का परिसर सुरक्षित हो सके.

दरअसल, मंदिर के मुख्य पुजारी के वारिसों के बीच मंदिर में पूजा कराने को लेकर विवाद चल रहा था. मुख्य पुजारी की दो बेटियों शशिबाला और विजयलक्ष्मी और एक बेटे सत्यदेव के बीच विवाद है. 2003 में ट्रायल कोर्ट ने शशिबाला और विजयलक्ष्मी को राहत देते हुए चढ़ावे का हिस्सा देने का आदेश दिया था. 2003 तक पुजारी के भाई ने मंदिर में पूजा कराने के अधिकार से बहनों को दूर रखा था. कालकाजी मंदिर के इतिहास में कभी कोई महिला पुजारिन नहीं बनाई गई. पूजा कराने के लिए बाजाप्ता टेंडर होता है. मंदिर के मुख्य पुजारी के वारिसों के बीच मंदिर में पूजा कराने को लेकर विवाद चल रहा था. मुख्य पुजारी की दो बेटियों शशिबाला और विजयलक्ष्मी और एक बेटे सत्यदेव के बीच विवाद है.

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