नई दिल्ली : जहांगीरपुरी में पिछले कुछ दिनों से बड़े स्तर पर सामने आ रही अवैध अतिक्रमण की तस्वीरों के बाद बुधवार को नगर निगम ने जहांगीरपुरी में विशेष डिमोलिशन ड्राइव चलाई. इसमें जहांगीरपुरी में हिंसा ग्रस्त क्षेत्र के अंदर बड़ी संख्या में अवैध दुकानें तोड़ी गईं. हालांकि बाद में कोर्ट के आदेश के बाद यह कार्रवाई रोकी गई. स्थानीय लोगों ने इसका विरोध जताते हुए कहा कि निगम ने बिना कोई नोटिस दिए यह कार्रवाई की. यह पूरी ड्राइव बदले की भावना से चलाई गई है.
16 अप्रैल को हनुमान जयंती के दिन जहांगीरपुरी में दो गुटों के बीच हिंसक झड़प के बाद राजधानी दिल्ली में माहौल पूरी तरीके से गरमाया हुआ है, जिसकी तपिश राजधानी दिल्ली के सियासी गलियारों में महसूस की जा रही है. इस बीच जहांगीरपुरी में हुई हिंसा के बाद जो पूरे क्षेत्र की तस्वीरें सामने आई थीं उसमें बड़े स्तर पर अवैध अतिक्रमण की बात उभर कर सामने आई, जिसने बड़े विवाद का रूप ले लिया था. इसके बाद नॉर्थ एमसीडी ने जहांगीरपुरी में विशेष डिमोलिशन ड्राइव अवैध अतिक्रमण के विरोध में चलाई. कुशल सिनेमा चौक के पास जो पूरा हिंसा ग्रस्त इलाका है, वहां पर बड़ी संख्या में डिमोलिशन ड्राइव चलाई गई और अवैध अतिक्रमण को तोड़ा गया.
नगर निगम के डिमोलिशन ड्राइव चलाए जाने के बाद स्थानीय लोगों ने अपना दुख-दर्द बयां करते हुए कहा कि निगम के अवैध अतिक्रमण के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई को लेकर उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया था. महज आधा घंटा पहले जानकारी दी गई थी और उसके बारे में भी आधा-अधूरा बताया गया था. अगर सही जानकारी पहले दी गई होती तो वह अपना सामान पहले ही हटा लेते. वहीं दूसरी तरफ डिमोलिशन ड्राइव में गणेश कुमार गुप्ता की कुशल सिनेमा चौक स्थित DDA की अलॉट की गई दुकान को भी नगर निगम ने अवैध अतिक्रमण के चलते तोड़ दिया. गणेश कुमार गुप्ता ने बताया कि सन 1977 में DDA के ने 40 हजार रुपये पेमेंट करने के बाद अलॉट की गई थी. उसके उन्होंने कागज भी निगम कर्मचारी और दिल्ली पुलिस के अधिकारियों को दिखाए, लेकिन किसी ने भी उनकी बात नहीं सुनी और उनकी दुकान तोड़ दी गई. उन्होंने यह भी कहा कि अधिकारियों और पुलिस को उन्होंने यह बताया था कि सुप्रीम कोर्ट ने अवैध अतिक्रमण तोड़ने की कार्रवाई पर रोक लगा दी है. अब गणेश पूरे मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जाने की बात कर रहे हैं. उनका कहना है कि इसमें उन्हें पांच लाख रुपये का नुकसान हो गया है.
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डिमोलिशन के पीड़ित अकबर जहांगीरपुरी क्षेत्र में ही रहते हैं. उन्होंने बातचीत के दौरान बताया कि वह अपने घर के बाहर एक छोटी सी अस्थाई दुकान लगाते थे, जिसमें एक फ्रिज और कुछ सामान था, लेकिन डिमोलिशन से पहले उन्हें किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं दी गई. उन्हें बताया गया था जिन्होंने सड़क पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है, उनके खिलाफ की कार्रवाई की जाएगी. लेकिन कार्रवाई के दौरान उनकी दुकान पूरी तरीके से तोड़ दी गई, जिससे उन्हें 70 से 80 हजार तक का नुकसान हुआ है. अब उनके परिवार का गुजर-बसर कैसे होगा. इस पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.