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राजधानी में हत्याओं के आंकड़े चौंकाने वाले, छोटी-छोटी बातों में ऐसे कर दिया जाता है कत्ल

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Published : Sep 24, 2021, 8:20 PM IST

शुक्रवार को राजधानी के रोहिणी कोर्ट में जो तस्वीर देखने को मिली, यकीनन उसे देखकर कोई भी दहशत में आ सकता है, लेकिन जब आप राजधानी की कुंडली देखेंगे तो आप और भी ज्यादा हैरान होंगे. यहां किस कदर छोटी-छोटी बातों में एक दूसरे का खून बह रहा है, आज हमारी ये विशेष रिपोर्ट आपको बता रही है.

दिल्ली में बढ़ रहे अपराध
दिल्ली में बढ़ रहे अपराध

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में लोगों के बीच छोटे-छोटे विवाद जानलेवा बन रहे हैं. एनसीआरबी के आंकड़ों से यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. इसमें बताया गया है कि दिल्ली में वर्ष 2020 में हुई लगभग 25 फीसदी हत्याओं को छोटे-छोटे विवाद के चलते अंजाम दिया गया. ऐसी हत्याओं की संख्या 106 रही है. कहीं पर पानी के विवाद में हत्या हुई तो कहीं पारिवारिक झगड़े में हत्या कर दी गई.

जानकारी के अनुसार, दिल्ली में साल 2018 में जहां हत्या की 513 घटनाएं हुई थीं. वहीं 2019 में हत्या की 521 वारदातों को अंजाम दिया गया था. साल 2020 में हत्या के मामलों में लगभग 10 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई.

मामूली विवाद में 106 हत्याएं

एनसीआरबी के डाटा के अनुसार साल 2020 में कुल 472 हत्याओं को दिल्ली में अंजाम दिया गया. इनमें से 53 हत्याएं अकेले दंगे के कारण 24 और 25 फरवरी 2020 को अंजाम दी गई थी.

हत्याओं के कारण
हत्याओं के कारण

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साल 2020 में हत्या की वारदातें कम हुई हैं, लेकिन पुलिस के लिए चिंता का विषय मामूली विवाद में होने वाली हत्याएं हैं. साल 2020 में छोटे-छोटे विवाद में हत्या की 106 वारदातों को अंजाम दिया गया है. ऐसी हत्याओं को रोकना पुलिस के लिए भी संभव नहीं है, क्योंकि यह किसी पेशेवर अपराधी द्वारा अंजाम नहीं दी गई हैं.

हत्या की वजह संख्या
हत्या की वजह संख्या



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दिल्ली पुलिस के पूर्व एसीपी वेदभूषण ने बताया कि कई बार छोटी-छोटी बातों पर लोग अपना आपा खो बैठते हैं. सड़क पर चलते समय गाड़ी के छू जाने को लेकर विवाद हो या पानी भरने को लेकर विवाद. आपा खोने पर लोग खून के प्यासे हो जाते हैं और हत्या जैसी जघन्य वारदात को अंजाम दे बैठते हैं. उन्हें पता ही नहीं चलता कि गुस्से में उनसे कितना बड़ा अपराध हो गया.

किस उम्र में कितनी हत्या
किस उम्र में कितनी हत्या
हत्या के कारण
हत्या के कारण

उन्हें बाद में अपने किए पर पछतावा होता है क्योंकि हत्या में उम्रकैद से लेकर फांसी तक की सजा का प्रावधान है. उन्होंने बताया कि सुनियोजित हत्या के लिए साजिश रची जाती है और ऐसी हत्याओं को रोकना पुलिस के लिए संभव होता है, लेकिन अचानक झगड़े में हुई हत्या को रोकना नामुमकिन होता है.

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