नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली समेत पूरे देश में कोरोना का कहर लगातार बढ़ रहा है. दिल्ली में 26,000 के आसपास नए केस सामने आए हैं. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली सरकार ने 1 सप्ताह का संपूर्ण लॉकडाउन लगाने का निर्णय लिया है. ऐसे में अस्पतालों में भी बेड की संख्या काफी कम हो गई है. ऐसी परिस्थिति में क्या करना चाहिए? सर गंगा राम हॉस्पिटल के रिमिटोलॉजिस्ट डॉ वेद चतुर्वेदी आर्मी हॉस्पिटल में रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल हैं, वह बता रहे हैं कि जब अस्पतालों में बेड न मिले तो क्या करना चाहिए.
डॉ वेद चतुर्वेदी बताते हैं कि पिछले एक सप्ताह से काफी लोग उनके पास कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए बेड की मांग लेकर आते हैं, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगती है, क्योंकि अस्पतालों में बेड्स नहीं हैं. ऐसे में अगर आपको बेड्स न मिलें तो क्या करना चाहिए ? ऐसी परिस्थिति में आपके लिए होम हॉस्पिटलाइजेशन एक बेहतर उपाय हो सकता है. डॉ वेद बताते हैं कि आइडियल सिचुएशन यह है कि अगर आप की तबीयत ज्यादा खराब है तो आपको हॉस्पिटल में एडमिट होना चाहिए, लेकिन अगर हॉस्पिटल में बेड उपलब्ध नहीं हैं तो अपने घर को ही हॉस्पिटल बना लीजिए.
हल्के लक्षणों में घर पर ही हो सकते हैं ठीक
अगर कोरोना का आपको हल्का लक्षण है या बिना लक्षणों वाला कोरोना है तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है. घर पर रहकर ही एक सप्ताह में आप ठीक हो सकते हैं, लेकिन अगर आप की बीमारी अधिक है संक्रमण ज्यादा फैल गया है. सांस लेने में तकलीफ बढ़ गई है. ऑक्सीजन का सैचुरेशन 94 से नीचे आ गया है तब आपको हॉस्पिटल में एडमिट होने की जरूरत होती है. इसके लिए जरूरी है कि आपके पास पल्स ऑक्सीमीटर हो ताकि आप अपने शरीर में आपने ब्लड में ऑक्सीजन की मात्रा को देख सकें.
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ऑक्सीजन का लेवल बढ़ाने के लिये आसान तरीका पेट के बल लेटना
डॉ वेद बताते हैं कि घर पर ही ऑक्सीजन के लेवल बढ़ाने के लिए एक तरीका है. आपके ब्लड में ऑक्सीजन की मात्रा अगर 94 से नीचे हो रहा है तो आप पीठ के बजाय पेट के बल लेटना शुरू करें. ऐसा करने से आपका फेफड़ा फैल जाएगा, जिसमें ज्यादा मात्रा में ऑक्सीजन आ सकता है. इससे आपके शरीर में आपके ब्लड में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाएगी.
ऑक्सीजन सीलेंडर या ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर घर पर ही रखें
दूसरा तरीका यह है कि आप के ब्लड में ऑक्सीजन संतुलित न हो पा रहा हो तो अपने घर में ऑक्सीजन सिलेंडर मंगवा सकते हैं या घर में ही ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन ले सकते हैं. दोनों में फर्क यह है कि ऑक्सीजन सिलेंडर में आपको बार-बार ऑक्सीजन खत्म होने पर सिलेंडर भरवाना पड़ेगा, लेकिन ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन वातावरण में मौजूद ऑक्सीजन को ही सोख कर आप के लिए ऑक्सीजन उपलब्ध करवाता है. ऑक्सीजन कंसंट्रेटर थोड़ा महंगा हो सकता है, लेकिन जब जान पर बने तो यह महंगा नहीं लगेगा.
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सिटी स्कैन से वायरल लोड का पता लगाएं
डॉ वेद बताते हैं कि इसके अलावा एक काम और किया जा सकता है. किसी डायग्नोस्टिक सेंटर में जाकर अपने सीने का सिटी स्कैन करवा सकते हैं. इसमें आपके फेफड़े में कितना वायरल लोड है यह पता चलेगा. अगर वायरल लोड कम है तो चिंता की बात नहीं है. यह ठीक हो जाएगा, लेकिन अगर वायरल लोड ज्यादा है तो दिक्कत बढ़ सकती है. ऐसी परिस्थिति में आप यह देखते रहे हैं कि किसी हॉस्पिटल में अगर एक भी बेड मिले तो वहां एडमिट हो जाएं.
टेलीमेडिसिन की ले सकते हैं मदद
अगर आपका वायरल लोड थोड़ा सा ज्यादा है तो आप अपने स्थानीय किसी भी डॉक्टर के संपर्क में रह सकते हैं या टेलीमेडिसिन के जरिए किसी एक्सपर्ट डॉक्टर के संपर्क में रह सकते हैं. डॉक्टर आपको एक दवा प्रिसक्राइब कर सकते हैं. इस दवा का नाम है स्टेरॉइड. यह दवा बहुत सस्ती है और महंगी रेमदेसीविर से भी ज्यादा प्रभावी है. 20 मिलीग्राम की डेली टैबलेट लेकर आप किसी खतरनाक स्थिति में पहुंचने से बच सकते हैं. इसको बोलते हैं होम हॉस्पिटलाइजेशन. जब हॉस्पिटल न मिले तो घर को हॉस्पिटल बना सकते हैं.