नई दिल्ली: यमुना में जलस्तर बढ़ा तो खादर इलाके में खेती-बाड़ी करके अपनी जीविका चलाने वाले लोगों का जीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है. अब तो चंद घंटों में हालात और ज्यादा बदल जाएंगे. यहां मौजूद झुग्गियां पानी में डूब चुकी हैं. देर रात तक बाकी बची झुग्गियों के भी इसी तरह से पानी की चपेट में आने के आसार हैं. कुछ लोगों ने खादर में कुछ फसल भी लगाई हुई थी, जो बाढ़ के पानी से पूरी तरह से तहस नहस हो गई है.
बाढ़ से जनजीवन बुरी से प्रभावित
यमुना में बढ़े जलस्तर के बाद बाढ़ के खतरे को देखते हुए भले ही यहां के लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया हो. लेकिन यहां खादर में रहने वालों का जनजीवन पूरी तरह से प्रभावित हो गया है. आईएसबीटी पुल के ठीक नीचे मौजूद यमुना खादर के इलाके में सैंकड़ों झुग्गियां थीं. कल रात तो यहां के हालात सामान्य थे. लेकिन सुबह होते-होते बाढ़ के पानी ने दर्जनों झुग्गियों को खुद में समा लिया.
अचानक पानी का बहाव बढ़ गया और लोगों ने यहां से भाग कर किसी तरह खुद को तो बचा लिया, लेकिन वे अपना सामान वहां से नहीं निकाल सके.
लोगों की फसलें हो गईं बर्बाद
खादर इलाके में करीब पचास साल से रहने वाले लोगों में से कईयों ने तो यहां खेती का काम शुरू कर दिया था और वे बाकायदा किसानी करने लगे थे. मूली की फसल पूरी तरह से तैयार थी. जबकि गोभी की बुआई की जा रही थी और बाढ़ के पानी ने उनकी पूरी की पूरी फसलें ही निगल ली.
'निकले कोई स्थायी समाधान'
खादर में हजारों की संख्या में लोग रहते हैं. स्थानीय लोगों का कहना था कि यमुना में पानी बढ़ जाने से हर एक दो साल में बाढ़ आती है और हमें इस समस्या से हर बार दो-चार होना पड़ता है. लेकिन कोई भी स्थाई समाधान नहीं होता. नतीजतन स्थिति वही बनी रहती है.
पानी के जाने का इंतजार
जैसे-जैसे बाढ़ का पानी बढ़ता जा रहा है, वैसे ही यहां के लोग भी धीरे-धीरे खादर से बाहर की तरफ निकलने लगे हैं. लोग अपना सामान झुग्गियों से निकालकर ऊपर सुरक्षित टेंट में रख रहे हैं. लेकिन सामान टेंट में रखने के बाद वे वापस अपनी झुग्गी के आगे आकर बैठ जाते हैं और पानी के वापस जाने का इंतजार करते हैं.